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रांची विश्वविद्यालय के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट गंभीर, रिक्त पदों का मांगा ब्योरा

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Published : Mar 26, 2022, 10:40 AM IST

झारखंड हाई कोर्ट में रांची विश्वविद्यालय के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने मामले को गंभीरता से लिया और विश्वविद्यालय से रिक्त पदों का विस्तृत ब्योरा मांगा है. इसके लिए कोर्ट ने यूनिवर्सिटी को तीन सप्ताह का समय दिया है.

Jharkhand High Court
Jharkhand High Court

रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने रांची विश्वविद्यालय (Ranchi University) से रिक्त पदों का ब्योरा मांगा है. मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए रांची विश्वविद्यालय से रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट ने रांची विश्वविद्यालय को यह बताने को कहा है कि विश्वविद्यालय में कुल सृजित पद कितने हैं, वर्तमान में मौजूद प्रोफेसरों की संख्या कितनी है, कितने पद रिक्त हैं, कितने संविदा पर हैं और कितने स्थायी कर्मी हैं.

इसे भी पढ़ें: जज उत्तम आनंद की मौत मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई, व्हाट्सएप के भारत प्रमुख को प्रतिवादी बनाने का दिया निर्देश

अदलत ने रांची विश्वविद्यालय को तीन सप्ताह का समय दिया है और कहा है कि तीन सप्ताह में यूनिवर्सिटी विस्तृत रिपोर्ट पेश करे. इस संबंध में अनिकेत ओहदार ने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि रांची विश्विद्यालय में संविदा के आधार पर बहाली की जा रही है. जिसकी वजह से रांची यूनिवर्सिटी में रिसर्च और पीएचडी की डिग्री प्राप्त करना लगभग असंभव हो जाएगा. साल 2022 में विश्वविद्यालय में कार्यरत 80 फीसदी प्रोफेसर रिटायर हो जाएंगे. फिर संविदा पर कार्यरत शिक्षक इस तरह के कार्य नहीं करा सकेंगे. फिलहाल रांची विश्वविद्यालय में कुल क्षमता के 40 फीसदी प्रोफेसर ही बचे हैं. इधर संविदा पर 600 रुपये प्रति क्लास और 36,000 रुपये अधिकतम मानदेय पर शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने रांची विश्वविद्यालय (Ranchi University) से रिक्त पदों का ब्योरा मांगा है. मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए रांची विश्वविद्यालय से रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट ने रांची विश्वविद्यालय को यह बताने को कहा है कि विश्वविद्यालय में कुल सृजित पद कितने हैं, वर्तमान में मौजूद प्रोफेसरों की संख्या कितनी है, कितने पद रिक्त हैं, कितने संविदा पर हैं और कितने स्थायी कर्मी हैं.

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अदलत ने रांची विश्वविद्यालय को तीन सप्ताह का समय दिया है और कहा है कि तीन सप्ताह में यूनिवर्सिटी विस्तृत रिपोर्ट पेश करे. इस संबंध में अनिकेत ओहदार ने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि रांची विश्विद्यालय में संविदा के आधार पर बहाली की जा रही है. जिसकी वजह से रांची यूनिवर्सिटी में रिसर्च और पीएचडी की डिग्री प्राप्त करना लगभग असंभव हो जाएगा. साल 2022 में विश्वविद्यालय में कार्यरत 80 फीसदी प्रोफेसर रिटायर हो जाएंगे. फिर संविदा पर कार्यरत शिक्षक इस तरह के कार्य नहीं करा सकेंगे. फिलहाल रांची विश्वविद्यालय में कुल क्षमता के 40 फीसदी प्रोफेसर ही बचे हैं. इधर संविदा पर 600 रुपये प्रति क्लास और 36,000 रुपये अधिकतम मानदेय पर शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है.

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