रांचीः झारखंड हाईकोर्ट ने मनोज कुमार नामक एक शख्स द्वारा फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने आदेश दिया है कि उसे अपने-पिता के भरण-पोषण के लिए 3000 रुपए हर माह देना होगा. न्यायाधीश सुभाष चंद की अदालत ने कहा कि यह तर्क देना कि पिता कुछ कमाता है, यह सही नहीं है. एक पुत्र का पवित्र कर्तव्य है अपने बूढ़े पिता का भरण-पोषण करना. कोर्ट ने माता-पिता के महत्व पर जोर देने के लिए हिंदू धर्मग्रंथों का भी हवाला दिया. उन्होंने कहा कि “यदि आपके माता-पिता खुश हैं तो आप खुशी महसूस करते हैं, यदि वे दुखी हैं तो आप दुखी महसूस करेंगे.
कोर्ट ने कहा पिता तुम्हारा ईश्वर है और मां तुम्हारा स्वरूप है. वे बीज हैं, आप पौधा हैं. आपको अपने माता-पिता के अच्छे और बुरे गुण विरासत में मिलते हैं. एक व्यक्ति पर जन्म लेने के कारण कुछ ऋण होते हैं और इसमें पिता और माता का ऋण भी शामिल होता है, जिसे हमें चुकाना होता है. यह मामला कोडरमा जिला के मरकच्चो थाना क्षेत्र के जादू गांव का है. न्यायाधीश सुभाष चंद की अदालत ने पांच जनवरी 2024 को अपने आदेश में महाभारत के प्रसंग का हवाला देते हुए कहा कि जब युधिष्ठिर से पूछा गया कि पृथ्वी से अधिक शक्तिशाली और स्वर्ग से ऊंचा क्या है, तो उन्होंने उत्तर दिया था कि, “मां पृथ्वी से अधिक वजनदार हैं और पिता स्वर्ग से भी ऊंचा. दरअसल, मनोज कुमार ने 15 मार्च 2023 के कोडरमा स्थित फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. जिसमें कोर्ट ने कहा था कि उसे अपने पिता देवकी साव के भरण-पोषण के लिए हर माह 3000 रुपए देना है.
पिता ने कोर्ट में किया था मामला दायरः पिता देवकी साहू की ओर से बताया गया कि उनके दो बेटे हैं. उन्होंने दोनों बेटों में अपनी जमीन समान रूप से हस्तांतरित कर दी थी. दोनों बेटे अपनी-अपनी जमीन पर खेती करते हैं, लेकिन छोटा बेटा मनोज झगड़ालू स्वभाव का है. वह मारपीट करता है. इसलिए वह पिछले 15 वर्षों से अपने बड़े बेटे प्रदीप कुमार के साथ रह रहे हैं, लेकिन उनका छोटा बेटा मनोज कुमार उनका भरण-पोषण नहीं कर रहा था और अलग रह रहा था. वह खेती से हर साल करीब दो लाख रुपए कमाता है. साथ ही गांव में राशन की दुकान से अच्छी कमाई करता है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके छोटे बेटे ने उन्हें अपमानित किया और मारपीट की. छोटे बेटे ने तर्क दिया कि वह अपने पिता की उपेक्षा नहीं कर रहा है. उसके पिता की कृषि भूमि और ईंट भट्ठे से आमदनी होती है. उनके पिता अपना भरण-पोषण करने में सक्षम हैं, लेकिन उन्होंने परेशान करने के लिए कोर्ट में मामला दायर कर दिया.
हाईकोर्ट ने जताई नाराजगीः अदालत ने मनोज की दलीलों पर असहमति जताते हुए कहा कि उसके पिता के पास कुछ कृषि भूमि है, लेकिन वह खेती करने में सक्षम नहीं हैं और पूरी तरह से अपने बड़े बेटे पर आश्रित हैं. दलील जो भी दी जाए, लेकिन सच यह है कि अपने वृद्ध पिता का भरण-पोषण करना एक बेटे का पवित्र कर्तव्य है. यह कहते हुए अदालत में फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए चुनौती याचिका को खारिज कर दिया.
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