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अटल मोहल्ला क्लीनिक सरकारी उदासीनता का दंश झेलने को मजबूर, कहीं डॉक्टर नहीं तो कहीं बिजली गायब - झारखंड के अटल मोहल्ला क्लीनिक

झारखंड में अटल मोहल्ला क्लीनिक सरकारी उदासीनता का दंश झेलने को मजबूर है. जब इस योजना की शुरुआत हुई थी तब तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा था कि 100 क्लीनिक खोले जाएंगे. लेकिन, अब तक 87 क्लीनिक खुले जिसमें 78 ही क्रियान्वित हैं. ज्यादातर क्लीनिक में दवाइयों की कमी है. कहीं डॉक्टर नहीं हैं तो कहीं बिजली गायब है.

atal mohalla clinic of jharkhand
झारखंड का अटल मोहल्ला क्लीनिक
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Published : Feb 24, 2021, 7:13 PM IST

Updated : Feb 25, 2021, 6:21 PM IST

रांची: 16 अक्टूबर 2019 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था बहाल करने के लिए अटल मोहल्ला क्लीनिक की शुरुआत की थी. रघुवर दास ने कहा था कि राज्य में 100 मोहल्ला क्लीनिक खोले जाएंगे जिससे गरीबों को स्वास्थ्य लाभ होगा. बड़े अस्पतालों के चक्कर नहीं काटने होंगे और बड़े अस्पतालों पर बोझ भी कम होगा. लेकिन, हकीकत यही है कि अब तक 87 क्लीनिक शुरू हुए जिसमें 78 क्रियान्वित हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

यह भी पढ़ें: कहीं चूक न जाए गोल्ड का निशाना, झालमुढ़ी बेचने को मजबूर है तीरंदाजी की नेशनल चैंपियन

कहीं डॉक्टर नहीं तो कहीं बिजली गायब

झारखंड में सरकार बदलते ही मोहल्ला क्लीनिक की स्थिति भी बदल गई है. पुरानी सरकार ने लोगों से जो वादे किये थे वह वर्तमान सरकार में पूरे होते नहीं देख रहे. हमने जब मोहल्ला क्लीनिक का जायजा लिया तो देखा कि ज्यादातर क्लीनिक की स्थिति अच्छी नहीं है. कहीं, दवाई नहीं तो कहीं डॉक्टर कम हैं. कुछ क्लीनिक में बिजली तक नहीं है. एदलहातू अटल मोहल्ला क्लीनिक की कर्मचारी ऊषा कुमारी बताती हैं कि शाम होते ही क्लीनिक में अंधेरा छा जाता है. मोमबत्ती के सहारे मरीजों का इलाज होता है. बिजली विभाग की तरफ से क्लीनिक की बिजली काट दी गई और इनवर्टर भी सही से काम नहीं कर रहा.

राजनीतिक भेंट चढ़ रही अटल क्लीनिक योजना

रघुवर दास ने दिल्ली की तरह ही झारखंड में मोहल्ला क्लीनिक की शुरुआत की थी. लेकिन, यह महत्वाकांक्षी योजना राजनीतिक भेंट चढ़ती दिख रही है. वर्तमान सरकार इस योजना को आगे बढ़ाने में कहीं से दिलचस्पी नहीं ले रही है. इससे आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है. मोहल्ला क्लीनिक में इलाज कराने आने वाले मरीज बताते हैं कि यहां कई दवाइयां नहीं मिलती. बाहर से दवा खरीदनी पड़ती है. शाम में बिजली भी नहीं रहता.

सिविल सर्जन विजय बिहारी प्रसाद का कहना है कि रांची में 12 मोहल्ला क्लीनिक का संचालन हो रहा है. लेकिन, डॉक्टरों की कमी से थोड़ी दिक्कत भी हो रही है. डॉक्टरों की नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया जारी है. जल्द ही नियुक्ति हो जाएगी. सरकार यह लाख दावा करे कि राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था बिलकुल ठीक है. लेकिन, जब छोटे क्लीनिक में ही ऐसी स्थिति है तो बड़े अस्पताल के हालात का अंदाजा आप बखूबी लगा सकते हैं.

रांची: 16 अक्टूबर 2019 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था बहाल करने के लिए अटल मोहल्ला क्लीनिक की शुरुआत की थी. रघुवर दास ने कहा था कि राज्य में 100 मोहल्ला क्लीनिक खोले जाएंगे जिससे गरीबों को स्वास्थ्य लाभ होगा. बड़े अस्पतालों के चक्कर नहीं काटने होंगे और बड़े अस्पतालों पर बोझ भी कम होगा. लेकिन, हकीकत यही है कि अब तक 87 क्लीनिक शुरू हुए जिसमें 78 क्रियान्वित हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

यह भी पढ़ें: कहीं चूक न जाए गोल्ड का निशाना, झालमुढ़ी बेचने को मजबूर है तीरंदाजी की नेशनल चैंपियन

कहीं डॉक्टर नहीं तो कहीं बिजली गायब

झारखंड में सरकार बदलते ही मोहल्ला क्लीनिक की स्थिति भी बदल गई है. पुरानी सरकार ने लोगों से जो वादे किये थे वह वर्तमान सरकार में पूरे होते नहीं देख रहे. हमने जब मोहल्ला क्लीनिक का जायजा लिया तो देखा कि ज्यादातर क्लीनिक की स्थिति अच्छी नहीं है. कहीं, दवाई नहीं तो कहीं डॉक्टर कम हैं. कुछ क्लीनिक में बिजली तक नहीं है. एदलहातू अटल मोहल्ला क्लीनिक की कर्मचारी ऊषा कुमारी बताती हैं कि शाम होते ही क्लीनिक में अंधेरा छा जाता है. मोमबत्ती के सहारे मरीजों का इलाज होता है. बिजली विभाग की तरफ से क्लीनिक की बिजली काट दी गई और इनवर्टर भी सही से काम नहीं कर रहा.

राजनीतिक भेंट चढ़ रही अटल क्लीनिक योजना

रघुवर दास ने दिल्ली की तरह ही झारखंड में मोहल्ला क्लीनिक की शुरुआत की थी. लेकिन, यह महत्वाकांक्षी योजना राजनीतिक भेंट चढ़ती दिख रही है. वर्तमान सरकार इस योजना को आगे बढ़ाने में कहीं से दिलचस्पी नहीं ले रही है. इससे आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है. मोहल्ला क्लीनिक में इलाज कराने आने वाले मरीज बताते हैं कि यहां कई दवाइयां नहीं मिलती. बाहर से दवा खरीदनी पड़ती है. शाम में बिजली भी नहीं रहता.

सिविल सर्जन विजय बिहारी प्रसाद का कहना है कि रांची में 12 मोहल्ला क्लीनिक का संचालन हो रहा है. लेकिन, डॉक्टरों की कमी से थोड़ी दिक्कत भी हो रही है. डॉक्टरों की नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया जारी है. जल्द ही नियुक्ति हो जाएगी. सरकार यह लाख दावा करे कि राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था बिलकुल ठीक है. लेकिन, जब छोटे क्लीनिक में ही ऐसी स्थिति है तो बड़े अस्पताल के हालात का अंदाजा आप बखूबी लगा सकते हैं.

Last Updated : Feb 25, 2021, 6:21 PM IST
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