ETV Bharat / state

Jharkhand Foundation Day: 21 सालों में साढ़े सात कदम ही आगे चल पाया झारखंड! जानिए इन सालों में कहां से कहां पहुंचे

15 नवंबर को झारखंड 21 साल का हो गया. पिछले 20 साल में झारखंड कहां से कहां पहुंचा. इसके के लिए ये जानना जरूरी है कि 20 साल पहले क्या स्थिति थी और अब क्या है?

Jharkhand foundation day
डिजाइन इमेज
author img

By

Published : Nov 15, 2021, 6:04 AM IST

रांची: झारखंड 21 साल का युवा हो गया है. लेकिन क्या झारखंड अपने पैरो पर खड़ा हो पाया है. इसे जानने के लिए कुछ जरूरी पैमानों को समझना जरूरी है. मसलन, बजट का आकार, पर कैपिटा इनकम, रोजगार की स्थिति, लिटरेसी रेट, गरीबों की संख्या और लिंगानुपात की स्थिति 20 साल पहले क्या थी और आज क्या है?

झारखंड में पिछले 20 सालों में बजट का आकार 16 गुणा बढ़ गया, लेकिन उस अनुपात में ना तो लोगों की आमदनी बढ़ी और ना ही रोजगार बढ़े. आज भी राज्य में सबसे ज्यादा गरीब परिवार हैं. राज्य की एक चौथाई से अधिक आबादी अब भी निरक्षर है. चलिए इन सभी को थोड़ा और विस्तार से जानते हैं.

Jharkhand foundation day
राज्य का बजट

16 गुणा बढ़ा बजट का आकार

पिछले 20 वर्षों में झारखंड के बजट का आकार 5516.33 से बढ़कर 91,277 करोड़ हो गया. यानी कि 20 साल में बजट का आकार 16 गुणा से अधिक बढ़ा. तीन मार्च 2001 को झारखंड को मृगेंद्र प्रताप सिंह ने झारखंड का पहला बजट पेश किया. इस बजट में उन्होंने सभी क्षेत्रों को समाहित करने की कोशिश की थी. पहला बजट 5516.33 करोड़ का था. पांच साल बाद 10 मार्च 2006 को रघुवर दास ने 15,394.84 करोड़ का बजट पेश किया. पहले पांच साल में ही बजट का आकार लगभग तीन गुणा बढ़ गया. साल 2011 में हेमंत सोरेन ने सात मार्च को 33,121.70 करोड़ का बजट पेश किया. दस सालों में बजट का आकार छह गुणा बढ़ गया. 19 फरवरी 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बजट 63,502.69 करोड़ का बजट पेश किया. 15 साल में बजट का आकार 10 गुणा से भी अधिक से बढ़ा. तीन मार्च 2021 को हेमंत सरकार में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने बजट 91,277 करोड़ का पेश किया.

Jharkhand foundation day
झारखंड में प्रति व्यक्ति आय

प्रति व्यक्ति आय

20 साल में बजट का आकार साढ़े 16 गुणा बढ़ गया, तो क्या इस अनुपात में आम लोगों की आमदनी भी बढ़ी. साल 2001 में झारखंड में प्रति व्यक्ति आय 10,451 रुपए था. दस साल बाद 2011-12 में राज्य में प्रति व्यक्ति आय 41,254 रुपए हो गया. वहीं 2016-17 में 60,018 रुपए सलाना प्रति व्यक्ति आय रहा. पिछले साल यानी 2019-20 में प्रति व्यक्ति आय 79,873 रुपए रहा. मतलब इन सालों 19 से बीस सालों में झारखंड में प्रति व्यक्ति आय मात्र साढ़े सात गुणा बढ़ा. यानी बजट के मुकाबले लोगों की आय नहीं बढ़ी.

Jharkhand foundation day
झारखंड में बीपीएल परिवार

गरीबी रेखा में सबसे नीचे

झारखंड में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की संख्या देश में सबसे अधिक है. झारखंड के 37 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा से नीचे हैं. 2004-05 में झारखंड में 45.3 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर कर रहे थे. वहीं साल 2009-10 में राज्य में बीपीएल परिवारों की संख्या 39.1 प्रतिशत थी. झारखंड अलग होने के समय राजय की लगभग आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे थी.

Jharkhand foundation day
झारखंड में बेरोजगारी दर

कोरोना ने रोजगार पर लगाया ब्रेक

दस साल पहले राज्य में बेरोजगारी दर 27.4 प्रतिशत थी. यानी कि 100 योग्य लोगों में 27 लोग बेरोजगार थे. साल 2018 में बेरोजगारी दर 12 प्रतिशत हो गई. 2019 के अंत में झारखंड में 100 योग्य युवाओं में से मात्र 7.6 युवा ही बेरोगार थे. यानी बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत थी. कोरोना के कारण नवंबर 2020 से अक्टूबर 2021 के बीच बेरोजगारी दर 18.1 प्रतिशत हो गई. पिछले कुछ सालों में रोजगार बढ़ने के बजाय घटा है.

Jharkhand foundation day
झारखंड में साक्षरता दर

लगभग 27 प्रतिशत लोग निरक्षर

बिहार से अलग होने के समय राज्य की आधी आबादी निरक्षर थी. 2001 में झारखंड के 53.56 प्रतिशत लोग साक्षर थे. दस साल बाद 2011 में यह प्रतिशत बढ़कर 66.41 हो गया. 2018 में यह आंकड़ा 73.20 प्रतिशत तक पहुंचा. मतलब अब भी राज्य में 27 प्रतिशत लोग निरक्षर हैं. 18 सालों में मात्र 20 प्रतिशत आबादी साक्षर हो पाई. लोगों को साक्षर करने के लिए सरकार की ओर से बहुत प्रयास हो रहे हैं हालांकि ये नाकाफी साबित हो रहे हैं.

Jharkhand foundation day
झारखंड में लिंगानुपात

लिंगानुपात में बढ़ोतरी

किसी भी राज्य के विकास के पैमाने को मापने में सेक्स रेशियो यानी लिंगानुपात को भी अहम माना जाता है. झारखंड में पिछले 19-20 सालों में लिगानुपात कम होने के बजाय बढ़ा है. साल 2001 में राज्य में एक हजार पुरूष पर 941 महिलाएं थी. वहीं 2011 में इस अनुपात में थोड़ी कमी आई. इस साल एक हजार पुरूष पर 949 महिलाएं थी. लेकिन 9 साल बाद यानी 2019 इस आंकड़ों में बढ़ोतरी हो गई. इस साल एक हजार पुरूष पर 881 महिलाएं थी. मतलब इस क्षेत्र में ज्यादा काम करने की जरूरत है.

झारखंड की आर्थिक स्थिति ऐसी है कि राज्य का हर व्यक्ति 26 हजार से अधिक का कर्जदार है. प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय से झारखंड में प्रति व्यक्ति आय काफी कम है. राज्य के 37 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर करते हैं. वहीं 27 प्रतिशत आबादी अनपढ़ है. मतलब राज्य में लगभग सभी क्षेत्रों में तेजी से काम करने की जरूरत है.

रांची: झारखंड 21 साल का युवा हो गया है. लेकिन क्या झारखंड अपने पैरो पर खड़ा हो पाया है. इसे जानने के लिए कुछ जरूरी पैमानों को समझना जरूरी है. मसलन, बजट का आकार, पर कैपिटा इनकम, रोजगार की स्थिति, लिटरेसी रेट, गरीबों की संख्या और लिंगानुपात की स्थिति 20 साल पहले क्या थी और आज क्या है?

झारखंड में पिछले 20 सालों में बजट का आकार 16 गुणा बढ़ गया, लेकिन उस अनुपात में ना तो लोगों की आमदनी बढ़ी और ना ही रोजगार बढ़े. आज भी राज्य में सबसे ज्यादा गरीब परिवार हैं. राज्य की एक चौथाई से अधिक आबादी अब भी निरक्षर है. चलिए इन सभी को थोड़ा और विस्तार से जानते हैं.

Jharkhand foundation day
राज्य का बजट

16 गुणा बढ़ा बजट का आकार

पिछले 20 वर्षों में झारखंड के बजट का आकार 5516.33 से बढ़कर 91,277 करोड़ हो गया. यानी कि 20 साल में बजट का आकार 16 गुणा से अधिक बढ़ा. तीन मार्च 2001 को झारखंड को मृगेंद्र प्रताप सिंह ने झारखंड का पहला बजट पेश किया. इस बजट में उन्होंने सभी क्षेत्रों को समाहित करने की कोशिश की थी. पहला बजट 5516.33 करोड़ का था. पांच साल बाद 10 मार्च 2006 को रघुवर दास ने 15,394.84 करोड़ का बजट पेश किया. पहले पांच साल में ही बजट का आकार लगभग तीन गुणा बढ़ गया. साल 2011 में हेमंत सोरेन ने सात मार्च को 33,121.70 करोड़ का बजट पेश किया. दस सालों में बजट का आकार छह गुणा बढ़ गया. 19 फरवरी 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बजट 63,502.69 करोड़ का बजट पेश किया. 15 साल में बजट का आकार 10 गुणा से भी अधिक से बढ़ा. तीन मार्च 2021 को हेमंत सरकार में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने बजट 91,277 करोड़ का पेश किया.

Jharkhand foundation day
झारखंड में प्रति व्यक्ति आय

प्रति व्यक्ति आय

20 साल में बजट का आकार साढ़े 16 गुणा बढ़ गया, तो क्या इस अनुपात में आम लोगों की आमदनी भी बढ़ी. साल 2001 में झारखंड में प्रति व्यक्ति आय 10,451 रुपए था. दस साल बाद 2011-12 में राज्य में प्रति व्यक्ति आय 41,254 रुपए हो गया. वहीं 2016-17 में 60,018 रुपए सलाना प्रति व्यक्ति आय रहा. पिछले साल यानी 2019-20 में प्रति व्यक्ति आय 79,873 रुपए रहा. मतलब इन सालों 19 से बीस सालों में झारखंड में प्रति व्यक्ति आय मात्र साढ़े सात गुणा बढ़ा. यानी बजट के मुकाबले लोगों की आय नहीं बढ़ी.

Jharkhand foundation day
झारखंड में बीपीएल परिवार

गरीबी रेखा में सबसे नीचे

झारखंड में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की संख्या देश में सबसे अधिक है. झारखंड के 37 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा से नीचे हैं. 2004-05 में झारखंड में 45.3 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर कर रहे थे. वहीं साल 2009-10 में राज्य में बीपीएल परिवारों की संख्या 39.1 प्रतिशत थी. झारखंड अलग होने के समय राजय की लगभग आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे थी.

Jharkhand foundation day
झारखंड में बेरोजगारी दर

कोरोना ने रोजगार पर लगाया ब्रेक

दस साल पहले राज्य में बेरोजगारी दर 27.4 प्रतिशत थी. यानी कि 100 योग्य लोगों में 27 लोग बेरोजगार थे. साल 2018 में बेरोजगारी दर 12 प्रतिशत हो गई. 2019 के अंत में झारखंड में 100 योग्य युवाओं में से मात्र 7.6 युवा ही बेरोगार थे. यानी बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत थी. कोरोना के कारण नवंबर 2020 से अक्टूबर 2021 के बीच बेरोजगारी दर 18.1 प्रतिशत हो गई. पिछले कुछ सालों में रोजगार बढ़ने के बजाय घटा है.

Jharkhand foundation day
झारखंड में साक्षरता दर

लगभग 27 प्रतिशत लोग निरक्षर

बिहार से अलग होने के समय राज्य की आधी आबादी निरक्षर थी. 2001 में झारखंड के 53.56 प्रतिशत लोग साक्षर थे. दस साल बाद 2011 में यह प्रतिशत बढ़कर 66.41 हो गया. 2018 में यह आंकड़ा 73.20 प्रतिशत तक पहुंचा. मतलब अब भी राज्य में 27 प्रतिशत लोग निरक्षर हैं. 18 सालों में मात्र 20 प्रतिशत आबादी साक्षर हो पाई. लोगों को साक्षर करने के लिए सरकार की ओर से बहुत प्रयास हो रहे हैं हालांकि ये नाकाफी साबित हो रहे हैं.

Jharkhand foundation day
झारखंड में लिंगानुपात

लिंगानुपात में बढ़ोतरी

किसी भी राज्य के विकास के पैमाने को मापने में सेक्स रेशियो यानी लिंगानुपात को भी अहम माना जाता है. झारखंड में पिछले 19-20 सालों में लिगानुपात कम होने के बजाय बढ़ा है. साल 2001 में राज्य में एक हजार पुरूष पर 941 महिलाएं थी. वहीं 2011 में इस अनुपात में थोड़ी कमी आई. इस साल एक हजार पुरूष पर 949 महिलाएं थी. लेकिन 9 साल बाद यानी 2019 इस आंकड़ों में बढ़ोतरी हो गई. इस साल एक हजार पुरूष पर 881 महिलाएं थी. मतलब इस क्षेत्र में ज्यादा काम करने की जरूरत है.

झारखंड की आर्थिक स्थिति ऐसी है कि राज्य का हर व्यक्ति 26 हजार से अधिक का कर्जदार है. प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय से झारखंड में प्रति व्यक्ति आय काफी कम है. राज्य के 37 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर करते हैं. वहीं 27 प्रतिशत आबादी अनपढ़ है. मतलब राज्य में लगभग सभी क्षेत्रों में तेजी से काम करने की जरूरत है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.