रांची: रेमडेसिविर कालाबाजारी जांच मामले में हाई कोर्ट की ओर से लिए गए स्वतः संज्ञान मामले में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने जांच कर रहे पदाधिकारी से जांच के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी. जांच पदाधिकारी की ओर से दिए गए जवाब पर अदालत संतुष्ट नहीं हुई. जांच पदाधिकारी के जवाब में विरोधाभास पर अदालत ने नाराजगी जताई. साथ ही जांच पदाधिकारी को एसआईटी से संबंधित सभी मूल दस्तावेज अदालत में पेश करने का निर्देश दिया. वहीं जांच कर रहे एडीजी अनिल पलटा अदालत में पेश नहीं हुए. अदालत को बताया गया कि एडीजी किसी कार्य से दिल्ली गए हैं. इस पर झारखंड हाई कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई की तारीब 15 जुलाई तय कर दी.
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झारखंड हाई कोर्ट के एक अधिवक्ता ने बताया कि झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले के जांच के बिंदु पर सुनवाई हुई. न्यायाधीश अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता ने अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में मामले की सुनवाई के दौरान रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले की जांच कर रहे एक जांच पदाधिकारी उपस्थित हुए. उन्होंने अदालत को बताया कि जांच का नेतृत्व कर रहे एडीजी अनिल पालटा किसी कार्य से दिल्ली गए हैं, जिसके कारण वे सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं हो सकते हैं. इस पर अदालत ने उन्हें यह छूट दे दी.
जांच की अद्यतन स्थिति बताओ
सुनवाई के दौरान अदालत ने केस के जांच के बिंदु पर जांच पदाधिकारी से मौखिक रूप से पूछा कि जांच की अद्यतन स्थिति क्या है? पदाधिकारी ने बताया कि जांच चल रही है. अदालत ने जांच में जानना चाहा कि ग्रामीण एसपी को उसमें कैसे गवाह बनाया गया है? इस पर पदाधिकारी ने जो जवाब दिया, उससे असंतुष्ट कोर्ट ने नाराजगी जताई. इस पर कोर्ट ने मामले की जांच संबंधी एसआईटी गठन से लेकर अब तक की पूरी जांच रिपोर्ट मूल दस्तावेज के साथ अदालत में पेश करने करने के निर्देश दिए.
यह है पूरा मामला
बता दें कि दवा रेमडेसिविर का कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान जमकार कालाबाजारी की गई थी. इसकी जानकारी पर झारखंड हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था और जनहित याचिका पर सुनवाई प्रारंभ की थी. इस मामले की सुनवाई के दौरान पूर्व में अदालत ने मामले की सीआईडी से जांच कराने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के उसी आदेश के आलोक में मामले की जांच सीआईडी कर रही थी. इसके बाद एसआईटी का गठन कर दिया गया. वर्तमान में एसआईटी उसकी जांच कर रही है. अदालत ने जांच पदाधिकारी को हाजिर होकर जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा था.