रांची: झारखंड सरकार ने जनहित का हवाला देते हुए एक बड़ा फैसला लिया है. पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के कार्यकाल में बिजली की बकाया राशि की वसूली को लेकर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय, आरबीआई और राज्य सरकार के बीच हुए समझौते से झारखंड सरकार ने खुद को अलग करने का फैसला ले लिया है. इस प्रस्ताव पर कैबिनेट ने भी मुहर लगा दी है.
कैबिनेट की बैठक के बाद ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार ने बताया कि झारखंड एक पिछड़ा राज्य है, इस समझौते की वजह से पिछले दिनों 15वें वित्त आयोग के तहत मिलने वाली राशि काटी गई थी, जिसका इस्तेमाल अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने के लिए किया जाना था, इस राशि के काटे जाने से आम लोग प्रभावित हो रहे थे, लिहाजा विधिक प्रावधान के तहत यह पाया गया कि जो समझौता हुआ था वह एकपक्षीय था, इसी आधार पर राज्य सरकार ने त्रिपक्षीय समझौते से खुद को अलग करने का फैसला लिया है और इस पर कैबिनेट ने अपनी स्वीकृति दी है.
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बिजली के बकाया मद के लिए हुआ था त्रिपक्षीय समझौता
आपको बता दें कि डीवीसी ने बिजली के बकाया मद में 5608.32 करोड रुपए की वसूली के लिए पूर्वर्ती रघुवर सरकार के समय त्रिपक्षीय समझौता किया था. तय समय पर किस्त नहीं देने पर आरबीआई में राज्य सरकार के खाते से 1417.50 करोड़ रुपए की पहली किस्त निकाल ली गई थी, इसी महीने दूसरी किस्त भी निकाली जानी थी, इस बीच हेमंत सरकार ने पूर्व में किए गए समझौते से खुद को अलग करने का फैसला ले लिया.