रांची: चुनाव के दौरान मतदाताओं की बेरुखी ने चुनाव आयोग की चिंता बढ़ा दी है. शहरी क्षेत्र के साथ-साथ झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र के विधानसभा में भी वोटिंग प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से काफी कम होने लगे हैं. राज्य के प्रमुख शहरों में स्थित 09 विधानसभा क्षेत्र में राष्ट्रीय औसत मतदान प्रतिशत 67.41 से कम वोट 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान होता देखा गया.
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सबसे कम मतदान झरिया विधानसभा क्षेत्र में: राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के विधानसभा की बात करें तो 42 ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां मतदान प्रतिशत राष्ट्रीय औसत वोटिंग से कम है. धनबाद लोकसभा क्षेत्र स्थित झरिया विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम मतदान महज 50.60% हुआ था. ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में इन विधानसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशत हर हाल में राष्ट्रीय औसत से अधिक करने की तैयारी की जा रही है.
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार का मानना है कि वोटिंग प्रतिशत कम होने के पीछे कई वजहें रही है. जिसमें सुधार के लिए आयोग जुट गया है. मतदाता सूची में गड़बड़ी से लेकर स्थानीय राजनीतिक कारणों को दूर करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं.
मतदान प्रतिशत कम होने की ये हैं वजह: मतदान कम होने के पीछे की वजह भलें ही अलग-अलग हो सकती है. मगर इतना तो साफ है कि शहरी क्षेत्र के रसूखदार मतदाता घरों से निकालना पसंद नहीं करते है. इस वजह से संबंधित क्षेत्र के मतदान केंद्रों पर वोटिंग प्रतिशत कम हो जाती है. चुनाव आयोग ने राज्य के ऐसे मतदान केंद्रों को भी चिन्हित किया है, जहां पर विगत लोकसभा चुनाव में कई वर्षों से मतदान का प्रतिशत काफी कम रहा. आयोग के द्वारा चिन्हित ऐसे मतदान केंद्रों में सर्वाधिक उन जगहों के हैं जो शहरी क्षेत्र में पॉस इलाके माने जाते हैं.
मामले में क्या कहते हैं पूर्व स्पीकर सीपी सिंह: झारखंड विधानसभा के पूर्व स्पीकर सीपी सिंह का मानना है कि अपने आप को रसूखदार मानने वाले मतदाता मतदान के दिन मत देने से परहेज करते हैं. कहा कि ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि इन इलाकों में जो मतदाता वोट नहीं देते हैं उन्हें सरकारी सुविधा से वंचित कर देना चाहिए.
सामाजिक कार्यकर्ता जयंत कुमार झा का कहना है की चुनाव के वक्त प्राय: यह भी देखा जाता है कि जिन महिला मतदाता के घर के पुरुष सदस्य बाहर रहते हैं, वह मतदान केंद्रों तक नहीं पहुंच पाती हैं. जिस वजह से मतदान का प्रतिशत कम हो जाता है. इसके अलावा मतदाता सूची में गड़बड़ी के कारण एक ही घर के सदस्यों का अलग-अलग मतदान केंद्रों पर मतदान की व्यवस्था और उन्हें समुचित जानकारी नहीं होना बड़ा कारण है.
मतदान प्रतिशत बढ़ाने में जुटा आयोग: लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारी में जुटे चुनाव आयोग ने मतदान प्रतिशत हर हाल में बढ़ाने में जुटा है. कम मतदान प्रतिशत वाले जिले और विधानसभा क्षेत्र के पदाधिकारियों से लगातार बैठक की जा रही है और कारणों को ढूंढा जा रहा है. स्थानीय राजनीतिक कारणों के अलावे मतदाता सूची में किसी भी प्रकार की त्रुटि को दूर करने के निर्देश चुनाव आयोग द्वारा दिए गए हैं. इसके साथ-साथ स्विप कार्यक्रम के तहत जागरुकता अभियान चलाने के निर्देश दिए जा रहे हैं. बहरहाल लोकसभा चुनाव से पहले आयोग का मुख्य फोकस राज्य में मतदान प्रतिशत को बढ़ाने को लेकर है. जिससे 2019 की तुलना में राज्य में मतदान का प्रतिशत बेहतर हो सके.