रांची: झारखंड में नक्सलियों के लिए काल साबित हो रही स्पेशल फोर्स झारखंड जगुआर के गठन के 13 साल पूरे हो गए हैं. झारखंड जगुआर की स्थापना दिवस के अवसर पर रांची के टेंडर ग्राम स्थित जगुआर मुख्यालय में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कोविड-19 के गाइडलाइंस का पालन करते हुए यह कार्यक्रम आयोजित की गई है.
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झारखंड जगुआर पर है गर्व
अपने गठन के 13 वर्षों में नक्सलियों को बड़े-बड़े घाव देने वाले झारखंड जगुआर अपना 13वां स्थापना दिवस मना रहा है. नक्सलियों से लोहा लेने वाले इस फोर्स की तुलना आंध्र प्रदेश के ग्रे हाउंड से की जाती है. स्थापना दिवस के अवसर पर रांची के टेंडर ग्राम स्थित हेड क्वार्टर में मुख्य समारोह का आयोजन किया गया. समारोह में झारखंड सरकार के गृह सचिव अरुण एक्का, डीजीपी नीरज सिन्हा, झारखंड जगुआर के आईजी साकेत सिंह समेत झारखंड पुलिस के आला अधिकारी शामिल हुए.
झारखंड जगुआर से विशेष लगाव
स्थापना दिवस के मौके पर झारखंड के डीजीपी नीरज सिंह ने बताया कि न सिर्फ उन्हें, बल्कि झारखंड पुलिस और पूरे राज्य को झारखंड जगुआर पर गर्व है. अपने बलिदान और शौर्य के बल पर इस फोर्स ने बहुत कम समय में अपनी एक अलग पहचान बनाई है, साथ ही झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में केंद्रीय बलों के प्रति निर्भरता भी कम हुई है. झारखंड के डीजीपी नीरज सिंह झारखंड जगुआर के आईजी भी रह चुके हैं. नीरज सिन्हा का कहना है कि उन्हें झारखंड जगुआर से विशेष लगाव है. यह फोर्स भविष्य में और बेहतर होने की ओर अग्रसर है.
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17 जवान दे चुके हैं बलिदान
स्थापना दिवस के अवसर पर झारखंड जगुआर के जवानों ने डेमो के माध्यम से लोगों को यह दर्शाया कि किस विषम परिस्थितियों में वे जंगलों और पहाड़ों के बीच रहकर नक्सलियों से मुकाबला करते हैं. 13 साल के इतिहास में झारखंड जगुआर के जवानों ने कई नक्सलियों को मार गिराया है. कई को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है. नक्सलियो के खिलाफ जंग में अब तक 17 झारखंड जगुआर के जवान वीरगति को प्राप्त हुए हैं.
शहीदों का सम्मान
स्थापना दिवस के अवसर पर झारखंड जगुआर के उन वीर सपूतों के परिवार वालों को भी आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने अपने प्राण को न्यौछावर कर राज्य की रक्षा की. इस अवसर पर उन्हें सम्मानित भी किया गया. झारखंड जगुआर के आईजी साकेत सिंह ने बताया कि हर बार शहीदों के परिवार को आमंत्रित किया जाता है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि साल में एक बार शहीदों के परिवार वालों से मुलाकात हो जाती है. इस दौरान अगर उन्हें कोई समस्या हो तो वह मालूम चल जाता है. हालांकि शहीदों के परिजनों का विशेष खयाल झारखंड जगुआर के अधिकारी रखते हैं. वह कभी भी मिलकर अपनी समस्याएं बता सकते हैं, जिसका समाधान तुरंत निकाला जाएगा.