रांची: एक ओर जहां सरकार अगले वित्तीय वर्ष के बजट की तैयारी कर रही है. वहीं, दूसरी ओर चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के वार्षिक बजट में प्रावधान किए गए राशि का खर्च नहीं हो पा रहा है. ऐसे में सरकार के पास महज 2 महीने अभी शेष हैं जिसमें योजना मद की भारी भरकम राशि उसे खर्च कर पाना संभव नहीं प्रतीत होता है. जाहिर तौर पर हर साल की तरह इस बार भी चालू वित्तीय वर्ष की भारी भरकम राशि सरेंडर होने की संभावना है.
3 मार्च 2023 को वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने साल 2023-24 के लिए 1 लाख 16 हजार 418 करोड़ रुपए का मूल बजट विधानसभा में पेश किया था जिसे पारित भी किया गया था. इस बजट में योजना मद में 82 हजार 128 करोड़ का प्रावधान किया गया था. चालू वित्तीय वर्ष के पहले तिमाही में बजट अनुरूप विभागों के आवंटन में देरी होती चली गई जिसके कारण खर्च की रफ्तार धीमी रही.
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हालांकि, दूसरे और तीसरी तिमाही में खर्चो की रफ्तार में तेजी आई है. इसके बावजूद कई विभाग ऐसे हैं जो योजना मद की राशि खर्च करने में फिसड्डी साबित हो रहे हैं. सबसे खराब स्थिति कृषि विभाग की है जहां 20% राशि भी खर्च नहीं हो पाई है. हालांकि वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव का मानना है कि शेष बचे 2 महीने में विभागों के द्वारा खर्च में तेजी आएगी.
चालू वित्तीय वर्ष के समापन में अब कुछ ही महीने शेष हैं. आंकड़ों के मुताबिक खर्च करने में सबसे उपर ऊर्जा विभाग है. वहीं सबसे कम गृह कारा विभाग में खर्च हुए हैं. पथ और भवन निर्माण विभाग में करीब 60 फीसदी अब तक खर्च होने का दावा करते हुए विभागीय सचिव सुनील कुमार कहते हैं कि यह आंकड़ा चालू वित्तीय वर्ष के समापन तक शत प्रतिशत पहुंच जायेगा.
स्कूली शिक्षा विभाग 50 फीसदी से अधिक खर्च करने में सफल हुआ है. इसी तरह सूचना जनसंपर्क विभाग का भी परफॉर्मेंस है मगर ओवरऑल बात की जाय तो सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में 50 फीसदी से अधिक खर्च नहीं कर पाई है. हालांकि वित्तीय वर्ष के अंतिम समय में खर्चों का आंकड़ा बढता जरूर है मगर लोकसभा चुनाव को देखते हुए चूंकि सरकार के पास समय कम है और काम ज्यादा करने हैं. ऐसे में बजट अनुरूप खर्च होना बेहद ही कठिन है.
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