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क्रिप्टो करेंसी के जरिये करोड़ों की ठगी मामला: फ्रॉड के लिए इस्तेमाल किए गए एक्सचेंज तक पहुंची झारखंड सीआईडी - crime news

क्रिप्टो करेंसी के जरिये करोड़ों की ठगी मामले में झारखंड सीआईडी को कई जानकारियां मिली है. इसमें झारखंड सीआईडी ने केंद्रीय जांच एजेंसी आईसी 4 की मदद ली है. साआईडी टीम को साइबर फ्रॉड से जुड़े बैंक अकांउट डिटेल, एक्सचेंज का तरीका आदि कई सुराग मिले हैं.

Fraud of crores through cryptocurrency
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Published : Aug 16, 2023, 7:55 PM IST

रांची: क्रिप्टो करेंसी के जरिए 1.33 करोड़ रुपए की ठगी मामले की तफ्तीश में जुटी सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच को कई अहम जानकारियां हासिल हुई है. आईसी 4 की मदद से साइबर क्राइम ब्रांच ने उस एक्सचेंज का भी पता लगा लिया है जिसके जरिए ठगी के पैसे विदेश में ट्रांसफर हुए थे. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि ठगी के लिए जितने भी व्हाट्सएप नंबर प्रयोग किए गए थे, वे सभी चाइनीज नंबर थे. जो फर्जी वेबसाइट भी बनाए गए थे, उनका भी ओरिजन चाइना ही था.

यह भी पढ़ें: साइबर अपराधियों का इंटरनेशनल आतंकियों से कनेक्शन! बड़े पैमाने पर विदेशी खातों में जा रहे पैसे

सेंट्रल एजेंसियों की मदद ले रही सीआईडी: झारखंड में साइबर ठगी का यह पहला मामला है, जिसमें सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच भारत सरकार की एजेंसियों की मदद ले रही है. क्रिप्टो करेंसी में हुए करोड़ों की ठगी को लेकर झारखंड सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच इंडियन साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर यानी आईसी 4 की मदद से इस ठगी के नेटवर्क तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. इंडियन साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर की मदद से ठगी के पैसे के मनी ट्रेल की जानकारी सीआईडी को हासिल हो चुकी है. तफ्तीश में विदेशी मनी एक्सचेंज को लेकर भी अहम जानकारियां मिली हैं.

Fraud of crores through cryptocurrency
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18 हजार डॉलर किया गया फ्रिज, 14 दिनों का मिला समय: इंडियन साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर की जांच में क्रिप्टो करेंसी के जरिए जो पैसे ठगी किए गए हैं, उन दो एक्सचेंज के बारे में पूरी जानकारी सीआईडी को हासिल हो गई है. ठगी के पैसे विभिन्न खाताओं में ओकेएस (OKS) और करकेंन (KARKEN) एक्सचेंज के जरिए भेजे गए थे. सीआईडी ने ओकेएस (OKS) के साथ पत्राचार किया. जिसमें उन्हें सफलता भी हाथ लगी है, ओकेएस के द्वारा सीआईडी के अनुरोध पर 18 हजार डॉलर जो खातों में हैं, उसे फ्रिज कर दिया गया है. एक्सचेंज के द्वारा ठगी मामले में सीआईडी द्वारा कोर्ट से एक लेटर की मांग की गई है. इसके लिए सीआईडी को 14 दिनों का समय दिया गया है. सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि हम यह प्रयास कर रहे हैं कि सभी खातों को फ्रिज करवाया जाए. उसके बाद पैसे वापसी के लिए प्रयास किया जाएगा.

करकेंन एक्सचेंज के जरिये पैसे गए आतंकियो के खाते में: क्रिप्टो करेंसी के जरिये ठगी के पैसे आतंकियो के खाते में गये थे, इसकी आशंका पूर्व में भी जताई गई थी. इस संबंध में सीआईडी को महत्वपूर्ण सुराग भी मिले थे. लेकिन अब यह पूरी तरह से सामने आ चुका है. सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि करकेंन (KARKEN) एक्सचेंज के जरिये ही पैसे टेरेरिस्ट को गए हैं. सीआईडी ने करकेंन (KARKEN) एक्सचेंज से भी खातों को फ्रिज करने के लिए पत्र लिखा है, लेकिन एक्सचेंज के द्वारा इस मामले में सीआईडी को कानूनी रूप से आने को कहा गया है, जिसके बाद सीआईडी उस दिशा में काम कर रही है.

यह भी पढ़ें: आतंकी संगठनों के खाते में भेज रहे साइबर क्रिमिनल क्रिप्टो करेंसी के पैसे, सीआईडी ने मांगी इंडियन साइबर क्राइम सेंटर से मदद

41 बैंक खाते का प्रयोग: जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि जो करोड़ों रुपए झारखंड के विभिन्न लोगों से ठगे गए हैं. उन्हें 41 बैंक खातों के जरिए ठगों ने ट्रांसफर किए हैं. 41 में से अधिकांश बैंक खाते विदेशों में है. ठगी के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप वर्चुअल नंबर के द्वारा बनाया गया था. इसके बाद ग्रुप के माध्यम से लोगों को जोड़ा गया, जोड़ने के बाद निवेशकों को निवेश में डबल और ट्रिपल मुनाफा का आश्वासन दिया गया था. पैसे के निवेश के लिए चाइनीज एप बियंस और अलीबाबा नेटवर्क का इस्तेमाल किया गया. साथ ही एप वास्तविक नजर आए, इसके लिए एक फेक वेब पेज भी बनाया गया. लेकिन जैसे ही पैसे की ठगी हुई, वेबसाइट भी बंद हो गया और व्हाट्सएप खाता भी बंद हो गया.

रांची: क्रिप्टो करेंसी के जरिए 1.33 करोड़ रुपए की ठगी मामले की तफ्तीश में जुटी सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच को कई अहम जानकारियां हासिल हुई है. आईसी 4 की मदद से साइबर क्राइम ब्रांच ने उस एक्सचेंज का भी पता लगा लिया है जिसके जरिए ठगी के पैसे विदेश में ट्रांसफर हुए थे. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि ठगी के लिए जितने भी व्हाट्सएप नंबर प्रयोग किए गए थे, वे सभी चाइनीज नंबर थे. जो फर्जी वेबसाइट भी बनाए गए थे, उनका भी ओरिजन चाइना ही था.

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सेंट्रल एजेंसियों की मदद ले रही सीआईडी: झारखंड में साइबर ठगी का यह पहला मामला है, जिसमें सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच भारत सरकार की एजेंसियों की मदद ले रही है. क्रिप्टो करेंसी में हुए करोड़ों की ठगी को लेकर झारखंड सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच इंडियन साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर यानी आईसी 4 की मदद से इस ठगी के नेटवर्क तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. इंडियन साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर की मदद से ठगी के पैसे के मनी ट्रेल की जानकारी सीआईडी को हासिल हो चुकी है. तफ्तीश में विदेशी मनी एक्सचेंज को लेकर भी अहम जानकारियां मिली हैं.

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18 हजार डॉलर किया गया फ्रिज, 14 दिनों का मिला समय: इंडियन साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर की जांच में क्रिप्टो करेंसी के जरिए जो पैसे ठगी किए गए हैं, उन दो एक्सचेंज के बारे में पूरी जानकारी सीआईडी को हासिल हो गई है. ठगी के पैसे विभिन्न खाताओं में ओकेएस (OKS) और करकेंन (KARKEN) एक्सचेंज के जरिए भेजे गए थे. सीआईडी ने ओकेएस (OKS) के साथ पत्राचार किया. जिसमें उन्हें सफलता भी हाथ लगी है, ओकेएस के द्वारा सीआईडी के अनुरोध पर 18 हजार डॉलर जो खातों में हैं, उसे फ्रिज कर दिया गया है. एक्सचेंज के द्वारा ठगी मामले में सीआईडी द्वारा कोर्ट से एक लेटर की मांग की गई है. इसके लिए सीआईडी को 14 दिनों का समय दिया गया है. सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि हम यह प्रयास कर रहे हैं कि सभी खातों को फ्रिज करवाया जाए. उसके बाद पैसे वापसी के लिए प्रयास किया जाएगा.

करकेंन एक्सचेंज के जरिये पैसे गए आतंकियो के खाते में: क्रिप्टो करेंसी के जरिये ठगी के पैसे आतंकियो के खाते में गये थे, इसकी आशंका पूर्व में भी जताई गई थी. इस संबंध में सीआईडी को महत्वपूर्ण सुराग भी मिले थे. लेकिन अब यह पूरी तरह से सामने आ चुका है. सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि करकेंन (KARKEN) एक्सचेंज के जरिये ही पैसे टेरेरिस्ट को गए हैं. सीआईडी ने करकेंन (KARKEN) एक्सचेंज से भी खातों को फ्रिज करने के लिए पत्र लिखा है, लेकिन एक्सचेंज के द्वारा इस मामले में सीआईडी को कानूनी रूप से आने को कहा गया है, जिसके बाद सीआईडी उस दिशा में काम कर रही है.

यह भी पढ़ें: आतंकी संगठनों के खाते में भेज रहे साइबर क्रिमिनल क्रिप्टो करेंसी के पैसे, सीआईडी ने मांगी इंडियन साइबर क्राइम सेंटर से मदद

41 बैंक खाते का प्रयोग: जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि जो करोड़ों रुपए झारखंड के विभिन्न लोगों से ठगे गए हैं. उन्हें 41 बैंक खातों के जरिए ठगों ने ट्रांसफर किए हैं. 41 में से अधिकांश बैंक खाते विदेशों में है. ठगी के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप वर्चुअल नंबर के द्वारा बनाया गया था. इसके बाद ग्रुप के माध्यम से लोगों को जोड़ा गया, जोड़ने के बाद निवेशकों को निवेश में डबल और ट्रिपल मुनाफा का आश्वासन दिया गया था. पैसे के निवेश के लिए चाइनीज एप बियंस और अलीबाबा नेटवर्क का इस्तेमाल किया गया. साथ ही एप वास्तविक नजर आए, इसके लिए एक फेक वेब पेज भी बनाया गया. लेकिन जैसे ही पैसे की ठगी हुई, वेबसाइट भी बंद हो गया और व्हाट्सएप खाता भी बंद हो गया.

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