रांचीः झारखंड में ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं का जिला स्तर पर मॉनिटरिंग करने वाली एजेंसी जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (DRDA) के कर्मचारियों-अधिकारियों के लिए ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने बड़ा ऐलान किया है. रविवार को उन्होंने अपने आवास पर बकाया वेतन भुगतान और सेवा स्थायीकरण की मांग करने आये DRDA कर्मियों से बातचीत की. इसके बाद उन्होंने कहा कि एक महीने के अंदर राज्यभर के DRDA कर्मियों को 10 महीने के बकाया वेतन का भुगतान कर दिया जाएगा और आगे से हर महीने वेतन मिले इसकी व्यवस्था की जा रही है.
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अपने रांची स्थित आवास पर मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि DRDA के लिए केंद्र से मिलने वाले अंशदान को भारत सरकार ने रोक दिया है. इसके बावजूद राज्य की हेमंत सरकार यह मानती है कि DRDA कर्मियों का ग्रामीण विकास की योजनाओं को सफलतापूर्वक धरातल पर उतारने में अहम भूमिका होती है. इसलिए सरकार अपने स्तर से राज्य के 350 से अधिक DRDA कर्मियों का वेतन भुगतान करेगी. इसके साथ ही हर जिला के जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (DRDA) का विलय संबंधित जिले के जिला परिषद में किया जाएगा ताकि DRDA कर्मी बेरोजगार न हों और वह ग्रामीण विकास की योजनाओं को लेकर अपना काम पूर्व की भांति जारी रखें. उन्होंने बताया कि झारखंड राज्य पंचायती राज अधिनियम 2001 की धारा 77 में स्पष्ट प्रावधान है कि जिला ग्रामीण विकास अभिकरण का मर्जर जिला परिषद में किया जा सकता है.
झारखंड डीआरडीए कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मानिक चंद्र प्रजापति और कनक लता मिंज ने ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम द्वारा डीआरडीए को भंग करने की जगह जिला परिषद में विलय करने की घोषणा की. साथ ही 10 महीने के लंबित वेतन का एक साथ भुगतान करने की घोषणा पर प्रसन्नता जताई है. उन्होंने कहा कि सरकार जिस तरह से हम सब ऊपर भरोसा और विश्वास जता रही है हम लोग भी राज्य के ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे.
क्या होता है DRDA: जिला ग्रामीण विकास अभिकरण यानी डीआरडीए एक पंजीकृत जिला स्तरीय विकास और निगरानी एजेंसी है जो जिला स्तर पर कई कार्यक्रम हो के कार्यान्वयन की निगरानी करती है. डीआरडीए 1999 में अस्तित्व में आया, भारत और राज्य सरकार के अंशदान से वित्त पोषित यह योजना चलाई जा रही थी. कुछ महीने पहले भारत सरकार ने अपना अंशदान रोक दिया और राज्यों से अपने स्तर पर इसे चलाने को कहा था. देश के कई राज्यों ओड़िशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, असम में डीआरडीए का मर्जर जिला परिषद में किया जा चुका है और झारखंड सरकार भी अब डीआरडीए का जिला परिषद में करने की योजना पर आगे बढ़ रही है.