जयपुर: सांगानेर में विराजित आचार्य सुनील सागर महाराज के एक और शिष्य मुनि समर्थ सागर का भी शुक्रवार को देवलोक गमन हुआ. उनकी डोल यात्रा संघी जी मंदिर से विरोध नगर ले जाई गई, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. मुनि समर्थ सागर भी मुनि सुज्ञेय सागर की तरह ही सम्मेद शिखर तीर्थ रक्षा के लिए अनशन पर थे.
बता दें, झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर जैन समाज की आस्था के केंद्र सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित किया गया था. लेकिन, जैन समाज के विरोध प्रदर्शन के चलते केंद्र सरकार ने ये फैसला वापस ले लिया है. केंद्र ने वहां पर्यटन ईकोटूरिज्म गतिविधियों पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को तत्काल प्रभाव से कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. केंद्र ने 2 अगस्त 2019 को इको सेंसेटिव जोन से जुड़ी अधिसूचना के प्रावधानों के पालन पर तत्काल रोक लगाने के लिए झारखंड सरकार को पत्र भी लिखा है.
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हालांकि, आस्था की इस लड़ाई में अनशन कर विरोध जता रहे दो जैन मुनि का देवलोक गमन हुआ है. पहले मुनि सुज्ञेय सागर और अब मुनि समर्थ सागर की भी समाधि हुई है. देर रात 1:20 पर उनका सामाधिकरण हुआ. मुनि समर्थ सागर भी सांगानेर में विराजित हैं, वे आचार्य सुनील सागर महाराज के शिष्य थे. मुनि समर्थ सागर आमरण अनशन पर थे. उन्होंने ये संकल्प लिया था कि जब तक सम्मेद शिखर जी को पवित्रतम तीर्थ घोषित नहीं कर देती तब तक केवल पेय पदार्थ लेने और बाकी सब चीज का त्याग करेंगे फिर चाहे समाधि ही क्यों न हो जाए.
बता दें कि केंद्र सरकार ने गुरुवार को तीन साल पहले जारी किए गए अपने आदेश को वापस ले लिया. पर्यावरण मंत्रालय ने इसे लेकर दो पेज की चिट्ठी जारी की. इसमें लिखा है, 'इको सेंसेटिव जोन अधिसूचना के खंड-3 के प्रावधानों के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाई जाती है, जिसमें अन्य सभी पर्यटन और इको-टूरिज्म गतिविधियां शामिल हैं. राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है.' इसके साथ ही यहां पर शराब, मांसाहार, ड्रग्स, तेज संगीत, लाउडस्पीकर, पालतू जानवर को ले जाना, अनाधिकृत कैंपेन और ट्रैकिंग पर भी पूरी तरह रोक लगाई गई है.