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झारखंड सरकार ने शिक्षकों से मांगा मिड-डे मील के बोरों का हिसाब, चढ़ा गुरुजी का पारा - teachers unhappy from government order

झारखंड सरकार के एक फरमान ने राज्य के शिक्षकों का पारा चढ़ा (teachers unhappy from government order) दिया है. दरअसल, राज्य सरकार ने अब तक स्कूलों में आए मिड-डे मील (Mid day meal) के खाली बोरों का शिक्षकों से हिसाब मांगा है और इसकी बिक्री कर सरस्वती वाहिनी संचालन समिति के खाते में जमा करवाने का आदेश दिया है.

Jharkhand government asked to teachers midday meal sacks detail
झारखंड सरकार ने शिक्षकों से मांगा मिडडे मील के बोरों का हिसाब
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Published : Nov 21, 2021, 8:00 PM IST

Updated : Nov 21, 2021, 9:02 PM IST

रांचीः राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने राज्य के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए कुछ दिन पहले एक फरमान जारी किया था. इसमें कहा गया था कि शिक्षक मध्याह्न भोजन (Mid day meal) खाली बोरों की बिक्री कर उससे मिलने वाली राशि विद्यालय के सरस्वती वाहिनी संचालन समिति के खाते में जमा करवाएं और खाली बोरों का हिसाब दे. इस पर शिक्षक संघ से जुड़े पदाधिकारियों ने कड़ी आपत्ति दर्ज (teachers unhappy from government order)कराई है. हालांकि इस दिशा में अब तक शिक्षकों ने कोई कदम नहीं उठाया है.

ये भी पढ़ें-नोटों से भरे ट्रक का दरवाजा खुला, पुलिस के आने तक बटोरते रहे लोग

दरअसल, राज्य सरकार के शिक्षा विभाग की ओर से राज्य के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को जिला शिक्षा पदाधिकारी के जरिये एक निर्देश जारी किया गया था कि वह जल्द से जल्द मध्याह्न भोजन के खाद्यान्न के खाली बोरों की बिक्री कर उससे मिलने वाली राशि विद्यालय के सरस्वती वाहिनी संचालन समिति के खाते में जमा करवाएं. इस आदेश में कहा गया है कि प्रत्येक विद्यालय प्रबंधक विभिन्न वर्षों में उपलब्ध कराए गए खाद्यान्न के खाली बोरों का लेखा-जोखा तैयार करते हुए बोरों की बिक्री करेंगे और उसका पूरा हिसाब किताब भी रखेंगे. इस मामले को लेकर शिक्षकों की ओर से कड़ी आपत्ति दर्ज कराई गई है .शिक्षकों ने इस दशा में कदम भी नहीं उठाया है.

देखें पूरी खबर
विपक्ष की कड़ी प्रतिक्रियाइस मामले को लेकर विपक्ष की ओर से भी सरकार और शिक्षा विभाग को नसीहत दी गई है कि उसका कहना है कि शिक्षा विभाग शिक्षकों को शिक्षक ही रहने दे. पठन-पाठन का काम ही उससे ले. इस तरह का काम लेने से राज्य के विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. शिक्षकों को बेवजह यह सरकार आए दिन इस तरह के काम सौंप कर परेशान कर रही है. जबकि शिक्षकों का काम सिर्फ और सिर्फ पढ़ाना है. इधर शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो इस मामले पर पहले ही बयान दे चुके हैं कि इस आदेश से अगर शिक्षकों को परेशानी हो रही है तो वह इस आदेश को वापस ले लेंगे. लेकिन अब तक यह आदेश निरस्त नहीं किया गया है. इससे शिक्षकों में उबाल है.

शिक्षकों ने दी आंदोलन की चेतावनी

प्रगतिशील शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव बलजीत कुमार सिंह का कहना है कि लंबे समय से मध्याह्न भोजन से जुड़े बोरों का लेखा-जोखा नहीं रखा जाता रहा है. आज तक किसी भी सरकार ने ऐसा निर्देश नहीं दिया है और ना ही अब तक एमडीएम खाद्यान्न के बोरों का कोई हिसाब किताब ही है. इस निर्णय को राज्य सरकार जल्द से जल्द वापस ले, नहीं तो शिक्षक संघ इसके खिलाफ आंदोलन करने को विवश होगा.

रांचीः राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने राज्य के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए कुछ दिन पहले एक फरमान जारी किया था. इसमें कहा गया था कि शिक्षक मध्याह्न भोजन (Mid day meal) खाली बोरों की बिक्री कर उससे मिलने वाली राशि विद्यालय के सरस्वती वाहिनी संचालन समिति के खाते में जमा करवाएं और खाली बोरों का हिसाब दे. इस पर शिक्षक संघ से जुड़े पदाधिकारियों ने कड़ी आपत्ति दर्ज (teachers unhappy from government order)कराई है. हालांकि इस दिशा में अब तक शिक्षकों ने कोई कदम नहीं उठाया है.

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दरअसल, राज्य सरकार के शिक्षा विभाग की ओर से राज्य के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को जिला शिक्षा पदाधिकारी के जरिये एक निर्देश जारी किया गया था कि वह जल्द से जल्द मध्याह्न भोजन के खाद्यान्न के खाली बोरों की बिक्री कर उससे मिलने वाली राशि विद्यालय के सरस्वती वाहिनी संचालन समिति के खाते में जमा करवाएं. इस आदेश में कहा गया है कि प्रत्येक विद्यालय प्रबंधक विभिन्न वर्षों में उपलब्ध कराए गए खाद्यान्न के खाली बोरों का लेखा-जोखा तैयार करते हुए बोरों की बिक्री करेंगे और उसका पूरा हिसाब किताब भी रखेंगे. इस मामले को लेकर शिक्षकों की ओर से कड़ी आपत्ति दर्ज कराई गई है .शिक्षकों ने इस दशा में कदम भी नहीं उठाया है.

देखें पूरी खबर
विपक्ष की कड़ी प्रतिक्रियाइस मामले को लेकर विपक्ष की ओर से भी सरकार और शिक्षा विभाग को नसीहत दी गई है कि उसका कहना है कि शिक्षा विभाग शिक्षकों को शिक्षक ही रहने दे. पठन-पाठन का काम ही उससे ले. इस तरह का काम लेने से राज्य के विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. शिक्षकों को बेवजह यह सरकार आए दिन इस तरह के काम सौंप कर परेशान कर रही है. जबकि शिक्षकों का काम सिर्फ और सिर्फ पढ़ाना है. इधर शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो इस मामले पर पहले ही बयान दे चुके हैं कि इस आदेश से अगर शिक्षकों को परेशानी हो रही है तो वह इस आदेश को वापस ले लेंगे. लेकिन अब तक यह आदेश निरस्त नहीं किया गया है. इससे शिक्षकों में उबाल है.

शिक्षकों ने दी आंदोलन की चेतावनी

प्रगतिशील शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव बलजीत कुमार सिंह का कहना है कि लंबे समय से मध्याह्न भोजन से जुड़े बोरों का लेखा-जोखा नहीं रखा जाता रहा है. आज तक किसी भी सरकार ने ऐसा निर्देश नहीं दिया है और ना ही अब तक एमडीएम खाद्यान्न के बोरों का कोई हिसाब किताब ही है. इस निर्णय को राज्य सरकार जल्द से जल्द वापस ले, नहीं तो शिक्षक संघ इसके खिलाफ आंदोलन करने को विवश होगा.

Last Updated : Nov 21, 2021, 9:02 PM IST
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