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झारखंड पुलिस ड्रोन की मदद से रखेगी अफीम की खेती पर नजर, फिर करेगी कार्रवाई - रांची अपडेट

रांची और आसपाल के जंगलों में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की जा रही है. झारखंड पुलिस सूचना के आधार पर अफीम की फसल को नष्ट करती थी. लेकिन अब पुलिस ड्रोन की मदद से अफीम की खेती पर नजर रखेगी.

Jharkhand Police
झारखंड पुलिस ड्रोन की मदद से रखेगी अफीम की खेती पर नजर
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Published : Feb 25, 2022, 5:32 PM IST

रांचीः राजधानी रांची और आसपास के जंगलों और पहाड़ों के बीच बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की गई है. पुलिस को अफीम की खेती की सूचना मिलती है तो कार्रवाई भी होती है. लेकिन घने जंगलों के बीच अफील लगे फसल को खोजना पुलिस के लिए मुश्किल होता है. इसको लेकर झारखंड पुलिस ने नया तरीका निकाला है. अब ड्रोन की मदद से सुदूर और घने जंगलों में अफीम की खेतों पर नजर रखी जाएगी. ड्रोन के जरिए जैसे ही अफीम की खेत नजर आएगी, वैसे ही पुलिस कार्रवाई शुरू करेगी. ड्रोन किस तरह पुलिस को मदद कर रही है. इसका ईटीवी भारत की टीम ने जायजा लिया.

यह भी पढ़ेंःपुलिस के लिए आसान नहीं है अफीम को नष्ट करने का अभियान, नशे के शिकार हो रहे हैं जवान

राजधानी के जंगली इलाकों में हर तरफ अफीम की खेती की गई है. ड्रोन से ली गई तस्वीर में साफ नजर आ रहा है कि नशे के सौदागरों ने किस कदर अपना जाल बिछाया है. रांची के नामकुम इलाके में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की गई है. मामले की पड़ताल करने ईटीवी भारत की टीम नामकुम के बीहड़ो में पहुंची, जहां चारों तरफ अफीम ही अफीम दिखा. जंगलों के बीच पुलिस की टीम भी थी, जो ड्रोन से लैस होकर अफीम की खेत तलाश रही थी.

देखें पूरी रिपोर्ट


रांची से लगभग 30 किलोमीटर दूर नामकुम के जंगल में ड्रोन को उड़ाया गया तो कई एकड़ में अफीम की खेत दिखाई दी. अफीम की खेती देखते ही पुलिस की टीम खेतों में पहुंची और फसल नष्ट करने में जुट गई. अभियान में लगे पुलिसकर्मियों ने बताया कि मुखबिर के जरिए सूचना मिली थी कि बड़े पैमाने पर जंगली इलाकों में अफीम की फसल लगाई गई है. अब ड्रोन की मदद से उन खेतों का पता लगाया जा रहा है. इसके बाद पुलिस की टीम दल बल के साथ अफीम के खेतों तक पहुंच रही है.


जंगली इलाकों में तस्करों और नक्सलियों की मिलीभगत से अफीम की खेती की जाती है. इस स्थिति में पुलिस अफीम की फसल नष्ट करने पहुंचती है तो हमले की भी आशंका बनी रहती है. यही वजह है कि जब पुलिस की टीम अफीम को नष्ट करने जंगलों में पहुंचती है तो पुलिस चारों ओर से घेराबंदी करती है. इसके साथ ही ड्रोन को कम ऊंचाई पर रखा जाता है, जिससे चारों ओर नजर रखी जाती है. किसी तरह का खतरा हो तो पुलिस तत्काल अलर्ट हो जाए.

यह भी पढ़ेंःचाईबासा में नशे के कारोबार पर पुलिस की कार्रवाई, 3 एकड़ में लगी अफीम की फसल को किया नष्ट


पुलिसकर्मी प्रमोद कहते हैं कि पहले जंगली इलाकों में पैदल चलकर अफीम की खेती की तलाश करते थे. इससे पुलिस थक जाते थे. इसका प्रभाव कार्रवाई पर पड़ता था. लेकिन अब ड्रोन से सटीक जानकारी मिलने के साथ साथ तत्काल कार्रवाई की जा रही है. अफीम की फसल को नष्ट करना पुलिस के लिए चुनौतिपूर्ण काम है. इसकी वजह है कि एकड़ के एकड़ में अफीम की खेती है. अभियान में लगे पुलिसकर्मी कहते है कि लगातार एक महीने तक अफीम के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा तो लगभग फसल नष्ट किया जा सकेगा. इसके बावजूद कुछ न कुछ फसल रह ही जाएगा.

रांचीः राजधानी रांची और आसपास के जंगलों और पहाड़ों के बीच बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की गई है. पुलिस को अफीम की खेती की सूचना मिलती है तो कार्रवाई भी होती है. लेकिन घने जंगलों के बीच अफील लगे फसल को खोजना पुलिस के लिए मुश्किल होता है. इसको लेकर झारखंड पुलिस ने नया तरीका निकाला है. अब ड्रोन की मदद से सुदूर और घने जंगलों में अफीम की खेतों पर नजर रखी जाएगी. ड्रोन के जरिए जैसे ही अफीम की खेत नजर आएगी, वैसे ही पुलिस कार्रवाई शुरू करेगी. ड्रोन किस तरह पुलिस को मदद कर रही है. इसका ईटीवी भारत की टीम ने जायजा लिया.

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राजधानी के जंगली इलाकों में हर तरफ अफीम की खेती की गई है. ड्रोन से ली गई तस्वीर में साफ नजर आ रहा है कि नशे के सौदागरों ने किस कदर अपना जाल बिछाया है. रांची के नामकुम इलाके में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की गई है. मामले की पड़ताल करने ईटीवी भारत की टीम नामकुम के बीहड़ो में पहुंची, जहां चारों तरफ अफीम ही अफीम दिखा. जंगलों के बीच पुलिस की टीम भी थी, जो ड्रोन से लैस होकर अफीम की खेत तलाश रही थी.

देखें पूरी रिपोर्ट


रांची से लगभग 30 किलोमीटर दूर नामकुम के जंगल में ड्रोन को उड़ाया गया तो कई एकड़ में अफीम की खेत दिखाई दी. अफीम की खेती देखते ही पुलिस की टीम खेतों में पहुंची और फसल नष्ट करने में जुट गई. अभियान में लगे पुलिसकर्मियों ने बताया कि मुखबिर के जरिए सूचना मिली थी कि बड़े पैमाने पर जंगली इलाकों में अफीम की फसल लगाई गई है. अब ड्रोन की मदद से उन खेतों का पता लगाया जा रहा है. इसके बाद पुलिस की टीम दल बल के साथ अफीम के खेतों तक पहुंच रही है.


जंगली इलाकों में तस्करों और नक्सलियों की मिलीभगत से अफीम की खेती की जाती है. इस स्थिति में पुलिस अफीम की फसल नष्ट करने पहुंचती है तो हमले की भी आशंका बनी रहती है. यही वजह है कि जब पुलिस की टीम अफीम को नष्ट करने जंगलों में पहुंचती है तो पुलिस चारों ओर से घेराबंदी करती है. इसके साथ ही ड्रोन को कम ऊंचाई पर रखा जाता है, जिससे चारों ओर नजर रखी जाती है. किसी तरह का खतरा हो तो पुलिस तत्काल अलर्ट हो जाए.

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पुलिसकर्मी प्रमोद कहते हैं कि पहले जंगली इलाकों में पैदल चलकर अफीम की खेती की तलाश करते थे. इससे पुलिस थक जाते थे. इसका प्रभाव कार्रवाई पर पड़ता था. लेकिन अब ड्रोन से सटीक जानकारी मिलने के साथ साथ तत्काल कार्रवाई की जा रही है. अफीम की फसल को नष्ट करना पुलिस के लिए चुनौतिपूर्ण काम है. इसकी वजह है कि एकड़ के एकड़ में अफीम की खेती है. अभियान में लगे पुलिसकर्मी कहते है कि लगातार एक महीने तक अफीम के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा तो लगभग फसल नष्ट किया जा सकेगा. इसके बावजूद कुछ न कुछ फसल रह ही जाएगा.

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