रांची: फोन टैपिंग मामले को लेकर स्पेशल ब्रांच के इंस्पेक्टर अजय साहू पर दर्ज प्राथमिकी को लेकर झारखंड पुलिस एसोसिएशन आंदोलन के मूड में है. एसोसिएशन का आरोप है कि बिना वरीय पुलिस अधिकारियों के निर्देश के कोई भी फोन टैपिंग नहीं कर सकता है. ऐसे में सिर्फ इंस्पेक्टर अजय को निशाना बनाया जाना कहीं से भी जायज नहीं है.
डीजीपी से मुलाकात कर जताई आपत्ति
झारखंड पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह ने इस मामले को लेकर बुधवार को एसोसिएशन कार्यालय में एक आपात बैठक बुलाई थी. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सबसे पहले इस मामले को लेकर झारखंड के डीजीपी के पास चला जाए और उनसे मुलाकात कर अपनी आपत्ति जताई जाए. बैठक के बाद योगेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक टीम ने डीजीपी से मुलाकात कर अपनी बात रखी. एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह ने बताया कि डीजीपी ने उनकी पूरी बात सुनी है और यह भरोसा दिलाया है कि इस मामले में उन सभी अफसरों पर कार्रवाई होगी जो इसमें संलिप्त हैं. डीजीपी ने एसोसिएशन के अधिकारियों को यह भरोसा दिलाया है कि इंस्पेक्टर अजय अगर इस मामले में निर्दोष हैं तो उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, क्योंकि आगे की कार्रवाई सीआईडी के जांच रिपोर्ट पर निर्भर करती है.
अजय साहू ने लिखा था पत्र
गौरतलब है कि फोन टैपिंग मामले में अपने ऊपर एफआईआर दर्ज होने के बाद अजय साहू ने इस मामले को लेकर पुलिस एसोसिएशन में गुहार लगाई थी. बकायदा उन्होंने इस मामले को लेकर एसोसिएशन को पत्र भी लिखा था. जिसके बाद एसोसिएशन ने इस मामले में उचित और सही कार्रवाई के लिए डीजीपी से मुलाकात की.
क्या है पूरा मामला
झारखंड में अवैध तरीके से नेताओं के फोन टैपिंग होने के आरोप तो बराबर लगते रहे हैं, लेकिन पुलिस के भी फोन भी टेप हो रहे थे. इस मामले में सीआईडी डीएसपी रंजीत लकड़ा ने प्राथमिकी दर्ज करवाई है. दर्ज प्राथमिकी में चौका थाना के प्रभारी रतन कुमार सिंह, चुटिया थाना के पुलिसकर्मी रंजीत सिंह और मोहम्मद इरफान को पशु तस्कर बताकर उनके फोन को टेप किया गया था. सीआईडी की तकनीकी शाखा में इन सभी फोन को सुना जाता था. दरअसल सीआईडी पर अवैध तरीके से फोन टेप करने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं. जिसके बाद सीनियर आईपीएस अधिकारी की देखरेख में मामले की जांच करवाई गई जो पूरी तरह से सच पाया गया. इस रिपोर्ट के आधार पर ही स्पेसल ब्रांच के इंस्पेक्टर अजय खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. झारखंड में यह अपनी तरह का पहला मामला है. जिसमें अवैध फोन पर करने के आरोप में किसी थाने में एफआईआर दर्ज किया गया है.
इसे भी पढे़ं:- सीएम हेमंत सोरेन ने की झारखंड कैंपा योजना की समीक्षा, पंचायत स्तर पर वन-भूमि को चिन्हित करने के दिए निर्देश
गलत जानकारी देकर की गई थी फोन टैपिंग
कानून के मुताबिक किसी भी फोन को टेप करने के लिए गृह विभाग को जानकारी देनी पड़ती है. इसके अलावा सीआईडी में वरीय अफसरों को सूचना देनी पड़ती है, लेकिन इसमें आरोपी इंस्पेक्टर में अपने सीनियर अफसरों को यह कह कर फोन टेप करने की अनुमति ली कि सभी पशु तस्कर हैं.
डीजीपी के निर्देश पर हुई कार्रवाई
झारखंड के तेजतर्रार आईपीएस अफसर अनिल पलटा के एडीजी सीआईडी बनने के बाद उन्हें जानकारी मिली थी कि सीआईडी में अवैध तरीके से फोन टैपिंग किया जाता था. इसके बाद डीजीपी के निर्देश पर अनिल पलटा ने पूरे मामले की जांच करवाई तब यह खुलासा हुआ. मिली जानकारी के अनुसार एडीजी ने मुख्यालय और फ्री विभाग को अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी थी रिपोर्ट के समीक्षा के बाद आरोपी पुलिस अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया था. अब सीआईडी पूरे मामले में अनुसंधान करेगी. जिसके बाद आरोपी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. जांच के बाद यह भी खुलासा हो जाएगा कि आखिर किसके इशारे पर स्पेशल ब्रांच का इंस्पेक्टर अपने ही साथी पुलिस कर्मियों का फोन टेप कर रहा था.