रांची: झारखंड में नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर सियासी घमासान जारी है. बीजेपी पूर्व मुख्यमंत्री और राज धनवार सीट से पिछले विधानसभा चुनाव जीतकर आए बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने की जिद पर अड़ी हुई है. बीजेपी नेताओं का साफ मानना है कि सरकार के इशारे पर स्पीकर इस मसले को साढ़े तीन साल से उलझाकर रखे हुए हैं. ऐसे में न्यायालय के फैसले के अनुरूप पार्टी आगे कदम उठाएगी.
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इन सबके बीच पार्टी के अंदर झारखंड हाई कोर्ट के द्वारा हाल के दिनों में झारखंड विधानसभा सचिव को दिए गए निर्देश पर भी मंथन शुरू हो गया है. गुरुवार को बीजेपी के शीर्ष नेताओं की भाजपा प्रदेश कार्यालय में हुई बैठक में इस पर चर्चा हुई है. जानकारी के मुताबिक, बीजेपी न्यायादेश के अनुरूप फैसला लेगी. बाबूलाल के विकल्प पर भी पार्टी विचार कर रही है. हालांकि, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश मानते हैं कि बाबूलाल भाजपा विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से नेता चुने गए, जिसकी जानकारी विधानसभा अध्यक्ष को तत्काल देकर नेता प्रतिपक्ष बनाने का आग्रह किया गया. मगर, सरकार के दबाव में स्पीकर ने इसे अब तक जलेबी की तरह उलझा कर रखा है. इसी तरह पार्टी महासचिव प्रदीप वर्मा भी मानते हैं कि सरकार के इशारे पर नेता प्रतिपक्ष का मुद्दा उलझाकर रखा गया है. उन्होंने जेवीएम के मर्जर को संवैधानिक रूप से सही बताते हुए कहा कि इसकी मान्यता चुनाव आयोग से मिलने के बावजूद इसे लटकाने की कोशिश की गई है. पार्टी न्यायादेश के अनुरूप आगे निर्णय लेगी.
बीजेपी दलबदलू के बजाए किसी अन्य को बनाए नेता प्रतिपक्ष-झामुमो: नेता प्रतिपक्ष को लेकर चल रहे सियासी घमासान के बीच एक बार फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बाबूलाल मरांडी को दलबदलू बताते हुए भारतीय जनता पार्टी से किसी दूसरे नेता को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग की है. झामुमो नेता मनोज पांडे ने बीजेपी पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि जिस तरह से बाबूलाल मरांडी पर दल बदल के आरोप लगे हैं, ऐसे में न्यायालय का फैसला आना बाकी है. ऐसी परिस्थिति में एक कंघी छाप से जीतकर आने वाला व्यक्ति को कमल फूल वाली बीजेपी कैसे अपना नेता चुनेगी, यह समझने वाली बात है. यदि भारतीय जनता पार्टी को हिम्मत है तो बाबूलाल मरांडी को इस्तीफा दिलाकर राजधनवार सीट से एक बार फिर चुनाव लड़ने दे.
सियासी घमासान के बीच झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश ने नेता प्रतिपक्ष पर जल्द फैसला होने की संभावना को तेज कर दिया है. विधानसभा न्यायाधिकरण में बाबूलाल मरांडी के ऊपर दर्ज चार केसों की सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला पिछले आठ महीने से सुरक्षित है. ऐसे में संभावना यह जताई जा रही है कि हाईकोर्ट के कड़े रुख के बाद नेता प्रतिपक्ष का मसला जल्द समाधान हो जायेगा.
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क्या है मामला?: बता दें कि बाबूलाल मरांडी पर स्पीकर न्यायाधिकरण में 10वीं अनुसूची उल्लंघन के अलग अलग चार केस दर्ज हैं. इन मामलों में लंबी सुनवाई चली, जिसके बाद पिछले आठ माह से फैसला सुरक्षित रखा गया है. बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में 11 फरवरी 2020 को जेवीएम प्रजातांत्रिक की कार्यसमिति की बैठक हुई थी, जिसमें पार्टी को बीजेपी में मर्ज करने का फैसला लिया गया था. भारत निर्वाचन आयोग ने भी जेवीएम प्रजातांत्रिक के बीजेपी में मर्जर को सही माना था. मर्जर के बाद बीजेपी विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से बाबूलाल मरांडी को नेता विधायक दल चुना गया, जिसकी जानकारी स्पीकर को दी गई. इस मामले में 16 दिसंबर 2020 को राजकुमार यादव ने न्यायाधिकरण से बाबूलाल मरांडी के खिलाफ पहली शिकायत की थी. इसके बाद 21 जनवरी 2021, को भूषण तिर्की, दीपिका सिंह पांडे, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने दल बदल का आरोप लगाते हुए बाबूलाल के खिलाफ लिखित शिकायत न्यायाधिकरण से की थी. इसी मामले को लेकर सियासी घमासान जारी है.