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जैवलिन थ्रो की नेशनल प्लेयर मारिया गोरती खलखो की हालत दयनीय, सरकार से लगाई आर्थिक मदद की गुहार - जैवलिन थ्रो की नेशनल प्लेयर मारिया गोरती खलखो की हालत दयनीय

रांची में जैवलिन थ्रो की नेशनल प्लेयर मारिया गोरती खलखो की हालत काफी दयनीय है. उनका स्वास्थ्य भी सही नहीं चल रहा है. इसको लेकर उन्होंने सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

javelin throw national player maria gorati khalko condition is bad in ranchi
राष्ट्रीय स्तर की कोच मारिया गोरती खलखो
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Published : Jan 2, 2021, 9:21 PM IST

रांचीः खेल और खिलाड़ियों के विकास को लेकर घोषणाएं की जा रही है, लेकिन ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो आज भी सरकारी मदद को लेकर गुहार लगाने को मजबूर हैं. आज हम बात कर रहे हैं जैवलिन थ्रो की नेशनल प्लेयर रह चुकी और शानदार एथलेटिक्स कोच मारिया गोरती खलखो की. इन दिनों मारिया की हालत काफी नाजुक है. उनकी सेहत भी काफी नासाज चल रही है, लेकिन इस ओर न तो सरकार का ध्यान है और न ही किसी संबंधित पदाधिकारी का ध्यान है.

वर्ष 2019 में हो चुका है एक बार इलाज

वर्ष 2019 में रिम्स में भी एथलेटिक्स कोच मारिया गोरती खलखो का इलाज चला और पता चला कि इनका एक लंग्स पूरी तरह खराब हो चुका है. उस दौरान खेल विभाग की ओर से थोड़ी बहुत मदद मिली थी, लेकिन फिर एक वर्ष बीत गया. मारिया का हाल-चाल जानने भी उनके घर कोई नहीं पहुंचा. नामकुम की रहने वाली मारिया आज भी सरकारी आर्थिक मदद के लिए गुहार लगा रही है.

एक लाख रुपये देने की की गई थी घोषणा

सरकार ने एक लाख रुपये की आर्थिक मदद किए जाने का वादा किया था, लेकिन इस वादे को सरकार शायद भूल गई है. नामकुम प्रखंड के आरा गेट के समीप मारिया रहती हैं. हर महीने लगभग 4 हजार की दवा की इन्हें जरूरत पड़ती है, लेकिन इस ओर किसी ने भी ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा और आज वह आर्थिक मदद के लिए सरकार से हाथ फैलाए खड़ी है, जबकि एथलेटिक्स में इनका परचम इन के खेल के समय लहराता था. उस दौरान आगे पीछे इनके मीडिया के कैमरे के साथ-साथ कई पदाधिकारी मंडराते थे और आज उम्र के साथ हर कुछ बेगाना हो गया. एथलेटिक्स कोच के तौर पर मारिया गोरती खलखो ने लातेहार में 1988 में योगदान दिया. अगस्त 2018 में संविदा रहते रिटायर्ड भी हो गई. 30 वर्षों में उनका मानदेय 1000 से 31 हजार तक पहुंचा और अंतिम समय में एथलेटिक्स बालिका सेंटर में वह अपनी योगदान दी. रिटायरमेंट के बाद से ही मारिया के हाथ खाली हो गए और वह एक एक रुपये के लिए मोहताज होने लगी.

इसे भी पढ़ें- दिल्ली: किसान आंदोलन में शामिल हुए इंटक नेता केएन त्रिपाठी, बोले- सरकार तुरंत कानून हटाए

कई खिलाड़ियों को संवारा

मारिया के मुताबिक उन्होंने झारखंड में ऐसे कई एथलीट को अपने हाथ से गढ़ा और उन्हें अपने मुकाम तक पहुंचाया है. इन सब प्रयासों के बाद भी उनके पास खुद की जिंदगी के लिए कोई सहारा अब नहीं बचा है, जबकि खेल विभाग में खिलाड़ी कल्याण कोष से खिलाड़ियों को मदद किए जाने का प्रावधान है. इसके लिए रुपयों की भी कोई लिमिट नहीं है. इसके बावजूद मारिया की हालत इन दिनों काफी खराब है. इस ओर जल्द से जल्द खेल विभाग सरकार और जिला प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है.

इनके दिए गए प्रशिक्षण से कई पदक हुए हासिल

  • मेरी इरेसा तिर्की-ऑल इंडिया स्कूल नेशनल में स्वर्ण पदक
  • प्रतिमा खलखो रूलर नेशनल में शॉटपुट में गोल्ड मेडल
  • यासीन कुजूर हाई जंप स्कूल नेशनल में गोल्ड मेडल
  • एवन कुजूर 400 मीटर स्कूल नेशनल में स्वर्ण पदक
  • प्रतिमा खलखो शॉट पुट स्कूल नेशनल में स्वर्ण
  • रीमा लकड़ा 3000 मीटर में गोल्ड मेडल और 800 मीटर में सिल्वर मेडल
  • संगीता एक्का 800 मीटर में गोल्ड मेडल स्कूल नेशनल में प्राप्त किया था
  • एयरबोर्न कुजूर 400 मीटर स्कूल नेशनल में स्वर्ण पदक
  • दीपा माला 800 मीटर स्कूल नेशनल में सिल्वर मेडल प्राप्त

इस तरह मारिया से प्रशिक्षण प्राप्त कर अनगिनत खिलाड़ियों ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर परचम लहरा चुके हैं. मारिया के खुद के नाम भी कई रिकॉर्ड दर्ज हैं, लेकिन अफसोस आज उनका सुध लेने वाला कोई नहीं है.

रांचीः खेल और खिलाड़ियों के विकास को लेकर घोषणाएं की जा रही है, लेकिन ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो आज भी सरकारी मदद को लेकर गुहार लगाने को मजबूर हैं. आज हम बात कर रहे हैं जैवलिन थ्रो की नेशनल प्लेयर रह चुकी और शानदार एथलेटिक्स कोच मारिया गोरती खलखो की. इन दिनों मारिया की हालत काफी नाजुक है. उनकी सेहत भी काफी नासाज चल रही है, लेकिन इस ओर न तो सरकार का ध्यान है और न ही किसी संबंधित पदाधिकारी का ध्यान है.

वर्ष 2019 में हो चुका है एक बार इलाज

वर्ष 2019 में रिम्स में भी एथलेटिक्स कोच मारिया गोरती खलखो का इलाज चला और पता चला कि इनका एक लंग्स पूरी तरह खराब हो चुका है. उस दौरान खेल विभाग की ओर से थोड़ी बहुत मदद मिली थी, लेकिन फिर एक वर्ष बीत गया. मारिया का हाल-चाल जानने भी उनके घर कोई नहीं पहुंचा. नामकुम की रहने वाली मारिया आज भी सरकारी आर्थिक मदद के लिए गुहार लगा रही है.

एक लाख रुपये देने की की गई थी घोषणा

सरकार ने एक लाख रुपये की आर्थिक मदद किए जाने का वादा किया था, लेकिन इस वादे को सरकार शायद भूल गई है. नामकुम प्रखंड के आरा गेट के समीप मारिया रहती हैं. हर महीने लगभग 4 हजार की दवा की इन्हें जरूरत पड़ती है, लेकिन इस ओर किसी ने भी ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा और आज वह आर्थिक मदद के लिए सरकार से हाथ फैलाए खड़ी है, जबकि एथलेटिक्स में इनका परचम इन के खेल के समय लहराता था. उस दौरान आगे पीछे इनके मीडिया के कैमरे के साथ-साथ कई पदाधिकारी मंडराते थे और आज उम्र के साथ हर कुछ बेगाना हो गया. एथलेटिक्स कोच के तौर पर मारिया गोरती खलखो ने लातेहार में 1988 में योगदान दिया. अगस्त 2018 में संविदा रहते रिटायर्ड भी हो गई. 30 वर्षों में उनका मानदेय 1000 से 31 हजार तक पहुंचा और अंतिम समय में एथलेटिक्स बालिका सेंटर में वह अपनी योगदान दी. रिटायरमेंट के बाद से ही मारिया के हाथ खाली हो गए और वह एक एक रुपये के लिए मोहताज होने लगी.

इसे भी पढ़ें- दिल्ली: किसान आंदोलन में शामिल हुए इंटक नेता केएन त्रिपाठी, बोले- सरकार तुरंत कानून हटाए

कई खिलाड़ियों को संवारा

मारिया के मुताबिक उन्होंने झारखंड में ऐसे कई एथलीट को अपने हाथ से गढ़ा और उन्हें अपने मुकाम तक पहुंचाया है. इन सब प्रयासों के बाद भी उनके पास खुद की जिंदगी के लिए कोई सहारा अब नहीं बचा है, जबकि खेल विभाग में खिलाड़ी कल्याण कोष से खिलाड़ियों को मदद किए जाने का प्रावधान है. इसके लिए रुपयों की भी कोई लिमिट नहीं है. इसके बावजूद मारिया की हालत इन दिनों काफी खराब है. इस ओर जल्द से जल्द खेल विभाग सरकार और जिला प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है.

इनके दिए गए प्रशिक्षण से कई पदक हुए हासिल

  • मेरी इरेसा तिर्की-ऑल इंडिया स्कूल नेशनल में स्वर्ण पदक
  • प्रतिमा खलखो रूलर नेशनल में शॉटपुट में गोल्ड मेडल
  • यासीन कुजूर हाई जंप स्कूल नेशनल में गोल्ड मेडल
  • एवन कुजूर 400 मीटर स्कूल नेशनल में स्वर्ण पदक
  • प्रतिमा खलखो शॉट पुट स्कूल नेशनल में स्वर्ण
  • रीमा लकड़ा 3000 मीटर में गोल्ड मेडल और 800 मीटर में सिल्वर मेडल
  • संगीता एक्का 800 मीटर में गोल्ड मेडल स्कूल नेशनल में प्राप्त किया था
  • एयरबोर्न कुजूर 400 मीटर स्कूल नेशनल में स्वर्ण पदक
  • दीपा माला 800 मीटर स्कूल नेशनल में सिल्वर मेडल प्राप्त

इस तरह मारिया से प्रशिक्षण प्राप्त कर अनगिनत खिलाड़ियों ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर परचम लहरा चुके हैं. मारिया के खुद के नाम भी कई रिकॉर्ड दर्ज हैं, लेकिन अफसोस आज उनका सुध लेने वाला कोई नहीं है.

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