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झारखंड के प्रवासी मजदूरों की जिंदगी से हो रहा खिलवाड़, BRO कर रहा वादा खिलाफी, राज्य सरकार ने मांगा जवाब

झारखंड के सैकड़ों मजदूर बीआरओ के प्रोजेक्ट (BRO Projects) में काम करते हैं. मजदूरों के साथ शोषण नहीं हो और न्यूनतम मजदूरी मिले. इसे लेकर राज्य सरकार और बीआरओ के बीच एक समझौता हुआ है, लेकिन BRO अपने स्टैंड से मुकर रहा है. अब श्रम विभाग ने बीआरओ को चिट्ठी भेजकर चार बिंदुओं पर जवाब मांगा है.

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झारखंड के प्रवासी मजदूरों की जिंदगी से हो रहा खिलवाड़
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Published : Jul 17, 2021, 10:46 PM IST

Updated : Jul 18, 2021, 6:07 AM IST

रांचीः साल 2020 में जब कोरोना का पहला वेव आया था, तो बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (Border Road Organization) के लिए लेह-लद्दाख में सड़क-ब्रिज का काम करने गए प्रवासी मजदूरों को हवाई जहाज से झारखंड वापस लाया गया था. हेमंत सरकार के इस पहल की चौतरफा सराहना हुई थी. वापस लौटे मजदूरों ने बताया था कि किस तरह शोषण और प्रताड़ित किया जाता था. झारखंड के मजदूरों का शोषण नहीं हो. इसको ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) की पहल पर BRO और दुमका जिला प्रशासन के साथ कुछ बिंदुओं पर म्युचुअल सहमति बनी थी, जिसका मकसद था कि मजदूरों को केजुअल पेड लेबर और सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलें. लेकिन, BRO अपने स्टैंड से मुकर चुका है. धड़ल्ले से मेठ के जरिए मजदूरों को ले जाया जा रहा है. इसकी जानकारी दुमका जिला प्रशासन को भी नहीं दी जा रही है.

यह भी पढ़ेंःबीआरओ के लिए काम करेंगे झारखंड के 11 हजार श्रमिक

जून 2020 को इन बिंदुओं पर बनी थी सहमति

  • BRO एक संस्थान की तरह राज्य सरकार में रजिस्ट्रेशन कराकर प्रवासी मजदूरों का चयन करेगा. इस चयन में ठेकेदार या मेठ की कोई भूमिका नहीं रहेगी
  • राज्य सरकार के साथ BRO एक एमओयू करेगा
  • झारखंड के मजदूरों के चयन के दौरान इंटर स्टेट माइग्रेंट वर्कमेन-1979 के नियमों का पालन करना होगा, ताकि मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिल सके
  • 13 जून 2020 को 11,815 मजदूरों को काम पर ले जाने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और बीआरओ के उपमहानिदेशक की मौजूदगी में दुमका जिला प्रशासन और बीआरओ के साथ चयन की शर्तों पर हस्ताक्षर हुआ था

श्रम विभाग ने बीआरओ को भेजी चिट्ठी

राज्य सरकार की तरफ से BRO के नाम भेजी गई चिट्ठी के जरिए इस बात पर आपत्ति जतायी गई है कि पूर्व में हुए समझौते को नजरअंदाज कर मजदूरों को मेठ के जरिए सड़क बनवाने के लिए ले जाया जा रहा है. यही नहीं मेठ के जरिए मजदूरों का शोषण हो रहा है. रक्षा मंत्रालय की एक अंटरटेकिंग संस्था होने के बावजूद बीआरओ गैर जिम्मेदाराना व्यवहार कर रहा है. इस बात पर भी आपत्ति जताई गई है कि मजदूरों को ना तो समय पर पारिश्रमिक मिल रहा हैं और ना सामाजिक सुरक्षा का लाभ. श्रम विभाग के सचिव प्रवीण कुमार टोप्पो ने बीआरओ के डीजी लेफ्टीनेंट जनरल राजीव चौधरी को पत्र लिखकर चार बिंदुओं पर जवाब मांगा है.

इन बिंदुओं पर मांगा जवाब

  • BRO कब तक एक रोजगार प्रतिष्ठान की तरह इंटर स्टेट माइग्रेंट वर्कमेन एक्ट-1979 के प्रावधानों का पालन करते हुए मजदूरों के चयन के बाबत रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन देगा
  • झारखंड के मजदूरों पर केजुअल पेड लेबर के प्रावधान लागू करने के लिए बीआरओ कब तक ड्राफ्ट तैयार करेगा, ताकि एमओयू पर हस्ताक्षर हो सके
  • 1 मार्च 2020 से 30 जून 2021 के बीच बीआरओ के अलग-अलग प्रोजेक्ट में काम के दौरान कितने मजदूरों की मौत हुई है. कितने मजदूर के आश्रमितों को 5 लाख का मुआवजा दिया गया है
  • बीआरओ के अलग-अलग प्रोजेक्ट्स से झारखंड के कितने मजदूर जुड़े हुए हैं. मजदूरों को कितनी मासिक मजदूरी और किस-किस तरह की सुविधाएं दी जा रही है

रांचीः साल 2020 में जब कोरोना का पहला वेव आया था, तो बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (Border Road Organization) के लिए लेह-लद्दाख में सड़क-ब्रिज का काम करने गए प्रवासी मजदूरों को हवाई जहाज से झारखंड वापस लाया गया था. हेमंत सरकार के इस पहल की चौतरफा सराहना हुई थी. वापस लौटे मजदूरों ने बताया था कि किस तरह शोषण और प्रताड़ित किया जाता था. झारखंड के मजदूरों का शोषण नहीं हो. इसको ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) की पहल पर BRO और दुमका जिला प्रशासन के साथ कुछ बिंदुओं पर म्युचुअल सहमति बनी थी, जिसका मकसद था कि मजदूरों को केजुअल पेड लेबर और सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलें. लेकिन, BRO अपने स्टैंड से मुकर चुका है. धड़ल्ले से मेठ के जरिए मजदूरों को ले जाया जा रहा है. इसकी जानकारी दुमका जिला प्रशासन को भी नहीं दी जा रही है.

यह भी पढ़ेंःबीआरओ के लिए काम करेंगे झारखंड के 11 हजार श्रमिक

जून 2020 को इन बिंदुओं पर बनी थी सहमति

  • BRO एक संस्थान की तरह राज्य सरकार में रजिस्ट्रेशन कराकर प्रवासी मजदूरों का चयन करेगा. इस चयन में ठेकेदार या मेठ की कोई भूमिका नहीं रहेगी
  • राज्य सरकार के साथ BRO एक एमओयू करेगा
  • झारखंड के मजदूरों के चयन के दौरान इंटर स्टेट माइग्रेंट वर्कमेन-1979 के नियमों का पालन करना होगा, ताकि मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिल सके
  • 13 जून 2020 को 11,815 मजदूरों को काम पर ले जाने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और बीआरओ के उपमहानिदेशक की मौजूदगी में दुमका जिला प्रशासन और बीआरओ के साथ चयन की शर्तों पर हस्ताक्षर हुआ था

श्रम विभाग ने बीआरओ को भेजी चिट्ठी

राज्य सरकार की तरफ से BRO के नाम भेजी गई चिट्ठी के जरिए इस बात पर आपत्ति जतायी गई है कि पूर्व में हुए समझौते को नजरअंदाज कर मजदूरों को मेठ के जरिए सड़क बनवाने के लिए ले जाया जा रहा है. यही नहीं मेठ के जरिए मजदूरों का शोषण हो रहा है. रक्षा मंत्रालय की एक अंटरटेकिंग संस्था होने के बावजूद बीआरओ गैर जिम्मेदाराना व्यवहार कर रहा है. इस बात पर भी आपत्ति जताई गई है कि मजदूरों को ना तो समय पर पारिश्रमिक मिल रहा हैं और ना सामाजिक सुरक्षा का लाभ. श्रम विभाग के सचिव प्रवीण कुमार टोप्पो ने बीआरओ के डीजी लेफ्टीनेंट जनरल राजीव चौधरी को पत्र लिखकर चार बिंदुओं पर जवाब मांगा है.

इन बिंदुओं पर मांगा जवाब

  • BRO कब तक एक रोजगार प्रतिष्ठान की तरह इंटर स्टेट माइग्रेंट वर्कमेन एक्ट-1979 के प्रावधानों का पालन करते हुए मजदूरों के चयन के बाबत रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन देगा
  • झारखंड के मजदूरों पर केजुअल पेड लेबर के प्रावधान लागू करने के लिए बीआरओ कब तक ड्राफ्ट तैयार करेगा, ताकि एमओयू पर हस्ताक्षर हो सके
  • 1 मार्च 2020 से 30 जून 2021 के बीच बीआरओ के अलग-अलग प्रोजेक्ट में काम के दौरान कितने मजदूरों की मौत हुई है. कितने मजदूर के आश्रमितों को 5 लाख का मुआवजा दिया गया है
  • बीआरओ के अलग-अलग प्रोजेक्ट्स से झारखंड के कितने मजदूर जुड़े हुए हैं. मजदूरों को कितनी मासिक मजदूरी और किस-किस तरह की सुविधाएं दी जा रही है
Last Updated : Jul 18, 2021, 6:07 AM IST
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