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16 जनवरी से फिर शुरू हो सकता है पंचायत स्वयंसेवकों का आंदोलन, सरकार के फैसले का कर रहे इंतजार - protest in ranchi

Panchayat Secretariat Volunteer movement. झारखंड के पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक फिर से आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. 16 जनवरी से वे दोबारो आंदोलन पर जा सकते हैं. वे अपनी पांच सूत्री मांगों पर सरकार के फैसले का इंतजार कर रहे हैं.

Panchayat Volunteer movement
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 10, 2024, 10:14 PM IST

फिर शुरू हो सकता है पंचायत स्वयंसेवकों का आंदोलन

रांची: पांच सूत्री मांगों को लेकर राज्य भर के 18 हजार से अधिक पंचायत स्वयंसेवक 16 जनवरी 2024 से एक बार फिर आंदोलन करने की योजना बना रहे हैं. 08 जनवरी को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सचिव विनय चौबे के साथ हुई वार्ता के बाद स्वयंसेवक 15 जनवरी तक सरकार द्वारा उठाए जाने वाले अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं.

झारखंड राज्य पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक संघ के अध्यक्ष चंद्रदीप कुमार ने कहा कि वार्ता के दौरान मुख्यमंत्री के सचिव विनय चौबे ने आंदोलन समाप्त कर अपने-अपने जिलों में लौटने की अपील की थी, लेकिन संघ ने अपना आंदोलन सिर्फ एक सप्ताह के लिए स्थगित किया था. अगर उनकी पांच सूत्री मांगें पूरी नहीं हुईं तो 16 जनवरी से दोबारा आंदोलन शुरू होगा. पंचायत स्वयंसेवक संघ के अध्यक्ष ने कहा कि 2019 में सत्ता में आने से पहले तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि पंचायत स्वयंसेवकों के अच्छे दिन आएंगे, लेकिन सरकार के चार साल बीत जाने के बाद भी पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों को केवल ठगा गया.

रघुवर दास सरकार के समय हुई थी स्वयंसेवकों की नियुक्ति: बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के शासनकाल में झारखंड के पंचायत सचिवालय में स्वयंसेवकों की नियुक्ति की गयी थी. झारखंड पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों का कहना है कि रघुवर दास के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के शासनकाल (वर्ष 2016) में परीक्षा आयोजित कर उनकी बहाली की गयी थी. उस समय पंचायतों में चलने वाली हर योजना में पंचायत स्वयंसेवक लाभुकों और अधिकारियों के बीच पुल का काम करते थे, बदले में उन्हें इंसेंटिव मिलता था. प्रधानमंत्री आवास योजना, जन्म-मृत्यु पंजीकरण प्रमाणपत्र, राशन कार्ड से संबंधित इंसेंटिव का प्रावधान था.

पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों की मांग: पंचायत स्वयंसेवकों का कहना है कि अगर उनकी पांच सूत्री मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन को व्यापक बनाया जाएगा. पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों की पांच प्रमुख मांगें हैं. जिसमें पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों का समायोजन, सेवा स्थायी करना, स्वयंसेवकों का नाम बदलकर पंचायत सहायक करना और सेवा स्थायी होने तक प्रोत्साहन राशि के स्थान पर एक निश्चित सम्मानजनक मानदेय देना शामिल है.

यह भी पढ़ें: लाठीचार्ज के विरोध में पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों ने निकाला पुतला दहन मार्च, आत्मदाह की दी धमकी

यह भी पढ़ें: टूटा पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों के सब्र का बांध, मिली पुलिस की लाठी, कई घायल

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फिर शुरू हो सकता है पंचायत स्वयंसेवकों का आंदोलन

रांची: पांच सूत्री मांगों को लेकर राज्य भर के 18 हजार से अधिक पंचायत स्वयंसेवक 16 जनवरी 2024 से एक बार फिर आंदोलन करने की योजना बना रहे हैं. 08 जनवरी को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सचिव विनय चौबे के साथ हुई वार्ता के बाद स्वयंसेवक 15 जनवरी तक सरकार द्वारा उठाए जाने वाले अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं.

झारखंड राज्य पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक संघ के अध्यक्ष चंद्रदीप कुमार ने कहा कि वार्ता के दौरान मुख्यमंत्री के सचिव विनय चौबे ने आंदोलन समाप्त कर अपने-अपने जिलों में लौटने की अपील की थी, लेकिन संघ ने अपना आंदोलन सिर्फ एक सप्ताह के लिए स्थगित किया था. अगर उनकी पांच सूत्री मांगें पूरी नहीं हुईं तो 16 जनवरी से दोबारा आंदोलन शुरू होगा. पंचायत स्वयंसेवक संघ के अध्यक्ष ने कहा कि 2019 में सत्ता में आने से पहले तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि पंचायत स्वयंसेवकों के अच्छे दिन आएंगे, लेकिन सरकार के चार साल बीत जाने के बाद भी पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों को केवल ठगा गया.

रघुवर दास सरकार के समय हुई थी स्वयंसेवकों की नियुक्ति: बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के शासनकाल में झारखंड के पंचायत सचिवालय में स्वयंसेवकों की नियुक्ति की गयी थी. झारखंड पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों का कहना है कि रघुवर दास के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के शासनकाल (वर्ष 2016) में परीक्षा आयोजित कर उनकी बहाली की गयी थी. उस समय पंचायतों में चलने वाली हर योजना में पंचायत स्वयंसेवक लाभुकों और अधिकारियों के बीच पुल का काम करते थे, बदले में उन्हें इंसेंटिव मिलता था. प्रधानमंत्री आवास योजना, जन्म-मृत्यु पंजीकरण प्रमाणपत्र, राशन कार्ड से संबंधित इंसेंटिव का प्रावधान था.

पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों की मांग: पंचायत स्वयंसेवकों का कहना है कि अगर उनकी पांच सूत्री मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन को व्यापक बनाया जाएगा. पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों की पांच प्रमुख मांगें हैं. जिसमें पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों का समायोजन, सेवा स्थायी करना, स्वयंसेवकों का नाम बदलकर पंचायत सहायक करना और सेवा स्थायी होने तक प्रोत्साहन राशि के स्थान पर एक निश्चित सम्मानजनक मानदेय देना शामिल है.

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