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रांची में सरकारी कुआं निर्माण के रुपये हड़प रहे कर्मचारी, इंसाफ के लिए भटक रहे पीड़ित - मनरेगा योजना रांची

झारखंड में मनरेगा में बड़े पैमाने में गड़बड़ी हो रही है. सिंचाई के लिए कुआं निर्माण की स्वीकृत योजनाओं के पैसे लाभार्थियों की जगह कर्मचारी और दलाल झटक रहे हैं. पढ़िए पूरी रिपोर्ट

MGNREGA Jhaarkhand
झारखंड में मनरेगा कुआं निर्माण में अनियमितता
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Published : Feb 2, 2022, 7:09 PM IST

रांचीः दीपक तले अंधेरा की कहावत झारखंड की राजधानी रांची में चरितार्थ हो रही है. झारखंड के सीएम से लेकर आला अधिकारी तक राजधानी रांची में रहते हैं और यहीं सरकारी योजनाएं भ्रष्टाचार का अड्डा बनती जा रहीं हैं. ताजा मामला मनरेगा का है, जिसमें गरीबों के नाम पर आवंटित कुओं के पैसे सरकारी कर्मचारी और बिचौलिए हड़प रहे हैं. सिंचाई के लिए मनरेगा के तहत बनवाए जा रहे इन कुओं की राशि को हड़प रहे हैं और उन्हें पता भी नहीं चल पा रहा है. हाल यह है कि इन शिकायतों पर कोई ध्यान भी नहीं दे रहा है और पीड़ित इंसाफ के लिए ब्लॉक से डीसी कार्यालय तक भटक रहे हैं. लेकिन सब ढाक के तीन पात.

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यहां गड़बड़ी सामने आईः बता दें सिंचाई के लिए झारखंड में मनरेगा के तहत कुआं निर्माण कराया जा रहा है. इसके लिए 2018-22 तक 56191 कुओं के निर्माण की स्वीकृति दी गई है. लेकिन इन योजनाओं में गड़बड़ी की जा रही है. स्थानीय प्रखंड कार्यालय, मनरेगाकर्मी और दलालों की मिलीभगत से राजधानी रांची के कांके सहित सहित राज्य के सभी ब्लॉक में किसानों को आवंटित कुएं की राशि की हेराफेरी की जा रही है. कांके हो या पिठौरिया, सुकूरहुटू हो या सुंदर नगर सभी जगहों पर एक ही कहानी है. कागजों में किसानों को आवंटित रुपये उनकी जानकारी बगैर अधिकारियों, कर्मचारियों, दलालों ने निकाल लिए. अब उस राशि के लिए पीड़ित भटक रहे हैं.

देखें पूरी खबर

इनके साथ कर दिया खेलः सुकुरहुटू की वार्ड सदस्य अपर्णा बाड़ा का कहना है कि भोले भाले ग्रामीणों से सादे कागज पर हस्ताक्षर कराकर पैसे निकाल लिए जा रहे हैं और लोगों को पता तब चल रहा है जब कुआं निर्माण की राशि के लिए वो दफ्तरों में पहुंच रहे हैं. इसके बाद से पीड़ित हर दिन शिकायत लेकर एक दफ्तर से दूसरे सरकारी दफ्तर का चक्कर काटते हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती. बीते दिन पिठौरिया रांची के मुमताजुल अंसारी, सुकुरहुटू के चंदर महतो, सुंदर नगर कांके की सावधानी कुजूर, दीपक उरांव डीसी कार्यालय में इंजीनियर और बिचौलिये की धोखाधड़ी की गुहार लगाने पहुंचे.

कुएं का निर्माण कार्य लटकाः पीड़ितों का कहना था कि किसी ने कुआं बनाने के लिए कर्ज ले रखा है तो किसी ने अपनी जमीन-मवेशी बेचकर कुआं बनवाने का काम शुरू किया है. लेकिन पैसे नहीं मिलने से अब कुएं का निर्माण कार्य लटक गया है. इधर राज्य में मिल रही शिकायतों को देखते हुए जिला एवं राज्यस्तर पर इसकी जांच की बात कही जा रही है. मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी के अनुसार जहां से ऐसी शिकायत आ रही है, उसपर त्वरित कार्रवाई की जा रही है.हालांकि पैसा नहीं मिलने की कई वजह हो सकती हैं इसपर भी विभाग जांच कर रहा है.

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कुआं निर्माण का ये है प्रावधानः मनरेगा योजना के तहत कुएं के लिए राज्य में दो माॅडल एस्टीमेट लागू हैं. माॅडल एस्टीमेट में दोनों ही कुओं का डायमीटर (व्यास) 12 फुट और गहराई 35 फुट तय की गई है. जिस कुएं के निर्माण में बोल्डर का इस्तेमाल होगा, उसकी लागत 2.96 लाख रुपये निर्धारित है. जिस कुएं के निर्माण में बोल्डर के साथ ईंट का भी इस्तेमाल होगा, उसकी लागत 3.68 लाख रुपये निर्धारित की गई है. 2.96 लाख की लागत के कुएं के निर्माण में 916 मानव दिवस और 3.68 लाख लागत के कुआं में 932 मानव दिवस के सृजन का प्रावधान है. यानी एक कुएं के निर्माण के लिए अधिकतम करीब तीन महीने का समय निर्धारित है.

2018-22 तक 56,191 कुएं को मिली स्वीकृतिः राज्य में मनरेगा के तहत सिंचाई कुआं बनाया जाता है. सरकार के आंकड़ों में वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2021-22 तक राज्य के सभी जिलों में सिंचाई के लिए कुल 56,191 कुओं की योजना स्वीकृत की गईं. सरकार द्वारा लागू एस्टीमेट के अनुसार इतने कुओं के निर्माण पर करीब 1500-1800 करोड़ रुपये खर्च होंगे. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2020-21 तक की अवधि में राज्य के सभी जिलों में मनरेगा के तहत सिंचाई कुआं की कुल 49,785 योजनाएं स्वीकृत की गईं थीं. इसके बाद चालू वित्तीय वर्ष यानी 2021-22 में कुल 6406 योजनाएं स्वीकृत की गईं हैं.

किसको क्या मिलाः पिठौरिया के मुमताजुल अंसारी ने बताया कि ब्लॉक की तरफ से मिलने वाली राशि वेंडर ही निकाल लिए. कागजों में बताया गया कि 77 हजार रुपये दिए गए हैं, जबकि वहां से मजदूरी के तौर पर रुपये मिले हैं. मैटेरियल के नाम पर एक ट्रक ईंट, तीन ट्रैक्टर अनसाइज बोल्डर मिला. सुकरहुटू के चंदर महतो ने बताया कि 2018 में कुआं मिला था, जिसके लिए 96500 रुपये सामग्री के लिए मजदूर के लिए 1लाख 48 हजार रुपये मिले. आरोप है इंजीनियर ने सादे कागज पर हस्ताक्षर करा लिए थे. बाद में उनके नाम पर पचास हजार और निकासी दिखाई गई. जबकि कुएं के लिए तीन लाख 51 हजार मिलना था. इसी तरह और लोगों की शिकायतें हैं. सुंदर नगर कांके की सावधानी कुजूर ने बताया कि उनसे 50 हजार के चेक पर साइन कराकर 25 हजार दिए गए,

रांचीः दीपक तले अंधेरा की कहावत झारखंड की राजधानी रांची में चरितार्थ हो रही है. झारखंड के सीएम से लेकर आला अधिकारी तक राजधानी रांची में रहते हैं और यहीं सरकारी योजनाएं भ्रष्टाचार का अड्डा बनती जा रहीं हैं. ताजा मामला मनरेगा का है, जिसमें गरीबों के नाम पर आवंटित कुओं के पैसे सरकारी कर्मचारी और बिचौलिए हड़प रहे हैं. सिंचाई के लिए मनरेगा के तहत बनवाए जा रहे इन कुओं की राशि को हड़प रहे हैं और उन्हें पता भी नहीं चल पा रहा है. हाल यह है कि इन शिकायतों पर कोई ध्यान भी नहीं दे रहा है और पीड़ित इंसाफ के लिए ब्लॉक से डीसी कार्यालय तक भटक रहे हैं. लेकिन सब ढाक के तीन पात.

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यहां गड़बड़ी सामने आईः बता दें सिंचाई के लिए झारखंड में मनरेगा के तहत कुआं निर्माण कराया जा रहा है. इसके लिए 2018-22 तक 56191 कुओं के निर्माण की स्वीकृति दी गई है. लेकिन इन योजनाओं में गड़बड़ी की जा रही है. स्थानीय प्रखंड कार्यालय, मनरेगाकर्मी और दलालों की मिलीभगत से राजधानी रांची के कांके सहित सहित राज्य के सभी ब्लॉक में किसानों को आवंटित कुएं की राशि की हेराफेरी की जा रही है. कांके हो या पिठौरिया, सुकूरहुटू हो या सुंदर नगर सभी जगहों पर एक ही कहानी है. कागजों में किसानों को आवंटित रुपये उनकी जानकारी बगैर अधिकारियों, कर्मचारियों, दलालों ने निकाल लिए. अब उस राशि के लिए पीड़ित भटक रहे हैं.

देखें पूरी खबर

इनके साथ कर दिया खेलः सुकुरहुटू की वार्ड सदस्य अपर्णा बाड़ा का कहना है कि भोले भाले ग्रामीणों से सादे कागज पर हस्ताक्षर कराकर पैसे निकाल लिए जा रहे हैं और लोगों को पता तब चल रहा है जब कुआं निर्माण की राशि के लिए वो दफ्तरों में पहुंच रहे हैं. इसके बाद से पीड़ित हर दिन शिकायत लेकर एक दफ्तर से दूसरे सरकारी दफ्तर का चक्कर काटते हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती. बीते दिन पिठौरिया रांची के मुमताजुल अंसारी, सुकुरहुटू के चंदर महतो, सुंदर नगर कांके की सावधानी कुजूर, दीपक उरांव डीसी कार्यालय में इंजीनियर और बिचौलिये की धोखाधड़ी की गुहार लगाने पहुंचे.

कुएं का निर्माण कार्य लटकाः पीड़ितों का कहना था कि किसी ने कुआं बनाने के लिए कर्ज ले रखा है तो किसी ने अपनी जमीन-मवेशी बेचकर कुआं बनवाने का काम शुरू किया है. लेकिन पैसे नहीं मिलने से अब कुएं का निर्माण कार्य लटक गया है. इधर राज्य में मिल रही शिकायतों को देखते हुए जिला एवं राज्यस्तर पर इसकी जांच की बात कही जा रही है. मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी के अनुसार जहां से ऐसी शिकायत आ रही है, उसपर त्वरित कार्रवाई की जा रही है.हालांकि पैसा नहीं मिलने की कई वजह हो सकती हैं इसपर भी विभाग जांच कर रहा है.

ये भी पढ़ें-Mine Accident In Nirsa: गोपीनाथपुर आउटसोर्सिंग इलाके में कई लोग लापता, सबके खदान में फंसे होने की आशंका


कुआं निर्माण का ये है प्रावधानः मनरेगा योजना के तहत कुएं के लिए राज्य में दो माॅडल एस्टीमेट लागू हैं. माॅडल एस्टीमेट में दोनों ही कुओं का डायमीटर (व्यास) 12 फुट और गहराई 35 फुट तय की गई है. जिस कुएं के निर्माण में बोल्डर का इस्तेमाल होगा, उसकी लागत 2.96 लाख रुपये निर्धारित है. जिस कुएं के निर्माण में बोल्डर के साथ ईंट का भी इस्तेमाल होगा, उसकी लागत 3.68 लाख रुपये निर्धारित की गई है. 2.96 लाख की लागत के कुएं के निर्माण में 916 मानव दिवस और 3.68 लाख लागत के कुआं में 932 मानव दिवस के सृजन का प्रावधान है. यानी एक कुएं के निर्माण के लिए अधिकतम करीब तीन महीने का समय निर्धारित है.

2018-22 तक 56,191 कुएं को मिली स्वीकृतिः राज्य में मनरेगा के तहत सिंचाई कुआं बनाया जाता है. सरकार के आंकड़ों में वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2021-22 तक राज्य के सभी जिलों में सिंचाई के लिए कुल 56,191 कुओं की योजना स्वीकृत की गईं. सरकार द्वारा लागू एस्टीमेट के अनुसार इतने कुओं के निर्माण पर करीब 1500-1800 करोड़ रुपये खर्च होंगे. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2020-21 तक की अवधि में राज्य के सभी जिलों में मनरेगा के तहत सिंचाई कुआं की कुल 49,785 योजनाएं स्वीकृत की गईं थीं. इसके बाद चालू वित्तीय वर्ष यानी 2021-22 में कुल 6406 योजनाएं स्वीकृत की गईं हैं.

किसको क्या मिलाः पिठौरिया के मुमताजुल अंसारी ने बताया कि ब्लॉक की तरफ से मिलने वाली राशि वेंडर ही निकाल लिए. कागजों में बताया गया कि 77 हजार रुपये दिए गए हैं, जबकि वहां से मजदूरी के तौर पर रुपये मिले हैं. मैटेरियल के नाम पर एक ट्रक ईंट, तीन ट्रैक्टर अनसाइज बोल्डर मिला. सुकरहुटू के चंदर महतो ने बताया कि 2018 में कुआं मिला था, जिसके लिए 96500 रुपये सामग्री के लिए मजदूर के लिए 1लाख 48 हजार रुपये मिले. आरोप है इंजीनियर ने सादे कागज पर हस्ताक्षर करा लिए थे. बाद में उनके नाम पर पचास हजार और निकासी दिखाई गई. जबकि कुएं के लिए तीन लाख 51 हजार मिलना था. इसी तरह और लोगों की शिकायतें हैं. सुंदर नगर कांके की सावधानी कुजूर ने बताया कि उनसे 50 हजार के चेक पर साइन कराकर 25 हजार दिए गए,

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