नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर इस्लामाबाद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के बाद बुधवार शाम को पाकिस्तान की यात्रा खत्म कर दिल्ली लौट आए. इस्लामाबाद से रवाना होने के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने खातिरदारी के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और विदेश मंत्री इशाक डार का आभार जताया.
उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "इस्लामाबाद से रवाना हो रहा हूं. आवभगत और शिष्टाचार के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, उप-प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री इशाक डार और पाकिस्तान सरकार का आभार व्यक्त करता हूं."
Departing from Islamabad. Thank PM @CMShehbaz, DPM & FM @MIshaqDar50 and the Government of Pakistan for the hospitality and courtesies. pic.twitter.com/wftT91yrKj
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) October 16, 2024
इससे पहले दिन में, इस्लामाबाद में एससीओ परिषद के शासनाध्यक्षों की 23वीं बैठक में अपने संबोधन में जयशंकर ने आत्मनिरीक्षण करने का आह्वान किया कि क्या दोनों देशों के बीच मित्रता में कमी आई है या अच्छे पड़ोसी होने की कमी है. उन्होंने कहा कि अगर विश्वास की कमी है या सहयोग पूरा नहीं है, अगर मित्रता में कमी आई है और अच्छे पड़ोसी की भावना नहीं है तो निश्चित रूप से आत्मनिरीक्षण करने और समाधान निकालने की जरूरत है.
एससीओ बैठक में भारत ने चीन की महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड पहल (बीआरआई) का समर्थन करने से इनकार कर दिया. भारत एससीओ में एकमात्र देश है, जिसने विवादास्पद कनेक्टिविटी परियोजना बीआरआई का समर्थन नहीं किया है.
सम्मेलन के अंत में जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि रूस, बेलारूस, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने चीनी कनेक्टिविटी पहल के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की है. भारत पहले भी आयोजित एससीओ बैठकों में चीन की बीआरआई परियोजना का समर्थन नहीं करने के अपने रुख पर कायम रहा है.
एससीओ शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि ऋण गंभीर चिंता का विषय है लेकिन उन्होंने इस पर और विस्तार से बात नहीं की. उन्होंने कहा कि देशों के बीच परस्पर कनेक्टिविटी नई दक्षताएं पैदा कर सकती है. लेकिन सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए. इसमें क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दी जानी चाहिए. इसे वास्तविक भागीदारी पर बनाया जाना चाहिए, न कि यह एकतरफा एजेंडे पर आधारित हो. अगर हम वैश्विक प्रथाओं, खासकर व्यापार और पारगमन को ही चुनेंगे तो यह प्रगति नहीं कर सकता.
भारत कई कारणों से चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) की आलोचना करता रहा है. प्रमुख कारणों में संप्रभुता, ऋण स्थिरता और परियोजनाओं में पारदर्शिता की कमी के मुद्दे शामिल हैं. नई दिल्ली का तर्क है कि कुछ BRI परियोजनाएं, विशेष रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), भारत की क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती हैं, क्योंकि वे भारत के दावे वाले क्षेत्रों से होकर गुजरती हैं.
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