रांचीः राज्य में लोकपाल नियुक्ति प्रक्रिया में नियमों का अनदेखी का आरोप लगाते हुए झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता अरविंद सिंह के साथ साथ कई अभ्यर्थियों ने याचिका दायर कर नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द कर करने की मांग की है.
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याचिका के माध्यम से अदालत को जानकारी दी गई है कि राज्य सरकार की ओर से विभिन्न जिलों में लोकपाल की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया. विज्ञापन में अभ्यर्थियों को एक ही जिला से आवेदन करने के लिए कहा गया है, लेकिन एक-एक अभ्यर्थियों ने कई जिलों से आवेदन दिया और उस अभ्यर्थी का चयन भी किया गया. याचिका में यह भी कहा गया है कि उच्च योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों की चयन प्रक्रिया में अनदेखी की गई है और कम योग्यता वाले अभ्यर्थियों का चयन किया गया है.
नियुक्ति प्रक्रिया में सेवा-शर्तों की अनदेखी
याचिका में बताया गया है कि 8 ऐसे उम्मीदवार हैं, जिनका चयन दूसरे जिले में हुआ है. इसमें पूनम कुमारी का चयन गोड्डा जिले के लोकपाल में हुआ है, जबकि वे दुमका की निवासी हैं. इसी तरह अरुणाभ जिनका चयन पूर्वी सिंहभूम में हुआ है और वह पश्चिमी सिंहभूम के रहने वाले हैं. सुनील कुमार का चयन लातेहार जिले में हुआ है और वह गढ़वा निवासी हैं. संतोष कुमार पंडित का चयन चतरा जिला में हुआ है और वह लातेहार के रहने वाले हैं. धरणीधर प्रसाद का चयन कोडरमा में हुआ है और वह गिरिडीह के रहने वाले हैं. रेनू कुमारी का चयन बोकारो में हुआ है, जबकि वे गिरिडीह के रहने वाली है. सुदेश्वर प्रसाद का चयन रामगढ़ में हुआ है, जो हजारीबाग के रहने वाले हैं. विनोद प्रमाणिक का चयन पाकुड़ जिला में हुआ है, जो साहिबगंज के रहने वाले हैं.
25 अक्टूबर तक आपत्ति की मांग
झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग की ओर से मनरेगा लोकपाल की नियुक्ति के बाद राज्य के 24 जिलों में से 20 जिलों के लिए एक-एक नाम घोषित कर दिया गया है. इसमें रांची, धनबाद, दुमका, गोड्डा, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, गढ़वा, लातेहार, चतरा, गिरिडीह, कोडरमा, बोकारो, सिमडेगा, पाकुड़, साहिबगंज, खूंटी, रामगढ़, हजारीबाग है. विभाग ने अंतिम रूप से चयनित नामों पर 25 अक्टूबर तक आपत्ति मांग की है.