रांचीः अपने बयानों से लगातार सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों को असहज करते रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक लोबिन हेंब्रम आज फिर एक बार अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करते नजर आएंगे. झारखंड बचाओ मोर्चा की ओर से रविवार को ओल्ड झारखंड विधानसभा मैदान में जमीन-खतियान बचाओ महाजुटान का आयोजन किया गया है. जिसमें मुख्य वक्ता लोबिन हेंब्रम हैं. आज के महाजुटान में लोबिन हेंब्रम के अलावा पीसी मुर्मू, जगरनाथपुर के पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा, राजू महतो, सुशांतो मुखर्जी, विजय शंकर नायक, विनीता खलखो, विक्की पाहन, बाबूलाल महतो, रेणु कच्छप, करमु मुंडा, मुख्तार अंसारी, शिबू होरो,नागेंद्र महतो सहित दर्जनों वक्ता शामिल होंगे.
सुशांतो मुखर्जी ने कहा-वादा नहीं निभा रहे हैं हेमंत सोरेन: महाजुटान में शामिल होने आए मासस नेता सुशांतो मुखर्जी ने कहा कि हम सरकार के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जो वादा कर सत्ता में हेमंत सोरेन आए थे, वह उससे पीछे क्यों हट रहे हैं इस सवाल को मोर्चा उठा रहा है. मासस नेता ने कहा कि अब हम लोगों को लगता है कि जल, जंगल और जमीन की बात कहकर सत्ता आनेवाली झामुमो और पूर्व की भारतीय जनता पार्टी की सरकार में कोई अंतर नहीं है.
जल, जंगल की लूट हो गई तो आदिवासी-मूलवासी का जीवन कैसे बचेगा: पश्चिम सिंहभूम के जगरनाथपुर के पूर्व विधायक रहे मंगल सिंह बोबोंगा ने कहा कि वर्तमान सरकार में चारों तरफ जमीन की लूट मची है. इसमें सरकार और सरकारी तंत्र से राज्य के आदिवासी और मूलवासी का विश्वास उठ गया है. संवैधानिक प्रावधान होने के बावजूद हमारे जल, जंगल और जमीन सुरक्षित नहीं हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड की आदिवासी और मूलवासी जनता के लिए अगर जमीन और जंगल ही नहीं बचेगा, तब आदिवासी और मूलवासी का जीवन कैसे बचेगा? पूर्व विधायक ने जमीन के मुद्दे को एक बड़ा सवाल बताते हुए कहा कि अब झारखंड के आदिवासी और मूलवासी जागरूक हो गए हैं. वह यह देख रहे हैं कि हेमंत सोरेन की सरकार में जमीन की लूट मची है. इसलिए इसकी लड़ाई झारखंड बचाओ मोर्चा लड़ रहा है. इसमें समान विचारधारा वाले कई लोग शामिल हैं.
लगातार हेमंत सोरेन सरकार को असहज करते रहे हैं लोबिन: ऐसा पहली बार नहीं होगा जब झामुमो के विधायक लोबिन हेंब्रम अपनी ही सरकार को घेरते नजर आएंगे. इससे पहले पारसनाथ जैन-आदिवासी विवाद, खतियान विवाद, 1932 स्थानीय नीति, नियोजन नीति, सीएन-एसपीटी एक्ट जैसे झारखंड के लोगों के भावनात्मक मुद्दे पर विधानसभा के अंदर और बाहर लगातार मुखर होते रहे हैं.