रांचीः हैलो मैं झारखंड बोल रहा हूं... मैं वही झारखंड बोल रहा हूं, जिसे भगवान बिरसा मुंडा की धरती कहा जाता है. वही झारखंड जो सिदो कान्हू की जन्मस्थली है. हरियाली और खुशहाली जिसका दामन है, सरहुल में मांदर की थाप पर खुश रहने वाला मन हूं. मैं वही झारखंड हूं. मेरे मन में सुगंध फैलाने वाले फूल की हर खुशबू है, लेकिन दामन में लगने वाले दाग से आहत हूं. कर्बला चौक की घटना से मेरा मन मेरे बेदाग अंगड़ाई वाले मिजाज को बोझिल कर रहा है. हर दिन नए रंग में नहाकर लोगों की सेवा का भाव लेकर चलने वाले मुझे कौन दागदार करना चाह रहा है. शायद ये वो हैं जो मेरी और मेरे लोगों की खुशहाली को लेकर खुश नहीं हैं और इसी को रोकना है.. ताकि मेरी फिजा, मेर हर घर-आंगन, दामन और आंचल खुशी से भरा रहे.
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कर्बला चौक की घटना से डर रहा हूं मैं, खूंटी विवाद से विचलितः रांची के कर्बला चौक की घटना से मेरा मन डरा हुआ है, खूंटी के विवाद से मन विचलित है, सोच रहा हूं एक शिकायत कर दूं. लेकिन उस शिकायत को दूर तो आप को ही करना है, आप में ही मैं हूं और मुझसे ही आप झारखंडी. अब तक सामाजिक सौहार्द्र हमारी पहचान थी, हर दरवाजा खुशी से खुलता था, इसकी जिम्मेदारी आपको दिया था. इसलिए मेरी शिकायत आप से है. जब मैं आप में हूं और मुझसे ही आप हैं, हाकिम हुक्काम आप हैं, यहां के नाम आप हैं तो फिर कर्बला चौक और खूंटी क्यों... देश का हर त्योहार मेरी आंचल की कढ़ाई है, जरी-जरदोजी है. होली के रंग से ईद को गले लगाना था और बकरीद पर कुर्बानी हर कुरीति की देना था जो समाज में जहर घोले, दशहरा पर असत्य को हरा कर सत्य को जिताना था, ईसा मसीह की कुर्बानी से सीख लेना था, सब कुछ तो तय किया था हमने फिर यह जो हुआ वह क्यों....
सुन लो मेरी फरियादः मैं इसी बात को लेकर एक बार फिर आप सभी लोगों के पास फरियाद लेकर आया हूं. निवेदन कर रहा हूं. त्योहार आते हैं और चले जाते हैं, आज कोई त्योहार है कल दूसरा होगा, लेकिन सामाजिक समरसता वाला त्योहार तो हर दिन है, आपसी प्रेम वाली होली हर दिन है, मिल्लते मोहब्बत से गले लगाने वाली ईद तो हर दिन है और हर घर तक विकास का उजाला पहुंचा रहे ऐसी दिवाली हर दिन है तो एक किसी दिन के इतनी सारी खुशियों को क्यों खाया जाय. एसे तमाम हर दिन वाले बेहतर रंग को छोड़कर आपसी नाराजगी और नाखुशी वाली बात क्यों की जाए, कर्बला और खूंटी जैसी बात क्यों सोची जाय, यही कहने के लिए मैं बोल रहा हूं, सुन रहे हैं न आप, मैं झारखंड बोल रहा हूं.
कौन लगा रहा मेरे दामन में दागः हम सभी लोगों को यह संकल्प लेना है कि झारखंड के विकास के लिए केवल सबको मिलकर कार्य करना है. सभी को एकजुट रहना है, क्यों कि हम तो पढ़ते ही रहे हैं, मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना. हम तो सीखे ही हैं कि अगर मेरे कारण किसी घर में खुशी आती है तो इससे बेहतर कोई सवाब नहीं है और आपना हिस्सा देकर जिंदगी को खुशी देना है. यह हम सीखते हैं जानते हैं तो फिर सवाल यह है कि मेरे दामन को दागदार कौन कर रहा है.
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विवाद करने वालों को सफल न होने देनाः एक बात साफ-साफ बता दूं.. जो मानवीय मूल्यों को तोड़ते हैं वे मेरा भला नहीं चाहते, सामाजिक लम्बरदारी की ठेकेदारी करने वाले मेरा भला नहीं चाहते, इनसे सजग रहना है और इन्हें अपनी सजगता से सबक भी सिखाना है. इनकी एक भी चाल सफल नहीं होने देना है और इसे जोहार कहने वाले सभी को करना है ताकि समाज बांटने वालों के मुंह में कालिख लग जाय.
सजग रहना है कि ऐसे ही लोगों के कारण ही मेरा दामन दागदार होता है, विवादों से मेरी खुशियों का आंचल मेरे ही आंसुओं से भीग रहा है, मेहंदी वाली कलाई का रंग उड़ रहा है, सजग हो जाइए, जो मेरी खुशियों को ग्रसना चाह रहे हैं, उनका कोई भी इरादा सफल नहीं होने देना है, आप सभी से एकता के लिए एकजुटता के लिए विकास के लिए अनुरोध कर रहा हूं ...मैं झारखंड बोल रहा हूं...... ईटीवी भारत आप सभी से सामाजिक एकजुटता के लिए अपील कर रहा है.