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आर्म्स तस्करी के नए ट्रेंड से परेशानी में झारखंड पुलिस, अब असेंबल कर बेचे जा रहे हैं हथियार

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Published : Dec 18, 2020, 10:57 PM IST

झारखंड में मुंगेर में बने हथियार का एक बाजार था, लेकिन पुलिस को इस मामले की जानकारी मिलने के बाद छापेमारी की गई, जिसके बाद हथियार के सौदागरों ने कई छोटे-बड़े शहरों में अपना ठिकाना बना लिया है. राजधानी रांची के आर्म्स डीलर अब मुंगेर से हथियार लाकर उसकी तस्करी नहीं कर रहे हैं, बल्कि यहीं असेंबल कर हथियार को तैयार कर ले रहे हैं. इसके लिए रांची में ही छोटे-छोटे कमरों में हथियार की फैक्ट्रियां चल रही हैं.

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रांची में हथियार तस्करी

रांची: अवैध हथियारों का निर्माण अब बिहार के मुंगेर तक ही सीमित नहीं रहा है. झारखंड में मुंगेर में बने हथियार का एक बड़ा बाजार हुआ करता था, लेकिन अब पुलिस की दबिश से हथियार के सौदागरों ने कई छोटे-बड़े शहरों में अपना ठिकाना बना लिया है. अब हथियार तस्कर सीधे हथियार ना बनाकर उनके पार्ट्स का निर्माण कर रहे हैं और पार्ट्स को ही तस्करी के जरिए अपराधियों और नक्सलियों तक पहुंचा रहे हैं. तस्करी के जरिए पहुंचे हथियार के पार्ट्स को हथियार तस्करों का एक एक्सपर्ट पूरे हथियार के रूप में तब्दील कर देता है.

देखें स्पेशल स्टोरी
हथियार असेंबलिंग का खेल
राजधानी रांची के आर्म्स डीलर अब मुंगेर से हथियार लाकर उसकी तस्करी नहीं कर रहे हैं, बल्कि यहीं असेंबल कर हथियार को तैयार कर ले रहे हैं. इसके लिए रांची में ही छोटे-छोटे कमरों में हथियार की फैक्ट्रियां चल रही हैं. मिनी गन फैक्ट्री चलाने के लिए किसी बड़े प्लांट की जरूरत नहीं है, बल्कि एक लेथ मशीन लगाकर आर्म्स डीलर कट्टा की बैरल, पिस्टल की बैरल और स्प्रिंग तैयार कर ले रहे हैं. इसके अलावा जो इंटरनल और कीमती पार्ट हैं उन्हें अलग से मुंगेर और उत्तर प्रदेश से मंगवाया जा रहा है. अलग पार्ट्स लाकर असेंबल कर लेना आर्म्स तस्करों के लिए आसान खेल बन गया है. रांची के आर्म्स सप्लायर अब खुद ट्रेंड होकर देसी पिस्टल, देसी कट्टा, सिक्सर और कार्बाइन जैसे हथियार तस्कर तैयार कर ले रहे हैं. हाल में पकड़े गए हथियारों के बारे में पुलिस को जानकारी मिली है कि रांची के खूंटी और आसपास के इलाके में ही हथियार असेंबल कर तैयार किए गए हैं. पुलिस अब आर्म्स सप्लायर और मिनी गन फैक्ट्री का पता लगा रही है.
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नक्सली गिरफ्तार
मुंगेर जाकर प्रशिक्षण लेते हैं आर्म्स तस्करजानकारी के अनुसार कई तस्कर हथियार बनाने का प्रशिक्षण भी ले चुके हैं. मुंगेर में प्रशिक्षण लेने के बाद वह आते समय वहां से हथियार के पार्ट्स को लेकर भी आते हैं और फिर उसे पूर्ण रूप से बनाकर राजधानी में अपराधियों को सप्लाई करते हैं. 22 मार्च 2019 को रांची के सदर थाना क्षेत्र में चल रहे मिनी गन फैक्ट्री का पुलिस ने खुलासा किया था और वहां से तीन हथियार तस्करों को गिरफ्तार किया था. हथियार फैक्ट्री, बिहार के मुंगेर से हथियार बनाने का प्रशिक्षण ले चुका विजय कुमार शर्मा चला रहा था. फैक्ट्री में बने हथियार की डिलीवरी के दौरान ही विजय के अलावा तीन और लोग पकड़े गए थे. उनके पास से उस समय 13 बैरल, लेथ मशीन, 12 मैगजीन और कई देसी कट्टा बरामद हुआ था.
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अवैध हथियार बरामद



पुलिस तलाशती है हथियार, पार्ट्स पर नहीं जाती है नजर
हथियार तस्करों के राजधानी में आने की सूचना पर या फिर रूटीन चेकिंग के दौरान भी पुलिस आने जाने वाले संदिग्धों के पास हथियार की तलाशी करती है, लेकिन कोई हथियार बरामद नहीं होता है. दरअसल हथियार के पार्ट्स दिखने में इस तरह के होते हैं, कि उन्हें बाइक और दूसरे वाहनों में छिपाकर बड़ी आसानी के साथ शहर के अंदर लाया जाता है. चेकिंग के दौरान पुलिस की नजर उनपर नहीं जाती है, जिसका फायदा हथियार तस्कर उठाते हैं. वही रांची के सिटी एसपी सौरभ ने बताया कि अब पुलिस की चेकिंग का ट्रेंड भी बदला जा रहा है, अब चेकिंग के दौरान पुलिस टीम को विशेष सतर्कता बरतने की हिदायत दी गई है.

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अपराधियों की गिरफ्तारी
हथियार को लेकर कार्रवाई के बाद बनी नई रणनीतिझारखंड के डीजीपी के आदेश के बाद पूरे झारखंड में अवैध हथियार की बरामदगी को लेकर विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं. यही वजह है कि झारखंड में आए दिन हथियारों की बरामदगी से तस्करों ने अपना रुख अब छोटे शहरों की तरफ कर लिया है और पार्ट्स को असेंबल कर हथियार का निर्माण कर रहे हैं. इसी साल 3 दिसंबर को नक्सली संगठन पीएलएफआई के कुख्यात नक्सली कमांडर तुलसी पाहन को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस की पूछताछ में तुलसी पाहन ने यह स्वीकार किया था कि वह साल 2020 में कई बार अपने सुप्रीमो दिनेश गोप के पास सिर्फ हथियार का पार्ट्स पहुंचाने के लिए गया था. पीएलएफआई नक्सली संगठन में हथियार के पार्ट्स को जोड़कर उसे पूर्ण हथियार बनाने वाले एक्सपर्ट्स मौजूद हैं, जिनके जरिए हथियारों का निर्माण बड़े आराम के साथ हो जाता है. पीएलएफआई ने अपने खुद की कई हथियार फैक्ट्री भी बना कर रखा है, जहां से बने हथियार राजधानी रांची सहित दूसरे अपराधियों तक भी सप्लाई की जाती है. खूंटी पुलिस ने कई बार रेड कर पीएलएफआई के हथियार फैक्ट्री को ध्वस्त करते हुए हथियार बनाने के औजार मरम्मत का सामान बरामद किया है.
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कार्बाइन की कीमत
हथियार अससेंबल करने करने वाला प्रमुख शख्स जेल में बंदपुलिस की जांच में अब तक जो जानकारियां हासिल हुई है. उसके अनुसार राजधानी रांची में मोहम्मद साकिब उर्फ पाव हथियारों को असेंबल कर डिलीवरी देने वाला प्रमुख शख्स फिलहाल जेल में बंद है, लेकिन उसका गिरोह अभी भी राजधानी रांची में एक्टिव है. साकिब के जिलों में साबिर, सद्दाम, मुन्ना साजिद, जाहिद, अविनाश, सिंह जी, राजू ,गुलाब, रोहित, सोनू छोटू और अक्षय कुमार नाम के अपराधी शामिल हैं, जो अभी भी हथियार तस्करी के धंधे में लगातार काम कर रहे हैं. पुलिस की टीम इन अपराधियों पर कड़ी नजर रखे हुए है, ताकि इन्हें हथियार के साथ रंगे हाथ पकड़ा जा सके. पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार राजधानी के कोकर, कांके, पिठोरिया, आजाद बस्ती, बुंडू इलाही नगर, अरगोड़ा, सिकिदिरी, नगड़ी और रामगढ़ में सक्रिय अपराधी हथियारों के असेंबल के खेल में शामिल है.
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सिक्सर की कीमत

इसे भी पढे़ं: रांची में 'रश्मि रॉकेट' फिल्म की शूटिंग शुरू, अभिनेत्री तापसी पन्नू निभा रही हैं मुख्य भूमिका

500 से अधिक अवैध हथियार हो चुके हैं बरामद
रांची पुलिस से मिले आंकड़ों को अगर आधार माने तो साल 2020 के नवंबर महीने तक पुलिस ने कुल 580 अवैध हथियार बरामद किया है. हथियारों ज्यादातर पिस्टल और कट्टा बरामद किया गया है. नक्सली संगठन पीएलएफआई के सबसे ज्यादा हथियार पुलिस ने बरामद किए हैं. उनमें दो कार्बाइन भी शामिल है. साल 2020 के नवंबर महीने तक रांची पुलिस ने कुल 2290 अपराधियों को गिरफ्तार किया है, जबकि 64 नक्सली और उग्रवादियों को भी दबोचा है. गिरफ्तार अपराधियों के पास से भी कई तरह के हथियार बरामद किए गए थे.

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झारखंड में पिस्टल की कीमत



राजधानी में क्या है अवैध हथियारों का रेट
देसी कट्टा - दो से पांच हजार रुपये
नाइन एमएम पिस्टल - 15 हजार से 65 हजार रुपये
देशी कार्बाइन- एक लाख से दो लाख रुपये
सिक्सर - सात हजार से 15 हजार



सिर्फ गोलियां मंगवानी पड़ती है
हथियार के धंधेबाज सिर्फ कारतूस बाहर से मंगवा रहे हैं. इसके लिए वह नए-नए लोगों को अपने साथ जोड़ रहे हैं और उनके जरिए कारतूस की तस्करी करवा रहे हैं. खासकर ग्रामीण इलाकों के बेरोजगार युवकों के जरिए ही बिहार, उत्तर प्रदेश के हथियार तस्करों से कारतूस मंगवाए जाते हैं. 17 दिसंबर को रांची के नामकुम इलाके से नक्सलियों के पास पहुंचाए जाने वाला कारतूस को पुलिस ने बरामद किया था. हालांकि कारतूस पहुंचाने के लिए दो युवक बाइक से निकले थे. वह पुलिस की पकड़ में नहीं आ पाए थे.


हाल के दिनों में बरामद किए गए हथियारों का आंकड़ा

  • 12 जुलाई को रांची पुलिस ने चार कोयला कारोबारियों की हत्या करने आए पांच कुख्यात अपराधियों को 10 पिस्टल और 43 कारतूस के साथ गिरफ्तार किया था.
  • 3 अगस्त को पीएलएफआई के तीन नक्सली पकड़े गए थे उनके पास से चार पिस्तौल और 29 कारतूस बरामद किया गया था.
  • 18 अगस्त को बिल्डर और जमीन कारोबारी स्वर्गीय अभय सिंह से दो करोड़ की रंगदारी मांगने और फायरिंग मामले में चार अपराधी पकड़े गए थे. उनके पास से एक देशी कार्बाइन, हैंडग्रेनेड, पिस्टल और देसी कट्टे बरामद किए गए थे.
  • 30 अगस्त को पीएलएफआई के चार नक्सली पकड़े गए, जिनके पास से दो पिस्तौल और 12 कारतूस बरामद किए गए.
  • 31 अक्टूबर को पिठौरिया इलाका से हथियार सप्लायर मधुसूदन माली और माधव को गिरफ्तार किया गया था. उसके पास से भी दो पिस्टल और 19 गोलियां बरामद की गई थी.
  • 3 नवंबर को बरियातू थाने की पुलिस ने हथियार की खरीद बिक्री करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को टैगोर हिल से गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार अपराधियों की निशानदेही पर पुलिस ने दो पिस्टल बरामद किया था.

रांची: अवैध हथियारों का निर्माण अब बिहार के मुंगेर तक ही सीमित नहीं रहा है. झारखंड में मुंगेर में बने हथियार का एक बड़ा बाजार हुआ करता था, लेकिन अब पुलिस की दबिश से हथियार के सौदागरों ने कई छोटे-बड़े शहरों में अपना ठिकाना बना लिया है. अब हथियार तस्कर सीधे हथियार ना बनाकर उनके पार्ट्स का निर्माण कर रहे हैं और पार्ट्स को ही तस्करी के जरिए अपराधियों और नक्सलियों तक पहुंचा रहे हैं. तस्करी के जरिए पहुंचे हथियार के पार्ट्स को हथियार तस्करों का एक एक्सपर्ट पूरे हथियार के रूप में तब्दील कर देता है.

देखें स्पेशल स्टोरी
हथियार असेंबलिंग का खेल राजधानी रांची के आर्म्स डीलर अब मुंगेर से हथियार लाकर उसकी तस्करी नहीं कर रहे हैं, बल्कि यहीं असेंबल कर हथियार को तैयार कर ले रहे हैं. इसके लिए रांची में ही छोटे-छोटे कमरों में हथियार की फैक्ट्रियां चल रही हैं. मिनी गन फैक्ट्री चलाने के लिए किसी बड़े प्लांट की जरूरत नहीं है, बल्कि एक लेथ मशीन लगाकर आर्म्स डीलर कट्टा की बैरल, पिस्टल की बैरल और स्प्रिंग तैयार कर ले रहे हैं. इसके अलावा जो इंटरनल और कीमती पार्ट हैं उन्हें अलग से मुंगेर और उत्तर प्रदेश से मंगवाया जा रहा है. अलग पार्ट्स लाकर असेंबल कर लेना आर्म्स तस्करों के लिए आसान खेल बन गया है. रांची के आर्म्स सप्लायर अब खुद ट्रेंड होकर देसी पिस्टल, देसी कट्टा, सिक्सर और कार्बाइन जैसे हथियार तस्कर तैयार कर ले रहे हैं. हाल में पकड़े गए हथियारों के बारे में पुलिस को जानकारी मिली है कि रांची के खूंटी और आसपास के इलाके में ही हथियार असेंबल कर तैयार किए गए हैं. पुलिस अब आर्म्स सप्लायर और मिनी गन फैक्ट्री का पता लगा रही है.
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नक्सली गिरफ्तार
मुंगेर जाकर प्रशिक्षण लेते हैं आर्म्स तस्करजानकारी के अनुसार कई तस्कर हथियार बनाने का प्रशिक्षण भी ले चुके हैं. मुंगेर में प्रशिक्षण लेने के बाद वह आते समय वहां से हथियार के पार्ट्स को लेकर भी आते हैं और फिर उसे पूर्ण रूप से बनाकर राजधानी में अपराधियों को सप्लाई करते हैं. 22 मार्च 2019 को रांची के सदर थाना क्षेत्र में चल रहे मिनी गन फैक्ट्री का पुलिस ने खुलासा किया था और वहां से तीन हथियार तस्करों को गिरफ्तार किया था. हथियार फैक्ट्री, बिहार के मुंगेर से हथियार बनाने का प्रशिक्षण ले चुका विजय कुमार शर्मा चला रहा था. फैक्ट्री में बने हथियार की डिलीवरी के दौरान ही विजय के अलावा तीन और लोग पकड़े गए थे. उनके पास से उस समय 13 बैरल, लेथ मशीन, 12 मैगजीन और कई देसी कट्टा बरामद हुआ था.
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अवैध हथियार बरामद



पुलिस तलाशती है हथियार, पार्ट्स पर नहीं जाती है नजर
हथियार तस्करों के राजधानी में आने की सूचना पर या फिर रूटीन चेकिंग के दौरान भी पुलिस आने जाने वाले संदिग्धों के पास हथियार की तलाशी करती है, लेकिन कोई हथियार बरामद नहीं होता है. दरअसल हथियार के पार्ट्स दिखने में इस तरह के होते हैं, कि उन्हें बाइक और दूसरे वाहनों में छिपाकर बड़ी आसानी के साथ शहर के अंदर लाया जाता है. चेकिंग के दौरान पुलिस की नजर उनपर नहीं जाती है, जिसका फायदा हथियार तस्कर उठाते हैं. वही रांची के सिटी एसपी सौरभ ने बताया कि अब पुलिस की चेकिंग का ट्रेंड भी बदला जा रहा है, अब चेकिंग के दौरान पुलिस टीम को विशेष सतर्कता बरतने की हिदायत दी गई है.

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अपराधियों की गिरफ्तारी
हथियार को लेकर कार्रवाई के बाद बनी नई रणनीतिझारखंड के डीजीपी के आदेश के बाद पूरे झारखंड में अवैध हथियार की बरामदगी को लेकर विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं. यही वजह है कि झारखंड में आए दिन हथियारों की बरामदगी से तस्करों ने अपना रुख अब छोटे शहरों की तरफ कर लिया है और पार्ट्स को असेंबल कर हथियार का निर्माण कर रहे हैं. इसी साल 3 दिसंबर को नक्सली संगठन पीएलएफआई के कुख्यात नक्सली कमांडर तुलसी पाहन को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस की पूछताछ में तुलसी पाहन ने यह स्वीकार किया था कि वह साल 2020 में कई बार अपने सुप्रीमो दिनेश गोप के पास सिर्फ हथियार का पार्ट्स पहुंचाने के लिए गया था. पीएलएफआई नक्सली संगठन में हथियार के पार्ट्स को जोड़कर उसे पूर्ण हथियार बनाने वाले एक्सपर्ट्स मौजूद हैं, जिनके जरिए हथियारों का निर्माण बड़े आराम के साथ हो जाता है. पीएलएफआई ने अपने खुद की कई हथियार फैक्ट्री भी बना कर रखा है, जहां से बने हथियार राजधानी रांची सहित दूसरे अपराधियों तक भी सप्लाई की जाती है. खूंटी पुलिस ने कई बार रेड कर पीएलएफआई के हथियार फैक्ट्री को ध्वस्त करते हुए हथियार बनाने के औजार मरम्मत का सामान बरामद किया है.
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कार्बाइन की कीमत
हथियार अससेंबल करने करने वाला प्रमुख शख्स जेल में बंदपुलिस की जांच में अब तक जो जानकारियां हासिल हुई है. उसके अनुसार राजधानी रांची में मोहम्मद साकिब उर्फ पाव हथियारों को असेंबल कर डिलीवरी देने वाला प्रमुख शख्स फिलहाल जेल में बंद है, लेकिन उसका गिरोह अभी भी राजधानी रांची में एक्टिव है. साकिब के जिलों में साबिर, सद्दाम, मुन्ना साजिद, जाहिद, अविनाश, सिंह जी, राजू ,गुलाब, रोहित, सोनू छोटू और अक्षय कुमार नाम के अपराधी शामिल हैं, जो अभी भी हथियार तस्करी के धंधे में लगातार काम कर रहे हैं. पुलिस की टीम इन अपराधियों पर कड़ी नजर रखे हुए है, ताकि इन्हें हथियार के साथ रंगे हाथ पकड़ा जा सके. पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार राजधानी के कोकर, कांके, पिठोरिया, आजाद बस्ती, बुंडू इलाही नगर, अरगोड़ा, सिकिदिरी, नगड़ी और रामगढ़ में सक्रिय अपराधी हथियारों के असेंबल के खेल में शामिल है.
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500 से अधिक अवैध हथियार हो चुके हैं बरामद
रांची पुलिस से मिले आंकड़ों को अगर आधार माने तो साल 2020 के नवंबर महीने तक पुलिस ने कुल 580 अवैध हथियार बरामद किया है. हथियारों ज्यादातर पिस्टल और कट्टा बरामद किया गया है. नक्सली संगठन पीएलएफआई के सबसे ज्यादा हथियार पुलिस ने बरामद किए हैं. उनमें दो कार्बाइन भी शामिल है. साल 2020 के नवंबर महीने तक रांची पुलिस ने कुल 2290 अपराधियों को गिरफ्तार किया है, जबकि 64 नक्सली और उग्रवादियों को भी दबोचा है. गिरफ्तार अपराधियों के पास से भी कई तरह के हथियार बरामद किए गए थे.

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झारखंड में पिस्टल की कीमत



राजधानी में क्या है अवैध हथियारों का रेट
देसी कट्टा - दो से पांच हजार रुपये
नाइन एमएम पिस्टल - 15 हजार से 65 हजार रुपये
देशी कार्बाइन- एक लाख से दो लाख रुपये
सिक्सर - सात हजार से 15 हजार



सिर्फ गोलियां मंगवानी पड़ती है
हथियार के धंधेबाज सिर्फ कारतूस बाहर से मंगवा रहे हैं. इसके लिए वह नए-नए लोगों को अपने साथ जोड़ रहे हैं और उनके जरिए कारतूस की तस्करी करवा रहे हैं. खासकर ग्रामीण इलाकों के बेरोजगार युवकों के जरिए ही बिहार, उत्तर प्रदेश के हथियार तस्करों से कारतूस मंगवाए जाते हैं. 17 दिसंबर को रांची के नामकुम इलाके से नक्सलियों के पास पहुंचाए जाने वाला कारतूस को पुलिस ने बरामद किया था. हालांकि कारतूस पहुंचाने के लिए दो युवक बाइक से निकले थे. वह पुलिस की पकड़ में नहीं आ पाए थे.


हाल के दिनों में बरामद किए गए हथियारों का आंकड़ा

  • 12 जुलाई को रांची पुलिस ने चार कोयला कारोबारियों की हत्या करने आए पांच कुख्यात अपराधियों को 10 पिस्टल और 43 कारतूस के साथ गिरफ्तार किया था.
  • 3 अगस्त को पीएलएफआई के तीन नक्सली पकड़े गए थे उनके पास से चार पिस्तौल और 29 कारतूस बरामद किया गया था.
  • 18 अगस्त को बिल्डर और जमीन कारोबारी स्वर्गीय अभय सिंह से दो करोड़ की रंगदारी मांगने और फायरिंग मामले में चार अपराधी पकड़े गए थे. उनके पास से एक देशी कार्बाइन, हैंडग्रेनेड, पिस्टल और देसी कट्टे बरामद किए गए थे.
  • 30 अगस्त को पीएलएफआई के चार नक्सली पकड़े गए, जिनके पास से दो पिस्तौल और 12 कारतूस बरामद किए गए.
  • 31 अक्टूबर को पिठौरिया इलाका से हथियार सप्लायर मधुसूदन माली और माधव को गिरफ्तार किया गया था. उसके पास से भी दो पिस्टल और 19 गोलियां बरामद की गई थी.
  • 3 नवंबर को बरियातू थाने की पुलिस ने हथियार की खरीद बिक्री करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को टैगोर हिल से गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार अपराधियों की निशानदेही पर पुलिस ने दो पिस्टल बरामद किया था.
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