रांची: झारखंड विधानसभा बजट सत्र के दौरान मंगलवार को कांग्रेस विधायक नमन विक्सल कोनगाड़ी ने कहा कि अक्सर जंगली हाथियों का झुंड सिमडेगा जिले के बोलबा और ठेठईटांगर प्रखंड में आ धमकता है. इस दौरान हाथी न सिर्फ फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि इंसानी जान माल की भी क्षति होती है. लेकिन नुकसान की तुलना में पीड़ित परिवारों को सही मुआवजा नहीं मिल पाता है. लिहाजा सरकार को अलग-अलग तरह के नुकसान के लिए दी जाने वाली मुआवजा राशि बढ़ानी चाहिए. जवाब में प्रभारी मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में अभी तक हाथियों द्वारा किए गए जानमाल की क्षति के आलोक में 119.736 लाख की राशि का भुगतान बतौर मुआवजा किया गया है. इस दौरान प्रभारी मंत्री ने कहा कि मुआवजा वृद्धि का प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन है.
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उन्होंने कहा कि आने वाले समय में जंगली हाथियों की वजह से जान गंवाने वाले पीड़ित परिवार को 4 लाख की जगह 6 लाख 50 हजार रुपए तक का मुआवजा मिलेगा. फसल और घरों के नुकसान की भी मुआवजा राशि बढ़ेगी. सरकार की तरफ से बताया गया कि सिर्फ सिमडेगा वन प्रमंडल के तहत पिछले 3 वर्षों में 5,06,000 पौधे लगाए गए हैं और छोटे-छोटे 28 चेक डैम का निर्माण हुआ है ताकि भोजन और पानी के लिए हाथियों को इंसानी इलाके में आने की जरूरत ना पड़े.
प्रभारी मंत्री ने बताया कि हाथी और इंसान के बीच द्वंद बढ़ने के कई कारण हैं. जनसंख्या बढ़ने की वजह से वन्यजीव पर्यावास क्षेत्र प्रभावित हुआ है. दूसरी तरफ गांव में मादक पेय पदार्थ बनाए जाते हैं जिसकी महक हाथियों को आकर्षित करती है. इसकी वजह से हाथियों की आदत में बदलाव आया है. हालांकि प्रभावित इलाकों के ग्रामीणों को टॉर्च और पटाखे मुहैया कराए जाते हैं. इसके अलावा उन्हें हाथियों को ग्रामीण इलाकों से खदेड़ने के लिए ट्रेनिंग भी दी जाती है. इसी दौरान कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने कहा कि उनके जामताड़ा जिले में भी एक पागल हाथी है जिसने अब तक कई लोगों की जान ले ली है. इस समस्या का भी समाधान होना चाहिए. इस पर प्रभारी मंत्री ने कहा कि यह गंभीर मसला है और संबंधित हाथी को रोकने का निर्देश विभाग को दे दिया गया है.