रांची: वर्तमान सरकार के अंतिम जनसंवाद कार्यक्रम के जरिए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आम लोगों से जुड़ी 13 शिकायतों का ऑन स्पॉट निपटारा किया. इस दौरान मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि 1 मई 2015 को सीएम जनसंवाद शुरू हुआ था, इसके जरिए पता चला कि निचले स्तर पर पदाधिकारियों की अपनी जिम्मेदारी के प्रति लापरवाही के कारण लोगों को परेशानी होती है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि शुरुआती दौर में जगह-जगह ट्रांसफार्मर के खराब होने की शिकायतें आती थीं, इसे देखते हुए सरकार ने 300 करोड़ के ट्रांसफॉर्मर खरीदे और अब जहां भी ट्रांसफॉर्मर जल जाते हैं, वहां 24 घंटे के भीतर उन्हें बदल दिया जाता है. उन्होंने कहा कि जन संवाद में अब तक जितने भी मामले आए हैं उनमें से 92% समस्याओं का समाधान हुआ है. इस वजह से जनता का सरकार पर विश्वास बढ़ा है और यह बताता है कि झारखंड में गुड गवर्नेंस है. मुख्यमंत्री ने कहा कि अब नए साल में नयी सरकार के माध्यम से समस्याओं का समाधान करेंगे.
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'आपके डर से मेरा काम हो गया'
जनसंवाद कार्यक्रम के समापन के दौरान अपने संबोधन में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि इन दिनों वह जगह-जगह जन चौपाल लगाकर लोगों से सीधी बात कर रहे हैं. जिसमें कई लोगों ने उनसे कहा कि आपके डर से मेरा काम हो गया. सीएम के कहने का मतलब था कि आम लोगों की समस्याएं जब जनसंवाद में आती हैं, तो संबंधित अधिकारी और पदाधिकारी हरकत में आते हैं और उन समस्याओं का समाधान करते हैं. आम लोगों की इस भावना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि निचले स्तर पर पदाधिकारियों को जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनशील बनना होगा.
समस्याओं के निदान में जनसंवाद ने स्थापित किया कीर्तिमान
सीधी बात कार्यक्रम शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील कुमार वर्णवाल ने जन संवाद के फायदे गिनाए. उन्होंने कहा कि 1 मई 2015 को जन संवाद की जर्नी शुरू हुई थी, 4 लाख 15 हजार मामलों में से 92 प्रतिशत का समाधान हुआ. पहले जनता दरबार होता था, इसमें वक्त लगता था, लेकिन अब लोग घर बैठे शिकायत करते हैं. संतुष्ट होने तक शिकायतों को निष्पादित नहीं माना जाता. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 57 बार मुख्यमंत्री जन संवाद कार्यक्रम हुआ. इसमें से 52 बार मुख्यमंत्री पहुंचे और लोगों की समस्याओं पर जरूरी दिशा निर्देश दिए.
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'दे दो दिवाली गिफ्ट'- रघुवर दास
जन संवाद में पश्चिमी सिंहभूम जगन्नाथपुर निवासी राकेश हेंब्रम ने हाट गम्हरिया में तैनात अपने आदेशपाल पिता के कार्य के दौरान मृत्यु का मामला उठाया. उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि पिता की मौत के बाद उनके परिवारों को न ही नौकरी मिली और न ही पेंशन. इस पर विभागीय अधिकारियों ने कहा कि पारिवारिक पेंशन की प्रक्रिया पूरी हो गई है. काफी देर तक अधिकारियों के बीच कायदे कानून के मंथन के बाद यह बात सामने आई कि उसे अनुकंपा पर नौकरी मिल सकती है, तब सीएम ने कहा कि इसे दिवाली गिफ्ट दे दो.
सीएम ने गव्य पदाधिकारी को लगाई फटकार
जनसंवाद में रांची की पिको देवी ने मामला उठाया उन्हें मवेशी वितरण कार्यक्रम के तहत दो गाय खरीदने के लिए योग्य बताया गया था और एक गाय के लिए राशि भी मिल गई थी, लेकिन 3 साल बीतने के बाद भी दूसरे गाय खरीदने के लिए राशि नहीं मिली. यह सुनते ही सीएम नाराज हो गए और उन्होंने गव्य पदाधिकारी को फटकार लगाई. इस दौरान कृषि विभाग की सचिव पूजा सिंघल और सीएम के प्रधान सचिव सुनील कुमार वर्णवाल के बीच नियम को लेकर बातचीत हुई, तब सीएम ने साफ तौर पर कहा कि यह काम गव्य पदाधिकारी का है ना कि डीसी का. सीएम ने विभागीय सचिव को कहा कि अविलंब पत्र निकालकर सभी गव्य पदाधिकारियों को गांव में जाकर जिनके-जिनके भी मामले लटके पड़े हैं उन्हें ऑन स्पॉट निपटाने को कहें.
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जनसंवाद में उठा छात्रवृत्ति और प्रमाण पत्र का मामला
जनसंवाद में बोकारो से जुड़ा एक मामला आया. इसके तहत कहा गया कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 100 विद्यार्थियों ने सत्र 2016 अट्ठारह में बोकारो प्राइवेट आईटीआई सीआईएसएफ कैंपस से आईटीआई सिस्टम ट्रेनिंग किया था, लेकिन अब तक छात्रों को छात्रवृत्ति और प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है. इस पर सीएम ने उद्योग विभाग के सचिव को कहा कि मामले को गंभीरता से देखें और इसका जल्द निदान करें. इस मामले पर चर्चा के दौरान शिकायतकर्ता ने कहा कि बाघमारा के विधायक ने मामले को लटकाने वाले बोकारो के पदाधिकारियों को फोन पर धमकाया भी था. शिकायतकर्ता के यह कहते ही जनसंवाद कार्यक्रम में हंसी का माहौल बन गया.
धनबाद में करीब 3 साल पहले राम बाल विकास परियोजना कार्यालय टुंडी में पर्यवेक्षिका के पद पर कार्यरत रामावती कुमारी की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी, जिसके बाद मुआवजा राशि नहीं मिलने पर उनके पति ने रो रो कर अपनी पीड़ा सुनाई. इस पर अधिकारियों ने नियम कानून को लेकर काफी माथापच्ची की बाद में सीएम ने कहा कि पीड़ित को सीएम विवेकाधीन से अविलंब एक लाख रु दें, साथ ही यह भी तय हुआ कि सरकारी कार्यालयों में अनुबंध कर्मियों का बीमा भी सुनिश्चित कराएं, ताकि कार्य के दौरान हादसा होने पर पीड़ित परिवार को सहयोग राशि मिल सके.