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'एलपीजी की कीमत में कटौती केंद्र का राजनीतिक फैसला', सूबे के वित्त मंत्री ने किया स्वागत, कहा- Too Little, Too Late

एलपीजी की कीमत में कटोती का झारखंड सरकार के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने स्वागत किया है. साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार के इस फैसले को राजनीतिक फैसला भी बताया है. उन्होंने एलपीजी की कीमत में 200 रुपए कटौती को टू लिटिल टू लेट बताया है.

Jharkhand Finance Minister Rameshwar Oraon
Jharkhand Finance Minister Rameshwar Oraon
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 30, 2023, 6:13 PM IST

रामेश्वर उरांव, वित्त मंत्री

रांची: केंद्र की मोदी सरकार ने एलपीजी की कीमत में 200 रुपए प्रति सिलेंडर की कटौती कर दी है. इसका फायदा उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को भी मिलेगा. उज्ज्वला के लाभार्थियों को पूर्व से ही 200 रुपए की सब्सिडी मिल रही थी. इस लिहाज से उनको 400 रुपए का फायदा हुआ है. अब उज्ज्वला के लाभार्थियों को 703 रुपए में सिलेंडर मिलेगा. इस फैसले को रक्षा बंधन का तोहफा बताया गया है. दूसरी तरफ केंद्र के इस फैसले पर राजनीति भी शुरू हो गई है.

यह भी पढ़ें: डुमरी उपचुनाव में प्रचार के लिए रांची पहुंचे असदुद्दीन ओवैसी, एलपीजी में 200 रुपए की कटौती को बताया नाकाफी, नूंह हिंसा पर कही ये बात

झारखंड के वित्त मंत्री सह प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने केंद्र के इस फैसले का स्वागत करते हुए सवाल भी खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान में ज्यादातर लोग घरों में एलपीजी का इस्तेमाल करते हैं. कोयला और लकड़ी की खपत कम हुई है. लेकिन एलपीजी की कीमतें लगातार बढ़ती रहीं. खासकर साल 2014 के बाद महंगाई तेजी से बढ़ी है. इसको रेगुलेट करना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.

उन्होंने केंद्र के इस फैसले को TOO LITTLE, TOO LATE बताया. उन्होंने कहा कि यह काम बहुत पहले होना चाहिए था. उन्होंने कहा कि इस फैसला का स्वागत किया जा रहा है. मैं भी व्यक्तिगत रूप से इसका स्वागत करता हूं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दाम में और ज्यादा कमी होनी चाहिए थी.

'गैस की कीमत में कटौती राजनीतिक फैसला': वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि इस साल छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं. अगले साल लोकसभा का चुनाव होना है. लिहाजा, सभी समझ रहे हैं कि यह आर्थिक से ज्यादा एक राजनीतिक फैसला है. पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के दौरान भी पेट्रोलियम की कीमतें स्थिर हो गई थीं.

उन्होंने कहा कि हमारे देश में पेट्रोलियम पदार्थों का दूसरे देशों से आयात होता है. जब केंद्र में गैर भाजपा की सरकार थी, तब कीमत बढ़ने के बावजूद सरकार घाटे को खुद वहन कर लोगों को राहत देती थी. लेकिन मौजूदा सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. वक्त के साथ सब्सिडी खत्म होती चली गई. लेकिन अचानक केंद्र को महंगाई की याद आ गई. लिहाजा, मौजूदा दौर में कीमत में कटौती से साफ है कि यह राजनीतिक फायदे के लिए किया गया है.

'इंडिया गठबंधन की एकजुटता से केंद्र पर बढ़ा दबाव': वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि चुनाव के वक्त जो भी सरकार सत्ता में होती है, वो लोगों की नब्ज देखती है, विपक्ष के रूख को भी देखती है. इसमें कोई शक नहीं कि इंडिया गठबंधन की एकजुटता की वजह से ही केंद्र की सरकार पर दबाव बढ़ा है. इसी वजह से केंद्र सरकार को यह फैसला लेना पड़ा है. उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में पेट्रोल और डीजल के दाम में भी कमी देखने को मिल सकती है. आपको बता दें कि केंद्र के इस फैसले पर सबसे पहले तृणमूल कांग्रेस चीफ ममता बनर्जी ने कहा था कि इंडिया गठनबंधन की दो बैठक से ही केंद्र की मोदी सरकार हिल गई है.

रामेश्वर उरांव, वित्त मंत्री

रांची: केंद्र की मोदी सरकार ने एलपीजी की कीमत में 200 रुपए प्रति सिलेंडर की कटौती कर दी है. इसका फायदा उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को भी मिलेगा. उज्ज्वला के लाभार्थियों को पूर्व से ही 200 रुपए की सब्सिडी मिल रही थी. इस लिहाज से उनको 400 रुपए का फायदा हुआ है. अब उज्ज्वला के लाभार्थियों को 703 रुपए में सिलेंडर मिलेगा. इस फैसले को रक्षा बंधन का तोहफा बताया गया है. दूसरी तरफ केंद्र के इस फैसले पर राजनीति भी शुरू हो गई है.

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झारखंड के वित्त मंत्री सह प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने केंद्र के इस फैसले का स्वागत करते हुए सवाल भी खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान में ज्यादातर लोग घरों में एलपीजी का इस्तेमाल करते हैं. कोयला और लकड़ी की खपत कम हुई है. लेकिन एलपीजी की कीमतें लगातार बढ़ती रहीं. खासकर साल 2014 के बाद महंगाई तेजी से बढ़ी है. इसको रेगुलेट करना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.

उन्होंने केंद्र के इस फैसले को TOO LITTLE, TOO LATE बताया. उन्होंने कहा कि यह काम बहुत पहले होना चाहिए था. उन्होंने कहा कि इस फैसला का स्वागत किया जा रहा है. मैं भी व्यक्तिगत रूप से इसका स्वागत करता हूं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दाम में और ज्यादा कमी होनी चाहिए थी.

'गैस की कीमत में कटौती राजनीतिक फैसला': वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि इस साल छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं. अगले साल लोकसभा का चुनाव होना है. लिहाजा, सभी समझ रहे हैं कि यह आर्थिक से ज्यादा एक राजनीतिक फैसला है. पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के दौरान भी पेट्रोलियम की कीमतें स्थिर हो गई थीं.

उन्होंने कहा कि हमारे देश में पेट्रोलियम पदार्थों का दूसरे देशों से आयात होता है. जब केंद्र में गैर भाजपा की सरकार थी, तब कीमत बढ़ने के बावजूद सरकार घाटे को खुद वहन कर लोगों को राहत देती थी. लेकिन मौजूदा सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. वक्त के साथ सब्सिडी खत्म होती चली गई. लेकिन अचानक केंद्र को महंगाई की याद आ गई. लिहाजा, मौजूदा दौर में कीमत में कटौती से साफ है कि यह राजनीतिक फायदे के लिए किया गया है.

'इंडिया गठबंधन की एकजुटता से केंद्र पर बढ़ा दबाव': वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि चुनाव के वक्त जो भी सरकार सत्ता में होती है, वो लोगों की नब्ज देखती है, विपक्ष के रूख को भी देखती है. इसमें कोई शक नहीं कि इंडिया गठबंधन की एकजुटता की वजह से ही केंद्र की सरकार पर दबाव बढ़ा है. इसी वजह से केंद्र सरकार को यह फैसला लेना पड़ा है. उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले समय में पेट्रोल और डीजल के दाम में भी कमी देखने को मिल सकती है. आपको बता दें कि केंद्र के इस फैसले पर सबसे पहले तृणमूल कांग्रेस चीफ ममता बनर्जी ने कहा था कि इंडिया गठनबंधन की दो बैठक से ही केंद्र की मोदी सरकार हिल गई है.

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