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पुलिस अनुसंधान पदाधिकारियों के लिए डीजीपी का आदेश, 41 ए के नोटिस के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं - झारखंड न्यूज अपडेट

झारखंड पुलिस में अनुसंधान की प्रक्रिया में सुधार की पहल शुरू हुई है. इसको लेकर झारखंड डीजीपी नीरज सिन्हा ने आदेश जारी किया है, जिसमें 41 ए का नोटिस के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं करने की बात कही गयी है. इसे पुलिस अनुसंधान प्रक्रिया में सुधार के तौर पर देखा जा रहा (Jharkhand Police Initiative to improve investigation process) है.

Jharkhand Police Initiative to improve investigation process
रांची
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Published : Nov 24, 2022, 10:00 AM IST

रांचीः झारखंड पुलिस में अनुसंधान की प्रक्रिया को सुधारने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा रहा (Jharkhand Police Initiative to improve investigation process) है. भारतीय दंड संहिता के तहत आरोपियों, गवाहों, साक्षियों या संदिग्धों को बुलाने के लिए धारा 41 ए, 91, 160 और 175 के तहत नोटिस भेजा जाता है. डीजीपी नीरज सिन्हा ने इस संबंध में नया पुलिस आदेश जारी किया है. इस पुलिस आदेश के मुताबिक, अगर धारा 41 ए के तहत नोटिस भेजे जाने के बाद व्यक्ति की गिरफ्तारी आवश्यक नहीं होगी.


क्या है आदेश मेंः झारखंड डीजीपी नीरज सिन्हा के द्वारा जारी किए गए आदेश में है जिक्र है कि अगर कोई आरोपी अगर 41 ए के नोटिस पर उपस्थित होता है, ऐसे में उसे तब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता जब तक पुलिस के जांच पदाधिकारी इसके लिए स्पष्ट कारण ना दें. 41 ए का नोटिस मिलने के बाद भी आरोपी उपस्थित नहीं होता तो उस मामले में सक्षम न्यायालय में सूचना देकर वारंट लेने का निर्देश दिया गया है.

धारा 91 के तहत कैसे कार्रवाई करेगी पुलिसः किसी केस में अनुसंधान पदाधिकारी दस्तावेज या केस से जुड़ी चीज प्राप्त करने के लिए नोटिस भेजती है. अगर कोई व्यक्ति इस धारा के अधीन दस्तावेज या अन्य चीज स्वयं उपस्थित होने के बजाय पेश कर दें तो उसे उपेक्षा का अनुपालन माना जाएगा. लेकिन डाक, पत्र, पार्सल के जरिए किसी चीज को भेजा जाए तो उसे उपेक्षा का अनुपालन नहीं माना जाएगा.

साक्षियों को कैसे उपस्थित कराएगी पुलिसः किसी केस में धारा 160 के तहत साक्षियों को बुलाने का प्रावधान है. लेकिन पंद्रह वर्ष से क्रम उम्र या 65 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति, मानसिक या शारीरिक रूप से निशक्त को थाने नहीं बुलाया जा सकता. अगर थाना के अलावा पुलिस पदाधिकारी साक्षियों को निवास स्थान से भिन्न कहीं बुलाएंगे तो ऐसे में उचित खर्चों का वहन करना होगा.

नोटिस जारी करने की क्या होगी प्रकियाः पुलिस पदाधिकारी किसी को 41 ए का नोटिस भेजे तो उसमें वक्त व स्थान लिखित हो साथ ही खुद तय समय पर उपस्थित रहे. अभियुक्त या संदेही वैध या न्यायोचित कारणों से नोटिस पर उपस्थित न हो पाए तो उसे सात दिनों के अधिक का वक्त नहीं दिया जा सकता. वहीं 41 ए की नोटिस नहीं भेजना अनुसंधान के लिए हानिकारक ना हो तो इसे केस डायरी में लिखना होगा.

रांचीः झारखंड पुलिस में अनुसंधान की प्रक्रिया को सुधारने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा रहा (Jharkhand Police Initiative to improve investigation process) है. भारतीय दंड संहिता के तहत आरोपियों, गवाहों, साक्षियों या संदिग्धों को बुलाने के लिए धारा 41 ए, 91, 160 और 175 के तहत नोटिस भेजा जाता है. डीजीपी नीरज सिन्हा ने इस संबंध में नया पुलिस आदेश जारी किया है. इस पुलिस आदेश के मुताबिक, अगर धारा 41 ए के तहत नोटिस भेजे जाने के बाद व्यक्ति की गिरफ्तारी आवश्यक नहीं होगी.


क्या है आदेश मेंः झारखंड डीजीपी नीरज सिन्हा के द्वारा जारी किए गए आदेश में है जिक्र है कि अगर कोई आरोपी अगर 41 ए के नोटिस पर उपस्थित होता है, ऐसे में उसे तब तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता जब तक पुलिस के जांच पदाधिकारी इसके लिए स्पष्ट कारण ना दें. 41 ए का नोटिस मिलने के बाद भी आरोपी उपस्थित नहीं होता तो उस मामले में सक्षम न्यायालय में सूचना देकर वारंट लेने का निर्देश दिया गया है.

धारा 91 के तहत कैसे कार्रवाई करेगी पुलिसः किसी केस में अनुसंधान पदाधिकारी दस्तावेज या केस से जुड़ी चीज प्राप्त करने के लिए नोटिस भेजती है. अगर कोई व्यक्ति इस धारा के अधीन दस्तावेज या अन्य चीज स्वयं उपस्थित होने के बजाय पेश कर दें तो उसे उपेक्षा का अनुपालन माना जाएगा. लेकिन डाक, पत्र, पार्सल के जरिए किसी चीज को भेजा जाए तो उसे उपेक्षा का अनुपालन नहीं माना जाएगा.

साक्षियों को कैसे उपस्थित कराएगी पुलिसः किसी केस में धारा 160 के तहत साक्षियों को बुलाने का प्रावधान है. लेकिन पंद्रह वर्ष से क्रम उम्र या 65 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति, मानसिक या शारीरिक रूप से निशक्त को थाने नहीं बुलाया जा सकता. अगर थाना के अलावा पुलिस पदाधिकारी साक्षियों को निवास स्थान से भिन्न कहीं बुलाएंगे तो ऐसे में उचित खर्चों का वहन करना होगा.

नोटिस जारी करने की क्या होगी प्रकियाः पुलिस पदाधिकारी किसी को 41 ए का नोटिस भेजे तो उसमें वक्त व स्थान लिखित हो साथ ही खुद तय समय पर उपस्थित रहे. अभियुक्त या संदेही वैध या न्यायोचित कारणों से नोटिस पर उपस्थित न हो पाए तो उसे सात दिनों के अधिक का वक्त नहीं दिया जा सकता. वहीं 41 ए की नोटिस नहीं भेजना अनुसंधान के लिए हानिकारक ना हो तो इसे केस डायरी में लिखना होगा.

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