रांची: एक दौर था जब झारखंड की सियासत में जदयू की हिस्सेदारी हुआ करती थी. 2005 के विधानसभा चुनाव में देवघर, मांडू, बाघमारा, तमाड़, डालटनगंज और छत्तरपुर सीट पर पार्टी की जीत हुई थी. लेकिन पांच साल के भीतर 2009 में पार्टी दो सीटों पर सिमट गई. उसके बाद हुए दो चुनावों में पार्टी का खाता तक नहीं खुल पाया. तब से लेकर आजतक यह पार्टी झारखंड में अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाई है. अब इसकी जिम्मेदारी खीरू महतो को दी गई है.
उन्होंने ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह से पार्टी की चुनौतियों और रणनीति पर बात विस्तार से बात की. खीरू महतो ने कहा कि सितंबर 2021 में उन्हें झारखंड जदयू का अध्यक्ष बनाया गया. इसके कुछ माह भी बिहार से राज्यसभा सदस्य बनाया गया. उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के इस फैसले से साफ हो गया है कि झारखंड को लेकर शीर्ष नेतृत्व क्या सोच रहा है. उन्होंने कहा कि बेशक 2014 के बाद पार्टी अपना खाता नहीं खोल पाई. लेकिन 2024 में तस्वीर बदली नजर आएगी. खीरू महतो ने कहा कि वह जिला से लेकर पंचायत स्तर तक संगठन की मजबूती के लिए काम कर रहे हैं. शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें 2024 के लिहाज से तैयारी करने की जिम्मेदारी दी है. जल्द ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष झारखंड का दौरा करेंगे.
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार भी झारखंड आएंगे. समय के साथ पार्टी के तमाम बड़े नेताओं के दूसरे दलों में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं विशुद्ध रूप से समाजवादी हूं. मैंने कभी भी पार्टी नहीं बदली. मैं झारखंड जदयू को सिर्फ पैरों पर खड़ा नहीं करने आया हूं बल्कि जनता का विश्वास जीतकर इसे सत्ता तक ले जाना है. उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड में ओबीसी को सिर्फ 14 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है. सत्ता में आते ही सभी पार्टी पार्टियां इस मुद्दे को बंद बक्से में डाल देती हैं. लेकिन झारखंड जदयू इसके लिए आंदोलन खड़ा करेगा. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार जातीय जनगणना क्यों नहीं करा रही है. पंचायत चुनाव में ओबीसी को आरक्षण क्यों नहीं दिया गया. खीरू महतो ने कहा कि महज कुछ माह के भीतर झारखंड में जदयू की धार दिखने लगेगी.