रांची: झारखंड स्टेट स्टूडेंड यूनियन के बंद का मिलाजुला असर दिख रहा है. छात्रों ने 60-40 पर आधारित नियोजन नीति के खिलाफ 10 जून और 11 जून को झारखंड बंद बुलाया है. जिसका राजधानी में इसका असर नहीं दिख रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने बरियातू से लेकर रातू रोड चौराहे तक बंद का जायजा लिया. इस दौरान आम दिनों की तरह दुकानें खुली नजर आईं. सड़क के किनारे फल के ठेले भी नजर आए. आम दिनों की तरह गाड़ियों का परिचालन भी देखने को मिला.
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जबरन बंद की संभावना से निपटने के लिए मोराबादी समेत तमाम चौक चौराहों पर पुलिस मुस्तैद नजर आई. जानकारी के मुताबिक कुछ छात्रों ने कांके में दुकानें बंद कराने की कोशिश की. इसी तरह नामकुम के रामपुर में सड़क पर टायर जलाकर विरोध जताया गया. वहीं खादगढ़ा बस स्टैंड में भी बंद कराने की कोशिश की गई.
छात्रों का कहना है कि 60-40 के तहत सरकारी नौकरी में नियोजन होने से स्थानीयों की हकमारी होगी. उनकी जगह बाहर के लोग नौकरी ले लेंगे. इसलिए सरकार को खतियान आधारित स्थानीयता तय कर नौकरी देने की व्यवस्था करनी चाहिए. वहीं मूलवासी सदान मोर्चा का कहना है कि बिहारी की नियोजन नीति के तर्ज पर झारखंड में बहाली होनी चाहिए.
इस मांग को लेकर छात्रों ने अप्रैल माह में मुख्यमंत्री आवास घेरने की कोशिश की थी. उस दिन छात्रों की पुलिस के साथ काफी देर तक लुकाछिपी हुई थी. मोराबादी में जमा छात्र किसी भी हालत में सीएम आवास तक पहुंचना चाह रहे थे. बाद में एक गली से दूसरी गली होते हुए छात्रों का एक दल सीएम आवास के पास कांके मोड़ तक पहुंच गया था. इस दौरान बैरिकेडिंग लांघने की कोशिश की गई. चूकि धारा 144 लगा दी गई थी, इसलिए तमाम छात्र नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था. हालांकि देर रात सभी को छोड़ दिया गया था. इस घटना के बाद कुछ दिन तक छात्र शिथिल थे. अब फिर से छात्रों ने आंदोलन को हवा दी है.
जानकारी के मुताबिक, संथाल के साहबिगंज, पाकुड़ और दुमका में बंद का असर दिख रहा है. रामगढ़ में भी छात्रों ने सड़क जाम कर दिया. हालांकि करीब एक घंटे बाद छात्र खुद सड़क से हट गये. बोकारो में भी एनएच को जाम किया गया. खास बात है कि पिछली बार छात्रों के आंदोलन को भाजपा और आजसू ने नैतिक समर्थन दिया था. इस बार पार्टियों की तरफ से ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई. स्थानीय स्तर पर भाजपा और आजसू के नेता आंदोलन का नैतिक समर्थन कर रहे हैं.