रांची: झारखंड की राजधानी रांची के ऐतिहासिक भगवान जगन्नाथ मंदिर से रथ यात्रा नहीं निकला गया. पिछले 328 वर्षों में ऐसा पहला मौका था जब रथ यात्रा नहीं निकली गई. इसका मुख्य वजह कोरोना संक्रमण रहा. रांची में जगन्नाथ मंदिर की रथ यात्रा को लेकर जिला प्रशासन की तरफ से जारी आदेश के बाद रथ यात्रा स्थगित रही, हालांकि पूरे विधि-विधान के साथ मंदीर के अंदर ही पूजा-पाठ संपन्न हो रहा है.
साल 1857 की क्रांति में अंग्रेजों से लोहा लेने वाले ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के वंशज लाल प्रवीर नाथ शाहदेव ने कहा कि प्रभु की इच्छा के बगैर पत्ता भी नहीं हिलता. उनका मानना है कि प्रभु की इच्छा की वजह से ही इस बार रथ यात्रा नहीं निकल सकी. उन्होंने कहा कि सब कुछ ठीक रहा तो अगले साल धूमधाम से रथ यात्रा निकाली जाएगी. लाल प्रवीर नाथ शाहदेव ने कहा कि मंदिर बंद होने के बावजूद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद लेने पहुंचे. इस मौके पर उनको मंदिर का सीमांकन तय करने से जुड़े मामले से अवगत कराया गया. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह काम जल्द पूरा कर लिया जाएगा.
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दूसरी तरफ मंदिर के मुख्य पुजारी बृजभूषण नाथ मिश्र ने कहा कि सुबह के वक्त भगवान जगन्नाथ की विधिवत पूजा की गई. इस दौरान विष्णु सहस्त्रनाम मंत्रोचार हुआ, लेकिन विष्णु लक्षर्चना नहीं हो सका, क्योंकि विष्णु लक्षर्चना के दौरान भगवान के 1000 नामों का मंत्रोचार होता है. इसके लिए कम से कम 101 श्रद्धालुओं की जरूरत होती है, लेकिन प्रशासन के दिशा-निर्देश के कारण यह संभव नहीं हो पाया. मुख्य पुजारी ने कहा कि पुजारियों के द्वारा ही मंदिर परिसर में भगवान की रथयात्रा निकाली गई. भगवान के विग्रह को डोल मंडप में स्थापित किया गया है. एक तरह से भगवान अपने मुख्य मंदिर से निकलकर मौसी बाड़ी में चले आए हैं. अब हरिसैनी एकादशी यानी 1 जुलाई को भगवान जगन्नाथ की पुन मुख्य मंदिर में वापसी होगी. मुख्य पुजारी ने उम्मीद जताई कि 1 जुलाई से लॉकडाउन में छूट मिली तो इस आयोजन में श्रद्धालु भी शामिल हो सकेंगे.