रांची: कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी में शामिल होकर पार्टी के ही खिलाफ लड़ने वाले नेताओं को पार्टी में वापसी करना अब मुश्किल होगा. महागठबंधन की सरकार बनने के बाद राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि जिन नेताओं ने हाथ का साथ छोड़ कमल थामा था. वह घर वापसी करना चाहते हैं.
घर वापसी के दरवाजे बंद
हालांकि, अभी तक इसके लिए आधिकारिक तौर पर प्रदेश कार्यालय में आवेदन नहीं आए हैं, लेकिन पार्टी की ओर से यह साफ कर दिया गया है कि पार्टी में वापसी के सारे दरवाजे बंद हैं. दरअसल विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ बीजेपी और अन्य राजनीतिक दलों का दामन थाम लिया था, जिसमें प्रमुख रूप से लोहरदगा से पार्टी विधायक सुखदेव भगत, बरही विधायक मनोज यादव, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बालमुचू, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार जैसे बड़े चेहरे शामिल हैं.
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पार्टी के ही खिलाफ चुनाव
इसे लेकर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव का मानना है कि जिन नेताओं ने कांग्रेस का साथ छोड़ विरोधी दल बीजेपी के टिकट से पार्टी के ही खिलाफ चुनाव लड़ा है. उनमें कांग्रेस का नीति सिद्धांत नहीं है और ये भी प्रमाणित हो गया है कि वह बड़े नेता नहीं है. उन्होंने कहा कि उनके घर वापसी पर निर्णय आलाकमान को लेना है, लेकिन मेरी सलाह यही होगी कि ऐसे लोगों के पार्टी में वापसी से कोई फायदा नहीं है.
अनुशासनात्मक कार्यवाही
विधानसभा चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस का साथ छोड़ने वाले नेताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी पार्टी की ओर से की गई है. हालांकि अभी तक कार्रवाई पूरी नहीं हुई है. ऐसे में कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा है कि जिन्होंने पार्टी के निर्णय के खिलाफ जाकर चाहे वह कितने भी बड़े चेहरे हो अनुशासन तोड़कर चुनाव लड़ा हो. ऐसे लोगों का पार्टी में वापसी पर फिलहाल निर्णय नहीं हुआ है और ना ही अभी हो सकता है.