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रतन हाइट्स के खाली प्लॉट पर नहीं बनेगी बिल्डिंग, सोसायटी को हैंडओवर होगी जमीन, हाईकोर्ट ने नक्शा किया रद्द - रतन हाइट्स की जमीन पर निर्माण नहीं

झारखंड हाईकोर्ट ने रतन हाइट्स की खाली जमीन पर बिल्डिंग नहीं बनाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने वीकेएस बिल्डर के नक्शा को रद्द करते हुए जमीन सोसायटी को हैंडओवर करने का भी आदेश दिया है.

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Published : Jul 13, 2023, 8:19 PM IST

रांची: मोरहाबादी के रतन हाइट्स रेसिडेंसियल सोसायटी को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. जबकि वीकेएस बिल्डर को बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि सोसायटी की खाली जमीन पर बन रहा बिल्डिंग सही नहीं है. कोर्ट ने रांची नगर निगम से स्वीकृत नक्शा को भी गलत बताते हुए रद्द कर दिया है. कोर्ट ने उस जमीन पर किसी तरह का निर्माण नहीं करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि अगर उस जमीन पर कुछ भी किया गया है तो उसे हटाया जाए और उसे पूर्व की तरह समतल बनाकर सोसायटी को वापस किया जाए.

ये भी पढ़ें- Illegal construction in Ranchi: देखते ही देखते जमींदोज हो गई कार, देखिए LIVE वीडियो!

दरअसल, रांची के मोराबादी में वीकेएस बिल्डर द्वारा कमर्शियल सह आवासीय अपार्टमेंट के निर्माण के लिए गड्ढा किया गया था. उसी दौरान रात में बारिश होने पर पास में खड़ी एक कार गड्ढे में समा गई थी. इस निर्माण की वजह से रतन हाइट्स रेसिडेंशियल सोसायटी को खतरा हो सकता था. इसका हवाला देते हुए सोसायटी ने हाईकोर्ट में याचिका दी थी. इस मामले में लंबे समय से दोनों पक्ष की ओर से दलील रखी जा रही थी. पिछले दिनों हाईकोर्ट ने इसपर फैसला सुरक्षित रख लिया था. 13 जुलाई को न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत ने सोसायटी के पक्ष में फैसला सुनाया. साथ ही जिस जमीन पर निर्माण कार्य होना था, उसे सोसायटी को वापस करने का आदेश दे दिया. पूर्व में नगर निगम की ओर से संशोधित नक्शा स्वीकृत कर पेश किया गया था. उसे भी हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है.

कोर्ट के फैसले के वक्त वीकेएस बिल्डर की ओर से पूर्व महाधिवक्ता अनिल सिन्हा समेत कई वकील थे. दूसरी तरफ नगर निगम की ओर से शेखर सौरभ समेत कई वकील थे. जानकारी के मुताबिक मोरहाबादी के जिस प्लॉट पर बिल्डिंग निर्माण की कवायद चल रही थी, उस प्लॉट का कुल एरिया 86 कट्ठा का था. इसमें से 46 कट्ठा खाली जमीन थी. इसी जमीन पर बिल्डर निर्माण कर रहा था. लेकिन शेष 40 कट्ठा क्षेत्र में रतन हाइट्स रेसिडेंशियल सोसायटी है. जहां बड़ी संख्या में लोग रहते हैं. जमीन मालिक से एग्रीमेंट के मुताबिक शेष जमीन पर भी सोसायटी का ही हक था. लेकिन बिल्डर ने जमीन मालिक से समझौता कर बिल्डिंग बनाने की कवायद शुरू की थी. लेकिन गड्ढा खोदने के दौरान ही हादसा होने पर यह मामला जोरशोर से सुर्खियों में आया था.

रांची: मोरहाबादी के रतन हाइट्स रेसिडेंसियल सोसायटी को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. जबकि वीकेएस बिल्डर को बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि सोसायटी की खाली जमीन पर बन रहा बिल्डिंग सही नहीं है. कोर्ट ने रांची नगर निगम से स्वीकृत नक्शा को भी गलत बताते हुए रद्द कर दिया है. कोर्ट ने उस जमीन पर किसी तरह का निर्माण नहीं करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि अगर उस जमीन पर कुछ भी किया गया है तो उसे हटाया जाए और उसे पूर्व की तरह समतल बनाकर सोसायटी को वापस किया जाए.

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दरअसल, रांची के मोराबादी में वीकेएस बिल्डर द्वारा कमर्शियल सह आवासीय अपार्टमेंट के निर्माण के लिए गड्ढा किया गया था. उसी दौरान रात में बारिश होने पर पास में खड़ी एक कार गड्ढे में समा गई थी. इस निर्माण की वजह से रतन हाइट्स रेसिडेंशियल सोसायटी को खतरा हो सकता था. इसका हवाला देते हुए सोसायटी ने हाईकोर्ट में याचिका दी थी. इस मामले में लंबे समय से दोनों पक्ष की ओर से दलील रखी जा रही थी. पिछले दिनों हाईकोर्ट ने इसपर फैसला सुरक्षित रख लिया था. 13 जुलाई को न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत ने सोसायटी के पक्ष में फैसला सुनाया. साथ ही जिस जमीन पर निर्माण कार्य होना था, उसे सोसायटी को वापस करने का आदेश दे दिया. पूर्व में नगर निगम की ओर से संशोधित नक्शा स्वीकृत कर पेश किया गया था. उसे भी हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है.

कोर्ट के फैसले के वक्त वीकेएस बिल्डर की ओर से पूर्व महाधिवक्ता अनिल सिन्हा समेत कई वकील थे. दूसरी तरफ नगर निगम की ओर से शेखर सौरभ समेत कई वकील थे. जानकारी के मुताबिक मोरहाबादी के जिस प्लॉट पर बिल्डिंग निर्माण की कवायद चल रही थी, उस प्लॉट का कुल एरिया 86 कट्ठा का था. इसमें से 46 कट्ठा खाली जमीन थी. इसी जमीन पर बिल्डर निर्माण कर रहा था. लेकिन शेष 40 कट्ठा क्षेत्र में रतन हाइट्स रेसिडेंशियल सोसायटी है. जहां बड़ी संख्या में लोग रहते हैं. जमीन मालिक से एग्रीमेंट के मुताबिक शेष जमीन पर भी सोसायटी का ही हक था. लेकिन बिल्डर ने जमीन मालिक से समझौता कर बिल्डिंग बनाने की कवायद शुरू की थी. लेकिन गड्ढा खोदने के दौरान ही हादसा होने पर यह मामला जोरशोर से सुर्खियों में आया था.

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