ETV Bharat / state

झारखंड के जनसेवकों की हड़ताल जारी, अब टेंट तंबू लगाकर नेपाल हाउस सचिवालय के सामने धरने पर बैठे

झारखंड के जनसेवक पिछले 67 दिनों से हड़ताल पर हैं. अब उन्होंने राजभवन से अपना आंदोलन नेपाल हाउस सचिवालय शिफ्ट कर दिया है. उन्होंने नेपाल हाउस के सामने टेंट और तंबू लगाकर मांगें पूरी होने तक वहीं बैठने की घोषणा की है.

Jharkhand jansevak protest
Jharkhand jansevak protest
author img

By

Published : Jul 14, 2023, 4:12 PM IST

देखें वीडियो

रांची: झारखंड में कृषि और अन्य क्षेत्र में सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को धरातल पर उतारने में सहयोग करने वाले राज्यभर के 1500 के करीब जनसेवक पिछले 67 दिन से हड़ताल पर हैं. इस दौरान राजभवन के समक्ष धरना प्रदर्शन के बाद उन्होंने अपना आंदोलन नेपाल हाउस सचिवालय के पास शिफ्ट कर दिया है. रांची के डोरंडा स्थित नेपाल हाउस सचिवालय के सामने टेंट तंबू लगाकर जनसेवक धरना दे रहे हैं. उन्होंने मांगें पूरी होने तक यहीं दिन रात धरना पर बैठने की घोषणा कर दी है.

यह भी पढ़ें: सरकार की एक चिठ्ठी ने रोजगार सेवकों को किया सड़क पर आने को मजबूर, अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए

मुख्य रूप से राज्य के अन्नदाताओं और अधिकारियों के बीच कड़ी का काम करने वाले इन जनसेवकों का आरोप है कि 10 साल सेवा देने के बाद हर किसी का वेतन बढ़ता है. जबकि यहां वेतन ही घटा दिया गया. आंदोलित जनसेवकों ने कहा कि हैरत की बात यह है कि जो दलिल सरकार और विभाग दे रही है, वह भी हास्यास्पद है. कृषि विभाग ने सेवा के 10 साल बाद यह कहकर पे स्केल को घटाया है कि जब 2012-13 में वैकेंसी निकली थी, उस समय विज्ञापन में ही गलत पे स्केल का जिक्र आ गया था, जिसे अब सुधारा गया है.

ग्रेड पे तय करने में 2012 में हुई थी भूल: किसानों और कृषि अधिकारियों के बीच सेतु का काम करने में जनसेवक अहम भूमिका निभाते हैं. गौरतलब है कि राज्य के कृषि निदेशक ने 2012 में बहाल जनसेवकों का ग्रेड पे 2400 से घटा कर दो हजार रुपए कर दिया है. कृषि निदेशक की दलील है कि जनसेवक के पद के अनुसार ग्रेड पे तय करने में 2012 में भूल हुई थी, जिसे सुधारा गया है.

कृषि विभाग के करीब 1500 जनसेवकों का आरोप है कि सरकार उनके साथ नाइंसाफी कर रही है. 10 साल तक जो वेतन मिलता था. उससे अब वेतन 08 से 10 हजार रुपए कम हो गया है. ऐसे में हर जनसेवक आज परेशानी में है. बढ़ती महंगाई, होम लोन, बच्चों की पढ़ाई तक कराने में दिक्कत हो रही है. इस दौर में कोई वेतन में आई इस कमी को बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है.

जनसेवकों के आंदोलन का असर: आंदोलन कर रहे जनसेवक आलोक कुमार सिंह ने कहा कि जनसेवकों के आंदोलन की वजह से कृषि प्रसार, केसीसी निर्माण, खाद एवं बीज वितरण सहित कृषि और अन्य विभागों की योजनाएं प्रभावित हो रही हैं. बावजूद इसके सरकार उनकी मांगों पर चुप्पी साधे बैठी है.

जनसेवकों की मांगें:

  1. जनसेवक संवर्ग के खिलाफ कृषि विभाग द्वारा नियुक्ति नियमावली और ग्रेड पे को पहले जैसा किया जाए.
  2. राज्य के जन सेवकों को पूर्व की भांति तकनीकी पद मानते हुए ग्रेड पे 4200 किया जाए.
  3. 2012 में नियुक्त कृषि जन सेवकों को MACP का लाभ देने की सरकार घोषणा करे.
  4. झारखंड में कृषि शिक्षा परिषद का गठन तत्काल किया जाए और जन सेवकों की वरीयता लिस्ट जारी की जाए.
  5. राज्य के जनसेवक की संपूर्ण सेवा वर्ष 2011-12 जन सेवक भर्ती एवं सेवा शर्त नियमावली के तहत कृषि विभाग को वापिस किया जाए और जनसेवक का नाम बदलकर कृषि प्रसार पर्यवेक्षक किया जाए, क्योंकि पर्यवेक्षकों का पद खाली है.
  6. कृषि जनसेवक संवर्ग को पूर्व की भांति राज्य में होने वाले सीमित पदोन्नति परीक्षा में बैठने की सरकार अनुमति दे.
  7. सभी जिलों में जनसेवकों को वेतन, राजकोष के वेतन हेड 2401 से वेतन भुगतान किया जाए.
  8. कृषि जनसेवक की पदोन्नति प्रखंड कृषि पदाधिकारी एवं समकक्ष सभी पर्यवेक्षक पदों पर समय समय पर करने की नीति बनाई जाए.
  9. राज्य के जन सेवकों को गैर कृषि कार्यों से मुक्त किया जाए.
  10. जनसेवकों के लिए निशुल्क सवैतनिक कृषि स्नातक की पढ़ाई की व्यवस्था की जाए.
  11. 2012 में भर्ती सभी जनसेवकों की पे ग्रेड 2400 से घटा कर 2000 करने का आदेश वापस लिया जाए.

देखें वीडियो

रांची: झारखंड में कृषि और अन्य क्षेत्र में सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को धरातल पर उतारने में सहयोग करने वाले राज्यभर के 1500 के करीब जनसेवक पिछले 67 दिन से हड़ताल पर हैं. इस दौरान राजभवन के समक्ष धरना प्रदर्शन के बाद उन्होंने अपना आंदोलन नेपाल हाउस सचिवालय के पास शिफ्ट कर दिया है. रांची के डोरंडा स्थित नेपाल हाउस सचिवालय के सामने टेंट तंबू लगाकर जनसेवक धरना दे रहे हैं. उन्होंने मांगें पूरी होने तक यहीं दिन रात धरना पर बैठने की घोषणा कर दी है.

यह भी पढ़ें: सरकार की एक चिठ्ठी ने रोजगार सेवकों को किया सड़क पर आने को मजबूर, अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए

मुख्य रूप से राज्य के अन्नदाताओं और अधिकारियों के बीच कड़ी का काम करने वाले इन जनसेवकों का आरोप है कि 10 साल सेवा देने के बाद हर किसी का वेतन बढ़ता है. जबकि यहां वेतन ही घटा दिया गया. आंदोलित जनसेवकों ने कहा कि हैरत की बात यह है कि जो दलिल सरकार और विभाग दे रही है, वह भी हास्यास्पद है. कृषि विभाग ने सेवा के 10 साल बाद यह कहकर पे स्केल को घटाया है कि जब 2012-13 में वैकेंसी निकली थी, उस समय विज्ञापन में ही गलत पे स्केल का जिक्र आ गया था, जिसे अब सुधारा गया है.

ग्रेड पे तय करने में 2012 में हुई थी भूल: किसानों और कृषि अधिकारियों के बीच सेतु का काम करने में जनसेवक अहम भूमिका निभाते हैं. गौरतलब है कि राज्य के कृषि निदेशक ने 2012 में बहाल जनसेवकों का ग्रेड पे 2400 से घटा कर दो हजार रुपए कर दिया है. कृषि निदेशक की दलील है कि जनसेवक के पद के अनुसार ग्रेड पे तय करने में 2012 में भूल हुई थी, जिसे सुधारा गया है.

कृषि विभाग के करीब 1500 जनसेवकों का आरोप है कि सरकार उनके साथ नाइंसाफी कर रही है. 10 साल तक जो वेतन मिलता था. उससे अब वेतन 08 से 10 हजार रुपए कम हो गया है. ऐसे में हर जनसेवक आज परेशानी में है. बढ़ती महंगाई, होम लोन, बच्चों की पढ़ाई तक कराने में दिक्कत हो रही है. इस दौर में कोई वेतन में आई इस कमी को बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है.

जनसेवकों के आंदोलन का असर: आंदोलन कर रहे जनसेवक आलोक कुमार सिंह ने कहा कि जनसेवकों के आंदोलन की वजह से कृषि प्रसार, केसीसी निर्माण, खाद एवं बीज वितरण सहित कृषि और अन्य विभागों की योजनाएं प्रभावित हो रही हैं. बावजूद इसके सरकार उनकी मांगों पर चुप्पी साधे बैठी है.

जनसेवकों की मांगें:

  1. जनसेवक संवर्ग के खिलाफ कृषि विभाग द्वारा नियुक्ति नियमावली और ग्रेड पे को पहले जैसा किया जाए.
  2. राज्य के जन सेवकों को पूर्व की भांति तकनीकी पद मानते हुए ग्रेड पे 4200 किया जाए.
  3. 2012 में नियुक्त कृषि जन सेवकों को MACP का लाभ देने की सरकार घोषणा करे.
  4. झारखंड में कृषि शिक्षा परिषद का गठन तत्काल किया जाए और जन सेवकों की वरीयता लिस्ट जारी की जाए.
  5. राज्य के जनसेवक की संपूर्ण सेवा वर्ष 2011-12 जन सेवक भर्ती एवं सेवा शर्त नियमावली के तहत कृषि विभाग को वापिस किया जाए और जनसेवक का नाम बदलकर कृषि प्रसार पर्यवेक्षक किया जाए, क्योंकि पर्यवेक्षकों का पद खाली है.
  6. कृषि जनसेवक संवर्ग को पूर्व की भांति राज्य में होने वाले सीमित पदोन्नति परीक्षा में बैठने की सरकार अनुमति दे.
  7. सभी जिलों में जनसेवकों को वेतन, राजकोष के वेतन हेड 2401 से वेतन भुगतान किया जाए.
  8. कृषि जनसेवक की पदोन्नति प्रखंड कृषि पदाधिकारी एवं समकक्ष सभी पर्यवेक्षक पदों पर समय समय पर करने की नीति बनाई जाए.
  9. राज्य के जन सेवकों को गैर कृषि कार्यों से मुक्त किया जाए.
  10. जनसेवकों के लिए निशुल्क सवैतनिक कृषि स्नातक की पढ़ाई की व्यवस्था की जाए.
  11. 2012 में भर्ती सभी जनसेवकों की पे ग्रेड 2400 से घटा कर 2000 करने का आदेश वापस लिया जाए.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.