रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के नए भवन निर्माण मामले में दायर याचिका पर न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा की अदालत में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद एसीबी के डीजी को इस मामले में प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया है.
इसे भी पढ़ें- झारखंड हाई कोर्ट के नए भवन निर्माण पर अदालत नाराज, कहा- रोड़ा डालने वाले मंत्री हों या अधिकारी सब पर होगी कार्रवाई
इसके अलावा हाई कोर्ट ने एसीबी के डीजी को सील बंद रूप से हाई कोर्ट नए भवन निर्माण से संबंधित मूल्य संचिका अदालत में पेश करने को कहा है. इस मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी.
अदालत में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने पक्ष रखते हुए कहा कि पूर्व में अदालत की ओर से हाई कोर्ट निर्माण से संबंधित मूल दस्तावेज पेश करने को कहा था. लेकिन हमें माफ कर दिया जाए, हम वह दस्तावेज पेश नहीं कर पा रहे हैं. क्योंकि हाई कोर्ट निर्माण मामले में सरकार की ओर से जांच का जिम्मा एसीबी को सौंपा गया है. इसलिए इससे संबंधित फाइल भी एसीबी के पास हैं. ऐसे में सरकार उस फाइल को अदालत में पेश नहीं कर सकती है.
अदालत ने महाधिवक्ता के जवाब सुनने के बाद मामले की जांच कर रही एसीबी के डीजी को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया है. एसीबी को सील बंद रूप से मूल्य संचिका अदालत में पेश करने का आदेश दिया है. अगली सुनवाई के दौरान उन्हें यह मूल्य संचिका अदालत में पेश करना है.
इसे भी पढ़ें- हाई कोर्ट के नए भवन निर्माण में देरी पर जज ने जताई नाराजगी, 26 फरवरी तक टेंडर प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश
राज्य सरकार की ओर से अदालत को जानकारी दी गई कि हाई कोर्ट ने भवन निर्माण से संबंधित निविदा निकालने की तैयारी पूरी कर ली गई है. सितंबर महीने में निविदा की पूरी प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी. हाई कोर्ट के बाकी बचे निर्माण कार्य 11 महीने में पूरी कर ली जाएगी. सरकार की ओर से यह भी बताया गया कि इसकी मॉनिटरिंग करने के लिए 4 सदस्य समिति का गठन किया गया है. जिसमें झारखंड सरकार के भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता पथ निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता, पेयजल विभाग के मुख्य अभियंता और ऊर्जा विभाग के मुख्य अभियंता को समिति का सदस्य बनाया गया है. यह समिति निर्माण कार्य की मॉनिटरिंग करती रहेगी.