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केंद्रीय बजट 2023 को लेकर झारखंड वित्त विभाग ने केंद्र को दिए कई सुझाव, जानें बजट से झारखंड सरकार की उम्मीदें

केंद्र सरकार के आगामी बजट को देखते हुए झारखंड सरकार को भी केंद्र से कई उम्मीदें हैं. इस संबंध में झारखंड वित्त विभाग की ओर से केंद्र सरकार के चिट्ठी भेज कर बजट में झारखंड का भी ख्याल रखने का आग्रह किया गया है. साथ ही केंद्र सरकार को कई सुझाव भी दिए गए हैं. इसके अलावा बकाया देने की भी मांग की गई है. झारखंड वित्त विभाग ने कौन-कौन से सुझाव दिए हैं खबर में विस्तार से जानें.

Jharkhand Gave Suggestions Regarding Union Budget
Jharkhand Chief Minister Hemant Soren
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Published : Jan 18, 2023, 9:58 PM IST

रांची: केंद्र सरकार द्वारा एक फरवरी को आम बजट पेश किया जाएगा. इस बजट को जहां अंतिम रुप देने में केंद्र सरकार जुटी हुई है, वहीं देशभर के लोगों की उम्मीदें इस पर टिकी हुई हैं. आखिर वित्त मंत्री के पिटारे से क्या निकलेगा वो तो बजट पेश होने के बाद पता चलेगा. इन सबके बीच अन्य राज्य की तरह झारखंड सरकार ने भी केंद्र सरकार से कई मांगें रखी हैं. वित्त विभाग द्वारा भेजी गई चिठ्ठी में झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार से कोयला कंपनियों के पास बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपए उपलब्ध कराने की मांग के अलावे जीएसटी क्षतिपूर्ति अवधि को पांच वर्षों तक बढ़ाने का भी सुझाव दिया है.

ये भी पढे़ं-केंद्रीय बजट में झारखंड को मिले विशेष राज्य का दर्जा चैम्बर ऑफ कॉमर्स ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजा पत्र, जाने क्या हैं मांग

क्षतिपूर्ति अवधि को पांच वर्षों तक विस्तारित करने का आग्रहः इस संबंध में वित्तमंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि इस वर्ष जीएसटी के तहत झारखंड में प्रोटेक्टेड रेवन्यू के अनुरूप टैक्स संग्रहण नहीं हो पाया है. वहीं जुलाई 2022 से क्षतिपूर्ति भुगतान की व्यवस्था समाप्त होने से झारखंड को प्रति वर्ष 4500 करोड़ रुपए का भारी नुकसान होने का अनुमान है. इसलिए केंद्र सरकार से क्षतिपूर्ति अवधि को आगे पांच वर्षों तक विस्तारित करने का आग्रह किया गया है.

साहिबगंज में एयरपोर्ट निर्माण सहित कोल रॉयल्टी की मांगः राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से बजट में राज्य में एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने की मांग करते हुए साहिबगंज में नया एयरपोर्ट बनाने का आग्रह किया है. इसके अलावे केंद्र से कोयला रॉयल्टी सहित अन्य योजना मद में लंबे समय से बकाया राशि का भी भुगतान करने का आग्रह किया है. सरकार का तर्क यह है कि कोयला कंपनियों के पास राज्य सरकार का काफी बकाया है, जिसमें मुख्य रूप से जमीन अधिग्रहण के एवज में एक लाख, एक हजार 142 करोड़ का बकाया शामिल है. इसके अलावा कॉमन कॉज के रूप में 32 हजार करोड़ का बकाया और कोयला रॉयल्टी के रूप में 2900 करोड़ रुपए का बकाया है.

बंद खदानों का विधिवत क्लोजर करने की मांगः इसके अलावे राज्य सरकार ने बंद खदानों का विधिवत माइंस क्लोजर करने की मांग की है. जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे विपरीत असर को रोका जा सके. सरकार का मानना है कि इस वजह से वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है. इसके अलावा अवैध खनन को भी बढ़ावा मिल रहा है. इसलिए विधिवत रूप से खदानों को बंद कराया जाए या वैकल्पिक उपयोग के रूप में विकसित किया जाए. वैकल्पिक उपयोग में बहुउद्देश्यीय पार्क, वाटर स्पोर्ट्स और एडवेंचर टूरिज्म के रूप में इन्हें विकसित कर रोजगार सृजन करने की सलाह दी गई है.

सूखे की स्थिति से निपटने के लिए केंद्र से मांगी सहायताः राज्य सरकार ने सूखा की स्थिति से निपटने के लिए केंद्रीय सहायता की मांग की है. इसके अलावे सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने और ग्रामीण सड़कों के लिए सहायता उपलब्ध कराने की भी मांग केंद्र सरकार से की है. रेल परियोजना को गति देने के अलावे झारखंड में कृषि आधारित उद्योग की स्थापना की सलाह दी गई है.

रांची: केंद्र सरकार द्वारा एक फरवरी को आम बजट पेश किया जाएगा. इस बजट को जहां अंतिम रुप देने में केंद्र सरकार जुटी हुई है, वहीं देशभर के लोगों की उम्मीदें इस पर टिकी हुई हैं. आखिर वित्त मंत्री के पिटारे से क्या निकलेगा वो तो बजट पेश होने के बाद पता चलेगा. इन सबके बीच अन्य राज्य की तरह झारखंड सरकार ने भी केंद्र सरकार से कई मांगें रखी हैं. वित्त विभाग द्वारा भेजी गई चिठ्ठी में झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार से कोयला कंपनियों के पास बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपए उपलब्ध कराने की मांग के अलावे जीएसटी क्षतिपूर्ति अवधि को पांच वर्षों तक बढ़ाने का भी सुझाव दिया है.

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क्षतिपूर्ति अवधि को पांच वर्षों तक विस्तारित करने का आग्रहः इस संबंध में वित्तमंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि इस वर्ष जीएसटी के तहत झारखंड में प्रोटेक्टेड रेवन्यू के अनुरूप टैक्स संग्रहण नहीं हो पाया है. वहीं जुलाई 2022 से क्षतिपूर्ति भुगतान की व्यवस्था समाप्त होने से झारखंड को प्रति वर्ष 4500 करोड़ रुपए का भारी नुकसान होने का अनुमान है. इसलिए केंद्र सरकार से क्षतिपूर्ति अवधि को आगे पांच वर्षों तक विस्तारित करने का आग्रह किया गया है.

साहिबगंज में एयरपोर्ट निर्माण सहित कोल रॉयल्टी की मांगः राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से बजट में राज्य में एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने की मांग करते हुए साहिबगंज में नया एयरपोर्ट बनाने का आग्रह किया है. इसके अलावे केंद्र से कोयला रॉयल्टी सहित अन्य योजना मद में लंबे समय से बकाया राशि का भी भुगतान करने का आग्रह किया है. सरकार का तर्क यह है कि कोयला कंपनियों के पास राज्य सरकार का काफी बकाया है, जिसमें मुख्य रूप से जमीन अधिग्रहण के एवज में एक लाख, एक हजार 142 करोड़ का बकाया शामिल है. इसके अलावा कॉमन कॉज के रूप में 32 हजार करोड़ का बकाया और कोयला रॉयल्टी के रूप में 2900 करोड़ रुपए का बकाया है.

बंद खदानों का विधिवत क्लोजर करने की मांगः इसके अलावे राज्य सरकार ने बंद खदानों का विधिवत माइंस क्लोजर करने की मांग की है. जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे विपरीत असर को रोका जा सके. सरकार का मानना है कि इस वजह से वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है. इसके अलावा अवैध खनन को भी बढ़ावा मिल रहा है. इसलिए विधिवत रूप से खदानों को बंद कराया जाए या वैकल्पिक उपयोग के रूप में विकसित किया जाए. वैकल्पिक उपयोग में बहुउद्देश्यीय पार्क, वाटर स्पोर्ट्स और एडवेंचर टूरिज्म के रूप में इन्हें विकसित कर रोजगार सृजन करने की सलाह दी गई है.

सूखे की स्थिति से निपटने के लिए केंद्र से मांगी सहायताः राज्य सरकार ने सूखा की स्थिति से निपटने के लिए केंद्रीय सहायता की मांग की है. इसके अलावे सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने और ग्रामीण सड़कों के लिए सहायता उपलब्ध कराने की भी मांग केंद्र सरकार से की है. रेल परियोजना को गति देने के अलावे झारखंड में कृषि आधारित उद्योग की स्थापना की सलाह दी गई है.

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