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पुलिस से बचने के लिए नक्सली दे रहे ग्रामीणों की बलि! झारखंड में अबतक 1894 निर्दोष हुए माओवादियों के शिकार - नक्सली दे रहे ग्रामीणों की बलि

झारखंड में नक्सली संगठन दम तोड़ रहे हैं. आत्मसमर्पण कर मुख्य धारा में लौटने को आतुर दिख रहे हैं. वहीं बचे हुए माओवादी ग्रामीणों की जान लेकर पुलिस से खुद को बचा रहे हैं.

Jharkhand Naxali in depth report
नक्सली दे रहे ग्रामीणों की बलि
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Published : Apr 20, 2023, 9:11 PM IST

Updated : Apr 22, 2023, 9:15 AM IST

रांची: बंदूक के बल पर जनता के लिए संघर्ष का दावा करने वाले नक्सली संगठन अपनी विचारधारा से कोसों दूर हो चुके हैं. नक्सली संगठनों में ना ही कोई विचारधारा बचा है और ना ही कोई सिद्धांत. जिस ग्रामीण जनता को विश्वास में लेकर अपनी सल्तनत को कायम रखने की कोशिश कर रहे थे, अब वे उन्हीं के दुश्मन बन बैठे हैं.

ये भी पढ़ें: Palamu Naxalite News: टॉप नक्सली कमांडर राजेश ठाकुर ने माओवादियों के बारे में किए कई बड़े खुलासे, देखिए ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत

ग्रामीणों को भी बना रहे निशाना: झारखंड के नक्सल इतिहास में नक्सली संगठन हमेशा से ग्रामीणों को अपना निशाना बनाते रहे हैं. कभी मुखबिर के नाम पर तो कभी पनाह नहीं देने के नाम पर. पुलिस के जोरदार अभियान के बाद परिस्थितियां बिल्कुल बदल गई हैं. झारखंड के अधिकांश नक्सल होल्ड से माओवादियों को खदेड़ दिया गया है. कोल्हान में कुछ ऐसे भी क्षेत्र है जहां नक्सली अभी भी अपने आप को बचाने में कामयाब हुए हैं. यह कामयाबी ग्रामीणों के खून से तैयार की गई है.

पिछले छह माह में 7 की गई जान: नवंबर 2022 से लेकर अप्रैल 2023 तक केवल सारंडा में ही 6 ग्रामीण लैंडमाइंस विस्फोट में अपनी जान गवां चुके हैं. इतने ही लोग घायल भी हो गए है. इनमें कई मवेशी भी मारे गए हैं, जबकि कई ग्रामीण लैंड माइंस की चपेट में आकर अपंग हो चुके है. इस तरह से पुलिस से बचने के लिए नक्सली गांव के लोगों की बलि चढ़ा रहे है. वहीं घनघोर बीहड़ों में नक्सलियों ने खुद को बचाने के लिए पूरे जंगल में ही लैंडमाइंस बिछा दिया है. लैंडमाइंस ऐसे जंगलों में बिछाए गए हैं, जहां ग्रामीणों का रोज आना जाना होता है. नतीजा लगातार ग्रामीण लैंड माइंस विस्फोट में अपनी जान गंवा रहे हैं.

नवम्बर 2022 से (कोल्हान) कब कब हुई वारदातें:- 20 नवंबर 2022 को चाईबासा के टोनंटो थाना क्षेत्र में लैंडमाइंस विस्फोट में ग्रामीण चेतन कोड़ा की मौत हो गई. 28 दिसंबर 2022 को गोइलकेरा में हुए लैंडमाइंस विस्फोट में 23 वर्षीय सिंगराय पूर्ति की मौत हो गई. 24 जनवरी 2023 को नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईईडी में विस्फोट होने से कट्ंबा का एक 13 वर्षीय बालक गंभीर रूप से घायल हो गया. 21 फरवरी को चाईबासा के गोइलकेरा थाना क्षेत्र के मेरालगड़ा के पास लैंडमाइंस विस्फोट में 23 वर्षीय ग्रामीण हरीश चंद्र गोप की मौत हो गई. वहीं 23 फरवरी 2023 को चाईबासा के टोनंटो थाना के रुकबुरु में जंगल मे लकड़ी चुनने गई बुजुर्ग महिला जेमा हांसदा लैंड माइंस विस्फोट में बुरी तरह से जख्मी हुई.

1 मार्च 2023 को चाईबासा के इचाहातु में लैंड माइंस विस्फोट में कृष्ण पूर्ति नाम के एक बुजुर्ग की मौत हो गई. 1 मार्च 2023 को ही इचाहातु में ही हुए विस्फोट में 50 वर्षीय महिला नंदी पूर्ति गंभीर रूप से घायल हो गई. 25 मार्च 2023 को चाईबासा के मुफस्सिल थाना क्षेत्र में हुए लैंडमाइंस विस्फोट में 62 वर्षीय महिला गुरुवारी की मौत हो गई, वहीं इसी विस्फोट में एक बुजुर्ग महिला चांदू गम्भीर रूप से जख्मी हो गई. 9 अप्रैल 2023 और 14 अप्रैल 2023 को भी जंगलों में आईडी विस्फोट हुआ, दोनों विस्फोट चाईबासा के टोनंटो में हुए जिसमे एक 6 साल का बालक और एक बुजुर्ग जख्मी हो गए. 14 अप्रैल 2023 को हुए विस्फोट में 35 वर्षीय जेना कोड़ा की भी मौत हो गई थी.

ग्रामीणों को ही दूर कर रहे जंगल से: झारखंड के आईजी अभियान अमोल वी होमकर के अनुसार बाहर के नक्सली झारखंड के सारंडा में आकर वही के ग्रामीणों को निशाना बना रहे हैं. पुलिस से बचने के लिए नक्सली संगठन आईईडी बमों का घेरा बना रहे हैं, वह भी उन जंगलों में जहां से ग्रामीणों की जीविका चलती है. ग्रामीण अपने पेट की आग को बुझाने के लिए जान पर खेलकर जंगलों की तरफ जा रहे हैं लेकिन नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईडी बमों का भी शिकार हो जा रहे हैं. झारखंड पुलिस के पहल की वजह से कई बार ग्रामीणों को एयरलिफ्ट कर उनकी जान बचाई गई है. हालांकि इन धमाकों में कई ग्रामीण असमय काल के गाल में भी समा गए.

नक्सलियों के खिलाफ जारी है अभियान: आईजी अभियान के अनुसार नक्सलियों के इस रणनीति का भी पुलिस जोरदार जवाब दे रही है. नक्सलियों के द्वारा लगाए गए लैंडमाइंस में झारखंड पुलिस के एक दर्जन से ज्यादा जांबाज जवान भी घायल हुए हैं. लेकिन उनका मनोबल जरा भी कमजोर नहीं हुआ है. कोल्हान के जिन इलाकों में नक्सलियों ने पनाह लिया है, वहां अभी भी जोरदार अभियान जारी है. जब तक ग्रामीणों को नक्सलियों के आतंक से मुक्त नहीं करवा लिया जाएगा तब तक यह अभियान जारी रहेगा.

हिंसा में मारे गए अबतक 1894 लोग: नक्सलवाद का दंश सबसे ज्यादा झारखंड के आम लोगों को भुगतना पड़ा है. 2001 से लेकर 2023 के मार्च महीने तक नक्सली हिंसा में कुल 1894 आम लोगों ने अपनी जान गवां दिया है. साल 2007 में सबसे ज्यादा 175 लोग नक्सली हिंसा के शिकार हुए थे.

आंकड़ों में नक्सली हिंसा, किस साल में कितने लोगों की गई जान: 2001 में 107, 2002 में 77, 2003 में 93, 2004 में 106, 2005 में 79, 2006 में 93, 2007 में 175, 2008 में 150, 2009 में 138, 2010 में 135, 2011 में 131, 2012 में 124, 2013 में 126, 2014 में 86, 2015 में 47, 2016 में 61, 2017 में 44, 2018 में 27, 2019 में 30, 2020 में 28, 2021 में 16, 2022 में 10, 2023 के अप्रैल महीने में 04 आम नागरिक मारे जा चुके हैं.

रांची: बंदूक के बल पर जनता के लिए संघर्ष का दावा करने वाले नक्सली संगठन अपनी विचारधारा से कोसों दूर हो चुके हैं. नक्सली संगठनों में ना ही कोई विचारधारा बचा है और ना ही कोई सिद्धांत. जिस ग्रामीण जनता को विश्वास में लेकर अपनी सल्तनत को कायम रखने की कोशिश कर रहे थे, अब वे उन्हीं के दुश्मन बन बैठे हैं.

ये भी पढ़ें: Palamu Naxalite News: टॉप नक्सली कमांडर राजेश ठाकुर ने माओवादियों के बारे में किए कई बड़े खुलासे, देखिए ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत

ग्रामीणों को भी बना रहे निशाना: झारखंड के नक्सल इतिहास में नक्सली संगठन हमेशा से ग्रामीणों को अपना निशाना बनाते रहे हैं. कभी मुखबिर के नाम पर तो कभी पनाह नहीं देने के नाम पर. पुलिस के जोरदार अभियान के बाद परिस्थितियां बिल्कुल बदल गई हैं. झारखंड के अधिकांश नक्सल होल्ड से माओवादियों को खदेड़ दिया गया है. कोल्हान में कुछ ऐसे भी क्षेत्र है जहां नक्सली अभी भी अपने आप को बचाने में कामयाब हुए हैं. यह कामयाबी ग्रामीणों के खून से तैयार की गई है.

पिछले छह माह में 7 की गई जान: नवंबर 2022 से लेकर अप्रैल 2023 तक केवल सारंडा में ही 6 ग्रामीण लैंडमाइंस विस्फोट में अपनी जान गवां चुके हैं. इतने ही लोग घायल भी हो गए है. इनमें कई मवेशी भी मारे गए हैं, जबकि कई ग्रामीण लैंड माइंस की चपेट में आकर अपंग हो चुके है. इस तरह से पुलिस से बचने के लिए नक्सली गांव के लोगों की बलि चढ़ा रहे है. वहीं घनघोर बीहड़ों में नक्सलियों ने खुद को बचाने के लिए पूरे जंगल में ही लैंडमाइंस बिछा दिया है. लैंडमाइंस ऐसे जंगलों में बिछाए गए हैं, जहां ग्रामीणों का रोज आना जाना होता है. नतीजा लगातार ग्रामीण लैंड माइंस विस्फोट में अपनी जान गंवा रहे हैं.

नवम्बर 2022 से (कोल्हान) कब कब हुई वारदातें:- 20 नवंबर 2022 को चाईबासा के टोनंटो थाना क्षेत्र में लैंडमाइंस विस्फोट में ग्रामीण चेतन कोड़ा की मौत हो गई. 28 दिसंबर 2022 को गोइलकेरा में हुए लैंडमाइंस विस्फोट में 23 वर्षीय सिंगराय पूर्ति की मौत हो गई. 24 जनवरी 2023 को नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईईडी में विस्फोट होने से कट्ंबा का एक 13 वर्षीय बालक गंभीर रूप से घायल हो गया. 21 फरवरी को चाईबासा के गोइलकेरा थाना क्षेत्र के मेरालगड़ा के पास लैंडमाइंस विस्फोट में 23 वर्षीय ग्रामीण हरीश चंद्र गोप की मौत हो गई. वहीं 23 फरवरी 2023 को चाईबासा के टोनंटो थाना के रुकबुरु में जंगल मे लकड़ी चुनने गई बुजुर्ग महिला जेमा हांसदा लैंड माइंस विस्फोट में बुरी तरह से जख्मी हुई.

1 मार्च 2023 को चाईबासा के इचाहातु में लैंड माइंस विस्फोट में कृष्ण पूर्ति नाम के एक बुजुर्ग की मौत हो गई. 1 मार्च 2023 को ही इचाहातु में ही हुए विस्फोट में 50 वर्षीय महिला नंदी पूर्ति गंभीर रूप से घायल हो गई. 25 मार्च 2023 को चाईबासा के मुफस्सिल थाना क्षेत्र में हुए लैंडमाइंस विस्फोट में 62 वर्षीय महिला गुरुवारी की मौत हो गई, वहीं इसी विस्फोट में एक बुजुर्ग महिला चांदू गम्भीर रूप से जख्मी हो गई. 9 अप्रैल 2023 और 14 अप्रैल 2023 को भी जंगलों में आईडी विस्फोट हुआ, दोनों विस्फोट चाईबासा के टोनंटो में हुए जिसमे एक 6 साल का बालक और एक बुजुर्ग जख्मी हो गए. 14 अप्रैल 2023 को हुए विस्फोट में 35 वर्षीय जेना कोड़ा की भी मौत हो गई थी.

ग्रामीणों को ही दूर कर रहे जंगल से: झारखंड के आईजी अभियान अमोल वी होमकर के अनुसार बाहर के नक्सली झारखंड के सारंडा में आकर वही के ग्रामीणों को निशाना बना रहे हैं. पुलिस से बचने के लिए नक्सली संगठन आईईडी बमों का घेरा बना रहे हैं, वह भी उन जंगलों में जहां से ग्रामीणों की जीविका चलती है. ग्रामीण अपने पेट की आग को बुझाने के लिए जान पर खेलकर जंगलों की तरफ जा रहे हैं लेकिन नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईडी बमों का भी शिकार हो जा रहे हैं. झारखंड पुलिस के पहल की वजह से कई बार ग्रामीणों को एयरलिफ्ट कर उनकी जान बचाई गई है. हालांकि इन धमाकों में कई ग्रामीण असमय काल के गाल में भी समा गए.

नक्सलियों के खिलाफ जारी है अभियान: आईजी अभियान के अनुसार नक्सलियों के इस रणनीति का भी पुलिस जोरदार जवाब दे रही है. नक्सलियों के द्वारा लगाए गए लैंडमाइंस में झारखंड पुलिस के एक दर्जन से ज्यादा जांबाज जवान भी घायल हुए हैं. लेकिन उनका मनोबल जरा भी कमजोर नहीं हुआ है. कोल्हान के जिन इलाकों में नक्सलियों ने पनाह लिया है, वहां अभी भी जोरदार अभियान जारी है. जब तक ग्रामीणों को नक्सलियों के आतंक से मुक्त नहीं करवा लिया जाएगा तब तक यह अभियान जारी रहेगा.

हिंसा में मारे गए अबतक 1894 लोग: नक्सलवाद का दंश सबसे ज्यादा झारखंड के आम लोगों को भुगतना पड़ा है. 2001 से लेकर 2023 के मार्च महीने तक नक्सली हिंसा में कुल 1894 आम लोगों ने अपनी जान गवां दिया है. साल 2007 में सबसे ज्यादा 175 लोग नक्सली हिंसा के शिकार हुए थे.

आंकड़ों में नक्सली हिंसा, किस साल में कितने लोगों की गई जान: 2001 में 107, 2002 में 77, 2003 में 93, 2004 में 106, 2005 में 79, 2006 में 93, 2007 में 175, 2008 में 150, 2009 में 138, 2010 में 135, 2011 में 131, 2012 में 124, 2013 में 126, 2014 में 86, 2015 में 47, 2016 में 61, 2017 में 44, 2018 में 27, 2019 में 30, 2020 में 28, 2021 में 16, 2022 में 10, 2023 के अप्रैल महीने में 04 आम नागरिक मारे जा चुके हैं.

Last Updated : Apr 22, 2023, 9:15 AM IST
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