रांची: झारखंड को जैविक राज्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके तहत झनक और राज्य में जैविक वर्मी कंपोस्ट निर्माण यूनिट लगाए जाएंगे. वहीं गोधन न्याय योजना की शुरुआत भी की गई. हेसाग स्थित पशुपालन निदेशालय सभागार में राज्य के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने गोधन न्याय योजना का मंगलवार (13 जून) को लोकार्पण किया. कहा कि प्रगतिशील अन्नदाताओं और दूध उत्पादकों को गोवंश के गोबर से जैविक कृषि क्षेत्र में पहचान बनेगी.
उन्होंने कहा कि हमलोग केमिकल फर्टिलाइजर पर आश्रित हैं. रसायन युक्त उर्वरक का हमारे स्वास्थ्य पर खराब प्रभाव पड़ता है. राज्य के पांच जिलों में गोधन न्याय योजना चलाई जाएगी. पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस योजना को चलाया जाएगा. कृषि मंत्री ने राज्य के गोपालकों से निवेदन किया है कि वह राज्य को जैविक झारखंड बनाने की दिशा में आगे बढ़ें.
कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य में ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद का उपयोग हो. राज्य के जैविक उत्पादों को मान्यता मिले. इसके लिए एजेंसी और सेंटर बनाने की तैयारी सरकार कर रही है. कृषि मंत्री ने कहा कि वर्मी कंपोस्ट के लिए 10 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है. अगर पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो 100 करोड़ की योजना भी बनाई जाएगी.
इस योजना के तहत राज्य के किसानों को 08 रुपये किलो वर्मी कंपोस्ट उनके इलाके में ही उपलब्ध हो सकेगा. गोपालकों से 2 रुपये किलो गोबर सरकार खरीद लेगी और प्रसंस्करण के बाद किसानों को वर्मी कंपोस्ट के रूप में उपलब्ध कराएगी. कृषि मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने गाय को सम्मान देने का काम किया है. गोशाला पर काम करने के साथ पहली बार राज्य में गोमुक्तिधाम के निर्माण की शुरुआत की है.
राज्य के 12 लाख किसानों को अबतक प्रति किसान 3500 रुपये का लाभ सुखाड़ राहत के लिए दिया जा चुका है. साथ ही 9.38 लाख किसानों के बीच सुखाड़ से हुए नुकसान के एवज में 810 करोड़ की राशि फसल बीमा के लाभ के रूप में वितरित की गई है. किसानों के कल्याण के लिए सुखाड़ राहत के लिए केंद्र सरकार को 9682 करोड़ की मांग की है. यह राशि सीधे किसानों के खाते में जाएगी. कहा कि विभाग ने मुख्यमंत्री के दिशा निर्देश में कई फ्लैगशिप योजना की शुरुआत की है. गोधन न्याय योजना भी उनमें से एक है. जिससे प्रथम चरण में करीब 10 हजार किसान लाभान्वित होंगे.
ऑर्गेनिक फार्मिंग अथॉरिटी ऑफ झारखंड के सीईओ महालिंगा शिवाजी ने कहा कि जितना गोवंश जहां होता है, वहां उतनी ही समृद्धि और संपन्नता आती है. सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर आज तक हर काल में गोवंश का स्थान प्रमुख रहा है. उन्होंने कहा कि गोबर में पोषक तत्व होते हैं, जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं, इसीलिए इस योजना से 504 लाख मीट्रिक टन उत्सर्जित गोबर को नाइट्रोजन के रूप में कन्वर्ट किया जा सकेगा और इस कन्वर्जन से राज्य को 22000 करोड़ रुपये की बचत होगी.ओफाज के CEO ने कहा कि योजना पारंपरिक कृषि की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.
गोधन न्याय योजना का उद्देश्य झारखंड राज्य में उपलब्ध गोवंश के द्वारा उत्सर्जित गोबर का उपयोग वर्मी कंपोस्ट तैयार करते हुए कृषक की रासायनिक खादों पर निर्भरता को कम किया जाएगा. इससे कृषकों की आय में वृद्धि भी होगी. साल 2019 के आर्थिक सर्वे के अनुसार राज्य में 12.57 मिलियन गोवंश हैं. एक अनुमान के तौर पर गोवंश के द्वारा 504 लाख टन गोबर का उत्सर्जन प्रति वर्ष किया जाता है.
गोधन न्याय योजना के निर्धारित लक्ष्य
- पशुपालकों की आय में वृद्धि करना.
- पशुधन विचरण एवं खुली चराई पर रोक लगाने में मदद मिलना.
- जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा एवं रसायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना.
- स्थानीय स्तर पर जैविक खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करना.
- स्थानीय स्वयं सहायता समूह/ बेरोजगार युवकों को रोजगार के अवसर/गोशालाओं का सुदृढ़ीकरण।
- भूमि की उर्वरता को बढ़ाने में मदद.
- रासायन रहित खाद पदार्थों की उपलब्धता सुनिश्चित करना.
गोधन योजना के लांचिंग कार्यक्रम में कृषि निदेशक चंदन कुमार,उद्यान निदेशक, सीईओ ओफाज महालिंगा शिवाजी, निदेशक हॉर्टिकल्चर , नेसार अहमद, संयुक्त निदेशक शशिभूषण अग्रवाल, रामकृष्ण मिशन के सचिव स्वामी भविष्यानंद, सहित जिला कृषि पदाधिकारी, कृषक और कृषक मित्र उपस्थित थे.