रांची: झारखंड में अब तक करीब 400 से ज्यादा बच्चे कोरोना की वजह से अनाथ(Orphan) हुए हैं. जिसमें 228 बच्चों को पुनर्वासीत करने की सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई है. इनमें 130 बच्चे रांची जिले में चिन्हित किए गए हैं. ऐसे सभी बच्चों का झालसा (Jhalsa) ने खर्च उठाने का फैसला लिया है. कोरोना की वजह से अनाथ हुए बच्चों को ध्यान में रखकर झालसा की तरफ से ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
ये भी पढ़े: रांचीः कोरोना से अनाथ हुए बच्चियों की मदद करने पहुंचे जस्टिस अपरेश कुमार
ग्रामीण स्तर पर मृत्यु की हो रही है ऑडिट: सीएम
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन(CM Hemant Soren) ने ऐसे बच्चों के प्रति सरकार की भावना से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि इस मामले पर सरकार संवेदनशील है. सरकार का मानना है कि सिर्फ महामारी की वजह से ही नहीं बल्कि दूसरे कारणों से भी राज्य में कोई भी बच्चा अनाथ होता है तो उसकी देखरेख जरूरी है. इसी वजह से ग्रामीण स्तर पर लोगों की मृत्यु का ऑडिट कराया जा रहा है. ताकि सभी अनाथ की पहचान हो सके. मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में ह्यूमन ट्रैफिकिंग(Human Trafficking) को रोकने के लिए भी ग्रामीण स्तर पर महिला एसपीओ की तैनाती की तैयारी चल रही है.
अनाथ हुए बच्चों का होगा पुनर्वास: झालसा
ऑनलाइन कार्यक्रम में झारखंड हाई कोर्ट(Jharkhand High Court) के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन भी जुड़े. उन्होंने कहा कि कोविड-19 में अनाथ हुए बच्चों के पुनर्वास के लिए जिस तरह से झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश और झालसा(Jhalsa) के अध्यक्ष अपरेश कुमार सिंह ने काम किया है वह काबिले तारीफ है. उन्होंने कहा कि जब वे किसी अनाथ बच्चे के घर जाकर उनकी मदद करते हैं, तो उसमें यह भावना नहीं दिखनी चाहिए कि हम उन्हें कुछ देने के लिए जा रहे हैं. बल्कि हम इस भावना से वहां जाए कि जो उनका अधिकार है हम वह उन्हें दे रहे हैं. इनके अलावा 'झालसा' के कार्यकारी अध्यक्ष अपरेश कुमार सिंह ने कहा कि जिन्हें पुनर्वासित करने के लिए चिन्हित किया गया है उन्हें सुविधा उपलब्ध कराई गई है. झारखंड हाईकोर्ट के अन्य न्यायाधीशों ने भी कार्यक्रम में अपना मत रखा.