रांचीः झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय की ओर से जनजातीय बहुल क्षेत्रों में किशोरों पर संकोच को लेकर अध्ययन किया जाएगा. इसे लेकर एक टीम भी तैयार कर ली गई है. झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के समसामयिक और जनजातीय विधि विभाग के समन्वयक डॉ. शमशेर आलम की रिसर्च टीम को डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान की ओर से शोध प्रोजेक्ट के लिए चयन किया गया है.
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जनजातीय किशोरों में कम्युनिकेशन और एक्स्ट्रा करीकुल
इस शोध में झारखंड के कुल सात जिले जिसमें चार जनजातीय बहुल रांची, सिमडेगा, खूंटी, दुमका और तीन गैर-जनजातीय बहुल हजारीबाग, कोडरमा और चतरा जिलों में 14 से 23 वर्ष के स्कूल और कॉलेज जाने वाले जनजातीय किशोरों में कम्युनिकेशन और एक्स्ट्रा करीकुलर गतिविधियों में संकोच का अध्ययन किया जाएगा.
शोध के लिए कुल 5.57 लाख रुपये की राशि
जनजातीय शोध संस्थान की ओर से इस शोध के लिए कुल 5.57 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई है, जिसे 9 माह की समय-सीमा के अंतर्गत पूरा करना है. इस शोध कार्य के प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर डॉ. आलम ने बताया कि शोध को सुचारु रूप से कार्यान्वित करने के लिए दो रिसर्च असिस्टेंट की बहाली के लिए विज्ञापन झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है.
आवेदन की तिथि निर्धारित
आवेदन की अंतिम तिथि 28 फरवरी है और नियुक्ति प्रक्रिया 5 मार्च को विश्वविद्यालय के ब्राम्बे परिसर में आयोजित होगी. चयनित रिसर्च असिस्टेंट को 7 माह के लिए संविदा में रखा जाएगा, जिनका मानदेय 20 हजार रुपये प्रति माह होगा. यात्रा भत्ता शोध कार्य के लिए अलग से दिया जाएगा.
रिसर्च टीम में शामिल सदस्य
डॉ. शमशेर की चार सदस्य की रिसर्च टीम में को- प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर के रूप में डॉ. विभूति नायक, सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंस कोलकाता, डॉ. कृष्णा गोप, स्वतंत्र शोधकर्ता और डॉ. कृति गुप्ता, तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय शामिल हैं.