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'टाइगर दा' के इंटर पास करने का सपना रह गया अधूरा, नियति ने नहीं दिया साथ, शिक्षा के थे सच्चे पैरोकार

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Published : Apr 6, 2023, 5:25 PM IST

Updated : Apr 6, 2023, 7:10 PM IST

झारखंड के कद्दावर नेता और शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के निधन से पूरे राज्य में शोक की लहर है. सभी उन्हें याद कर भावुक हो रहे हैं. टाइगर के नाम से फेमस जगरनाथ महतो का एक सपना अधूरा रह गया.

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रांची: शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के असमय निधन से सभी मर्माहत हैं. ऐसा लग रहा है कि कोई अपना चला गया. यह करिश्मा उनकी व्यक्तित्व की वजह से था. कम शब्दों में बड़ी बातें कहने में उनको महारत हासिल थी. शिक्षा के हिमायती थे. गाहे-बगाहे सरकारी स्कूल में औचक निरीक्षण के लिए चले जाते थे. बच्चों से बातें करते थे. रास्ते में स्कूल जा रहे बच्चों को देखकर गाड़ी रोक दिया करते थे. सबको एक ही बात कहते थे कि पढ़ाई जरूरी है. बिना पढ़ाई के इंसान की कोई कद्र नहीं है. इसी सोच के साथ उन्होंने निजी स्कूलों को टक्कर देने के लिए मॉडल स्कूल के कॉन्सेप्ट को अमली जामा पहनाना शुरू किया था. शिक्षकों के रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरने की बातें करते थे.

ये भी पढ़ें- Jharkhand Education Minister Passed Away: झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का निधन, चेन्नई में चल रहा था इलाज

चूभ गई थी मैट्रिक पास शिक्षा मंत्री वाली बात: 2019 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद जब मंत्रिमंडल का विस्तार हो रहा था, तब जगरनाथ महतो को शिक्षा मंत्री के साथ-साथ उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग का मंत्री बनाया गया था. हालांकि वह सिर्फ मैट्रिक पास थे. उन्होंने 1995 में तेलो स्थित नेहरू उच्च विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. तब उनके शिक्षा को लेकर सवाल खड़े हुए थे. कहा गया था कि एक मैट्रिक पास शख्स खुद शिक्षा की बात कैसे करेगा. यह बात जगरनाथ महतो के दिल पर लगी थी. तब उन्होंने कहा था कि लोग ताने मारते हैं. इसका जवाब शिक्षा हासिल कर ही दिया जा सकता है. इसी मकसद से उन्होंने आलोचनाओं के बीच बोकारो के नावाडीह स्थित देवी महतो इंटर कॉलेज के 11वीं में अगस्त 2020 में दाखिला लिया था.

  • स्वयं में सुधार करके शुरुआत कर रहा हूँ।
    मैट्रिक पास करने के बाद, परिस्थितियों ने मुझे शिक्षा से दूर किया था...आज उसी दूरी को पाटने की अभिलाषा ने प्रेरित किया है..
    इंटरमीडिएट के शिक्षा हेतु , मैंने अपना नामांकन #देवीमहतो_इंटर_कॉलेज_नावाडीह में किया है। pic.twitter.com/YwUXF6oklT

    — Jagarnath Mahto (@Jagarnathji_mla) August 10, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मैट्रिक पास करने के 25 साल बाद उन्होंने इंटर में दाखिला लेकर पास करके दिखाने का वादा किया था. देवी महतो इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल दिनेश प्रसाद ने ईटीवी भारत को बताया कि एडमिशन के बाद उन्होंने परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन कराना था. लेकिन नियती को यह मंजूर नहीं था. उसी साल कोरोना वायरस ने उन्हें अपनी जद में ले लिया. तब से लंग्स ट्रांसप्लांट के बाद भी वह सर्वसुलभ रहे. लेकिन वक्त के साथ उनकी सेहत बिगड़ती रही. वह जिंदगी से जंग लड़ते रहे. लेकिन 6 मार्च की सुबह जिंदगी की जंग हार गये. प्रिंसिपल ने बताया कि टाइगर दा ने देवी महतो इंटर कॉलेज के निर्माण के वक्त डोनेशन भी दिया था.

टाइगर दा ने अपने गांव में खोला था शिक्षा का मंदिर: दिवंगत जगरनाथ महतो डुमरी विधानसभा क्षेत्र से लगातार चौथी बार चुनाव जीते थे. उस क्षेत्र में उनको हराने वाला कोई नहीं था. उन्होंने अपने स्वभाव और जनसेवा से मजबूत पकड़ बना ली थी. वह युवाओं के नेता थे. शिक्षा के प्रति उनकी ललक इस बात से झलकती है कि अपने क्षेत्र डुमरी में इंटर कॉलेज नहीं होने पर उन्होंने अपने नाम से कॉलेज खोल दिया था. 16 अप्रैल 2016 को इसकी नींव रखी थी. कॉलेज भवन का उद्घाटन 2017 को हुआ था. स्थापना की अनुमती 2018 को मिली. 2022 में स्थायी प्रस्वीकृति के बाद 2023 में अनुदान मिला था.

ये भी पढ़ें- Jagarnath Mahato Passed Away: संघर्षशील जगरनाथ महतो के टाइगर बनने की कहानी

हेमंत कैबिनेट में कौन-कौन हैं सिर्फ मैट्रिक पास: जगरनाथ महतो एक लंबी लकीर खिंचना चाहते थे. उम्र के इस पड़ाव पर भी इंटर की डिग्री लेना चाहते थे. इसका मतलब यह नहीं कि हेमंत कैबिनेट में मैट्रिक पास सिर्फ वही थे. उनके अलावा झामुमो के चंपई सोरेन, जोबा मांझी, कांग्रेस के बन्ना गुप्ता और राजद के सत्यानंद भोक्ता भी महज मैट्रिक पास हैं. इन सभी ने 2019 के विधानसभा चुनाव के शपथ पत्र में इस बात को लेकर एफिडेविट भी दिया है.

एसोसिएशन फॉर डेमेक्रेटिक रिफॉर्मस की रिपोर्ट के मुताबिक हेमंत कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत कुल 11 मंत्री हैं. इनमें पांच मंत्री मैट्रिक पास हैं. इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख 12वीं पास हैं. शेष बचे चार मंत्रियों में हफीजुल हसन के पास बीटेक, आलमगीर आलम के पास स्नातक, मिथिलेश ठाकुर के पास स्नातक और वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के बाद पीएचडी की डिग्री है. लेकिन जगरनाथ महतो के निधन के बाद सिर्फ मैट्रिक मंत्रियों की संख्या पांच से घटकर चार हो गई है.

रांची: शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के असमय निधन से सभी मर्माहत हैं. ऐसा लग रहा है कि कोई अपना चला गया. यह करिश्मा उनकी व्यक्तित्व की वजह से था. कम शब्दों में बड़ी बातें कहने में उनको महारत हासिल थी. शिक्षा के हिमायती थे. गाहे-बगाहे सरकारी स्कूल में औचक निरीक्षण के लिए चले जाते थे. बच्चों से बातें करते थे. रास्ते में स्कूल जा रहे बच्चों को देखकर गाड़ी रोक दिया करते थे. सबको एक ही बात कहते थे कि पढ़ाई जरूरी है. बिना पढ़ाई के इंसान की कोई कद्र नहीं है. इसी सोच के साथ उन्होंने निजी स्कूलों को टक्कर देने के लिए मॉडल स्कूल के कॉन्सेप्ट को अमली जामा पहनाना शुरू किया था. शिक्षकों के रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरने की बातें करते थे.

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चूभ गई थी मैट्रिक पास शिक्षा मंत्री वाली बात: 2019 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद जब मंत्रिमंडल का विस्तार हो रहा था, तब जगरनाथ महतो को शिक्षा मंत्री के साथ-साथ उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग का मंत्री बनाया गया था. हालांकि वह सिर्फ मैट्रिक पास थे. उन्होंने 1995 में तेलो स्थित नेहरू उच्च विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास की थी. तब उनके शिक्षा को लेकर सवाल खड़े हुए थे. कहा गया था कि एक मैट्रिक पास शख्स खुद शिक्षा की बात कैसे करेगा. यह बात जगरनाथ महतो के दिल पर लगी थी. तब उन्होंने कहा था कि लोग ताने मारते हैं. इसका जवाब शिक्षा हासिल कर ही दिया जा सकता है. इसी मकसद से उन्होंने आलोचनाओं के बीच बोकारो के नावाडीह स्थित देवी महतो इंटर कॉलेज के 11वीं में अगस्त 2020 में दाखिला लिया था.

  • स्वयं में सुधार करके शुरुआत कर रहा हूँ।
    मैट्रिक पास करने के बाद, परिस्थितियों ने मुझे शिक्षा से दूर किया था...आज उसी दूरी को पाटने की अभिलाषा ने प्रेरित किया है..
    इंटरमीडिएट के शिक्षा हेतु , मैंने अपना नामांकन #देवीमहतो_इंटर_कॉलेज_नावाडीह में किया है। pic.twitter.com/YwUXF6oklT

    — Jagarnath Mahto (@Jagarnathji_mla) August 10, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मैट्रिक पास करने के 25 साल बाद उन्होंने इंटर में दाखिला लेकर पास करके दिखाने का वादा किया था. देवी महतो इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल दिनेश प्रसाद ने ईटीवी भारत को बताया कि एडमिशन के बाद उन्होंने परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन कराना था. लेकिन नियती को यह मंजूर नहीं था. उसी साल कोरोना वायरस ने उन्हें अपनी जद में ले लिया. तब से लंग्स ट्रांसप्लांट के बाद भी वह सर्वसुलभ रहे. लेकिन वक्त के साथ उनकी सेहत बिगड़ती रही. वह जिंदगी से जंग लड़ते रहे. लेकिन 6 मार्च की सुबह जिंदगी की जंग हार गये. प्रिंसिपल ने बताया कि टाइगर दा ने देवी महतो इंटर कॉलेज के निर्माण के वक्त डोनेशन भी दिया था.

टाइगर दा ने अपने गांव में खोला था शिक्षा का मंदिर: दिवंगत जगरनाथ महतो डुमरी विधानसभा क्षेत्र से लगातार चौथी बार चुनाव जीते थे. उस क्षेत्र में उनको हराने वाला कोई नहीं था. उन्होंने अपने स्वभाव और जनसेवा से मजबूत पकड़ बना ली थी. वह युवाओं के नेता थे. शिक्षा के प्रति उनकी ललक इस बात से झलकती है कि अपने क्षेत्र डुमरी में इंटर कॉलेज नहीं होने पर उन्होंने अपने नाम से कॉलेज खोल दिया था. 16 अप्रैल 2016 को इसकी नींव रखी थी. कॉलेज भवन का उद्घाटन 2017 को हुआ था. स्थापना की अनुमती 2018 को मिली. 2022 में स्थायी प्रस्वीकृति के बाद 2023 में अनुदान मिला था.

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हेमंत कैबिनेट में कौन-कौन हैं सिर्फ मैट्रिक पास: जगरनाथ महतो एक लंबी लकीर खिंचना चाहते थे. उम्र के इस पड़ाव पर भी इंटर की डिग्री लेना चाहते थे. इसका मतलब यह नहीं कि हेमंत कैबिनेट में मैट्रिक पास सिर्फ वही थे. उनके अलावा झामुमो के चंपई सोरेन, जोबा मांझी, कांग्रेस के बन्ना गुप्ता और राजद के सत्यानंद भोक्ता भी महज मैट्रिक पास हैं. इन सभी ने 2019 के विधानसभा चुनाव के शपथ पत्र में इस बात को लेकर एफिडेविट भी दिया है.

एसोसिएशन फॉर डेमेक्रेटिक रिफॉर्मस की रिपोर्ट के मुताबिक हेमंत कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत कुल 11 मंत्री हैं. इनमें पांच मंत्री मैट्रिक पास हैं. इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख 12वीं पास हैं. शेष बचे चार मंत्रियों में हफीजुल हसन के पास बीटेक, आलमगीर आलम के पास स्नातक, मिथिलेश ठाकुर के पास स्नातक और वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के बाद पीएचडी की डिग्री है. लेकिन जगरनाथ महतो के निधन के बाद सिर्फ मैट्रिक मंत्रियों की संख्या पांच से घटकर चार हो गई है.

Last Updated : Apr 6, 2023, 7:10 PM IST
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