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'सोशल इक्वेशन' बैलेंस कर मंत्रिमंडल बनाने की हो रही है कवायद, 17 जनवरी के बाद तस्वीर होगी साफ

झारखंड में महागठबंधन की सरकार के कैबिनेट एक्सपेंशन में सामाजिक समीकरण के इक्वेशन को पूरी तरह संतुलित करने की हरसंभव कोशिश की जा रही है. झारखंड सरकार में अभी 8 बर्थ खाली है, जिसपर 17 जनवरी के बाद तस्वीर साफ होनी है.

Jharkhand cabinet expansion will be clear after January 17
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन
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Published : Jan 16, 2020, 1:37 PM IST

रांची: झारखंड में महागठबंधन की सरकार के कैबिनेट एक्सपेंशन में सामाजिक समीकरण के इक्वेशन को पूरी तरह संतुलित करने की हरसंभव कोशिश की जा रही है, हालांकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ तीन अलग-अलग मंत्रियों ने शपथ ली है.

देखें पूरी खबर

जिसमें से एक अल्पसंख्यक, एक अनुसूचित जाति जबकि अन्य अनुसूचित जनजाति समुदाय के सदस्य है. आंकड़ों के हिसाब से मौजूदा सरकार की कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 12 सदस्य हो सकते है. उस लिहाज से 8 बर्थ अभी भी स्टेट कैबिनेट में खाली पड़े है. वहीं, मुख्यमंत्री सोरेन ने अपने दिल्ली ट्रिप के दौरान बाकी आठ बर्थ पर नाम को अंतिम रूप देने के मकसद से कांग्रेस के नेताओं से बात की है. सूत्रो की यकीन करें तो उन 8 में से 3 पर कांग्रेस के विधायक मंत्री बनेंगे जबकि बाकी के 5 मंत्री जेएमएम कोटे से आएंगे.

ये भी देखें- खरसावां में तात्कालिक CM पर चप्पल फेंके जाने के मामले ने पकड़ा तूल, आरोपियों को क्लीन चिट पर बिफरी बीजेपी

अब कांग्रेस का फोकस अगड़ी और ओबीसी समुदाय पर
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रो की मानें तो एक तरफ जहां अल्पसंख्यक समुदाय के चेहरे के रूप में पार्टी के विधायक दल के नेता आलमगीर आलम को मंत्रिमंडल में एकोमोडेट किया गया है. वहीं, दूसरी तरफ एसटी कोटे से झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव मंत्री बने है. सामाजिक समीकरण के हिसाब से देखें तो अब अगड़ी और पिछड़ी जाति के विधायकों को स्टेट कैबिनेट में जगह दी जा सकती है. ऐसी स्थिति में पार्टी के भीतर राजेंद्र सिंह, दीपिका पांडे, पूर्णिमा सिंह और बादल पत्रलेख ऐसे विधायक है जो अगड़ी जाति के प्रतिनिधि है. वहीं, दूसरी तरफ बन्ना गुप्ता और अंबा प्रसाद ओबीसी समुदाय से आते है.

अल्पसंख्यक, महतो और एसटी कम्युनिटी पर JMM की है नजर
वहीं, जेएमएम की बात करे तो पार्टी की नजर अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और महतो प्रतिनिधियों के ऊपर है. अनुसूचित जनजाति समुदाय से स्टीफन मरांडी, नलिन सोरेन, चंपई सोरेन और दीपक बिरुआ नाम पर चर्चा हो रही है. वहीं, महतो मतदाताओं के बीच अपनी पैठ रखने वाले मथुरा महतो और जगरनाथ महतो पर भी पार्टी में विचार हो रहा है, जबकि माइनॉरिटी चेहरे में हाजी हुसैन अंसारी फिट बैठते है. हालांकि इन सबके बीच अगड़ी जाति में मिथिलेश कुमार ठाकुर भी मंत्री पद की दौड़ में है.

17 जनवरी के बाद होगी तस्वीर साफ
कांग्रेस में किसे मंत्री पद मिलेगा इसको लेकर 17 जनवरी के बाद तस्वीर साफ होने की उम्मीद है. इस बाबत दिल्ली में पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी की पार्टी विधायकों के साथ मुलाकात होनी है. उसी बैठक में मंत्रिमंडल को लेकर तस्वीर साफ होने की पूरी उम्मीद है. जेएमएम भी कांग्रेस के निर्णय का इंतजार कर रही है. कांग्रेस की तरफ से जैसे ही मंत्रियों के नाम से जुड़ी तस्वीर क्लियर होगी, उसके तुरंत बाद जेएमएम अपने कोटे के मंत्रियों के नाम की घोषणा करेगा.

रांची: झारखंड में महागठबंधन की सरकार के कैबिनेट एक्सपेंशन में सामाजिक समीकरण के इक्वेशन को पूरी तरह संतुलित करने की हरसंभव कोशिश की जा रही है, हालांकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ तीन अलग-अलग मंत्रियों ने शपथ ली है.

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जिसमें से एक अल्पसंख्यक, एक अनुसूचित जाति जबकि अन्य अनुसूचित जनजाति समुदाय के सदस्य है. आंकड़ों के हिसाब से मौजूदा सरकार की कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 12 सदस्य हो सकते है. उस लिहाज से 8 बर्थ अभी भी स्टेट कैबिनेट में खाली पड़े है. वहीं, मुख्यमंत्री सोरेन ने अपने दिल्ली ट्रिप के दौरान बाकी आठ बर्थ पर नाम को अंतिम रूप देने के मकसद से कांग्रेस के नेताओं से बात की है. सूत्रो की यकीन करें तो उन 8 में से 3 पर कांग्रेस के विधायक मंत्री बनेंगे जबकि बाकी के 5 मंत्री जेएमएम कोटे से आएंगे.

ये भी देखें- खरसावां में तात्कालिक CM पर चप्पल फेंके जाने के मामले ने पकड़ा तूल, आरोपियों को क्लीन चिट पर बिफरी बीजेपी

अब कांग्रेस का फोकस अगड़ी और ओबीसी समुदाय पर
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रो की मानें तो एक तरफ जहां अल्पसंख्यक समुदाय के चेहरे के रूप में पार्टी के विधायक दल के नेता आलमगीर आलम को मंत्रिमंडल में एकोमोडेट किया गया है. वहीं, दूसरी तरफ एसटी कोटे से झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव मंत्री बने है. सामाजिक समीकरण के हिसाब से देखें तो अब अगड़ी और पिछड़ी जाति के विधायकों को स्टेट कैबिनेट में जगह दी जा सकती है. ऐसी स्थिति में पार्टी के भीतर राजेंद्र सिंह, दीपिका पांडे, पूर्णिमा सिंह और बादल पत्रलेख ऐसे विधायक है जो अगड़ी जाति के प्रतिनिधि है. वहीं, दूसरी तरफ बन्ना गुप्ता और अंबा प्रसाद ओबीसी समुदाय से आते है.

अल्पसंख्यक, महतो और एसटी कम्युनिटी पर JMM की है नजर
वहीं, जेएमएम की बात करे तो पार्टी की नजर अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और महतो प्रतिनिधियों के ऊपर है. अनुसूचित जनजाति समुदाय से स्टीफन मरांडी, नलिन सोरेन, चंपई सोरेन और दीपक बिरुआ नाम पर चर्चा हो रही है. वहीं, महतो मतदाताओं के बीच अपनी पैठ रखने वाले मथुरा महतो और जगरनाथ महतो पर भी पार्टी में विचार हो रहा है, जबकि माइनॉरिटी चेहरे में हाजी हुसैन अंसारी फिट बैठते है. हालांकि इन सबके बीच अगड़ी जाति में मिथिलेश कुमार ठाकुर भी मंत्री पद की दौड़ में है.

17 जनवरी के बाद होगी तस्वीर साफ
कांग्रेस में किसे मंत्री पद मिलेगा इसको लेकर 17 जनवरी के बाद तस्वीर साफ होने की उम्मीद है. इस बाबत दिल्ली में पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी की पार्टी विधायकों के साथ मुलाकात होनी है. उसी बैठक में मंत्रिमंडल को लेकर तस्वीर साफ होने की पूरी उम्मीद है. जेएमएम भी कांग्रेस के निर्णय का इंतजार कर रही है. कांग्रेस की तरफ से जैसे ही मंत्रियों के नाम से जुड़ी तस्वीर क्लियर होगी, उसके तुरंत बाद जेएमएम अपने कोटे के मंत्रियों के नाम की घोषणा करेगा.

Intro:रांची। झारखंड में महागठबंधन की सरकार के कैबिनेट एक्सपेंशन में सामाजिक समीकरण के इक्वेशन को पूरी तरह संतुलित करने की हरसंभव कोशिश की जा रही है। हालांकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ तीन अलग-अलग मंत्रियों ने शपथ ली है जिसमें से एक अल्पसंख्यक, एक अनुसूचित जाति जबकि अन्य अनुसूचित जनजाति समुदाय के सदस्य हैं। आंकड़ों के हिसाब से मौजूदा सरकार की कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 12 सदस्य हो सकते हैं। उस लिहाज से 8 बर्थ अभी भी स्टेट कैबिनेट में खाली पड़े है। वहीं मुख्यमंत्री सोरेन ने अपने दिल्ली ट्रिप के दौरान बाकी आठ बर्थ पर नाम को अंतिम रूप देने के मकसद से कांग्रेस के नेताओं से बात की है। सूत्रों का यकीन करें तो उन 8 में से 3 पर कांग्रेस के विधायक मंत्री बनेंगे जबकि बाकी के 5 मंत्री झारखंड मुक्ति मोर्चा कोटे से आएंगे।


Body:अब कांग्रेस का फोकस अगड़ी और ओबीसी समुदाय पर
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का यकीन करें तो एक तरफ जहां अल्पसंख्यक समुदाय के चेहरे के रूप में पार्टी के विधायक दल के नेता आलमगीर आलम को मंत्रिमंडल में एकोमोडेट किया गया है। वहीं दूसरी तरफ एसटी कोटे से झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव मंत्री बने हैं। सामाजिक समीकरण के हिसाब से देखें तो अब अगड़ी और पिछड़ी जाति के विधायकों को स्टेट कैबिनेट में जगह दी जा सकती है। ऐसी स्थिति में पार्टी के भीतर राजेंद्र सिंह, दीपिका पांडे, पूर्णिमा सिंह और बादल पत्रलेख ऐसे विधायक हैं जो अगड़ी जाति के प्रतिनिधि हैं। वहीं दूसरी तरफ बन्ना गुप्ता और अंबा प्रसाद ओबीसी समुदाय से आते हैं।

अल्पसंख्यक, महतो और एसटी कम्युनिटी पर झामुमो की है नजर
वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा की बात करें तो पार्टी की नजर अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और महतो प्रतिनिधियों के ऊपर है। अनुसूचित जनजाति समुदाय से स्टीफन मरांडी, नलिन सोरेन, चंपई सोरेन और दीपक बिरुआ नाम पर चर्चा हो रही है। वहीं महतो मतदाताओं के बीच अपनी पैठ रखनेवाले मथुरा महतो और जगरनाथ महतो पर भी पार्टी में विचार हो रहा है। जबकि माइनॉरिटी चेहरे में हाजी हुसैन अंसारी फिट बैठते हैं। हालांकि इन सबके बीच अगड़ी जाति में मिथिलेश कुमार ठाकुर भी मंत्री पद की दौड़ में हैं।


Conclusion:17 जनवरी के बाद होगी तस्वीर साफ
हालांकि कांग्रेस में किसे मंत्री पद मिलेगा इसको लेकर 17 जनवरी के बाद तस्वीर साफ होने की उम्मीद है। इस बाबत दिल्ली में पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी की पार्टी विधायकों के साथ मुलाकात होनी है। उसी बैठक में मंत्रिमंडल को लेकर तस्वीर साफ होने की पूरी उम्मीद है। झारखंड मुक्ति मोर्चा भी कांग्रेस के निर्णय का इंतजार कर रहा है। कांग्रेस की तरफ से जैसे ही मंत्रियों के नाम से जुड़ी तस्वीर क्लियर होगी उसके तुरंत बाद झामुमो की अपने कोटे के मंत्रियों के नाम की घोषणा करेगा।
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