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इथेनॉल प्रोडक्शन प्रमोशन पॉलिसी के जरिए निवेशकों को लुभाने की कोशिश, जानिए कितने तक की मिल सकती है छूट

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Published : Oct 25, 2022, 4:01 PM IST

Updated : Oct 25, 2022, 6:12 PM IST

इथेनॉल प्रोडक्शन प्रमोशन नीति 2022 (Ethanol Production Promotion Policy 2022) के जरिए हेमंत सरकार राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के साथ साथ स्थानीय लोगों के लिए रोजगार को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है. पॉलिसी के अनुसार राज्य में मकई, गन्ना, धान का भूसा और सड़े हुए चावल से इथेनॉल तैयार किया जाएगा.

Ethanol Production Promotion Policy 2022
Ethanol Production Promotion Policy 2022

रांची: राज्य में उद्योग के साथ रोजगार को बढावा देने के उद्देश्य से हेमंत सरकार ने इथेनॉल प्रोडक्शन प्रमोशन नीति 2022 (Ethanol Production Promotion Policy 2022) लाई है. इसके तहत झारखंड में इथेनॉल उत्पादन (Ethanol Production in Jharkhand) प्लांट लगाने पर सरकार 30 करोड़ तक की सब्सिडी देगी. पेट्रोल डीजल पर से निर्भरता समाप्त करने के लिए इसे एक वैकल्पिक ईंधन के रुप में माना जाता है. जिसको लेकर 2025 तक अपने देश में 1000 करोड़ लीटर एथेनॉल उत्पादित करने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं बिहार, झारखंड, बंगाल और ओडिशा मिलाकर 100 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. वर्तमान समय में झारखंड में महज 5 फीसदी इथेनॉल का उत्पादन होता है.

ये भी पढ़ें- भारत ने तय समय से पहले पेट्रोल में 10 फीसदी इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को किया हासिल: मोदी


पॉलिसी के अनुसार राज्य में मकई, गन्ना, धान का भूसा और सड़े हुए चावल से इथेनॉल तैयार किया जाएगा. वर्तमान में 5 राज्य में 18 करोड़ लीटर सालाना इथेनॉल तैयार करने का लक्ष्य तय किया गया है. ऐसे में सरकार ने भारी भरकम सब्सिडी देकर इथेनॉल पॉलिसी को लाया है. हालांकि पॉलिसी को लेकर चैम्बर ऑफ कॉमर्स के पूर्व उपाध्यक्ष बताते हैं कि पॉलिसी अच्छी हो सकती है मगर इसे जमीन पर उतारना बेहद कठिन होता है. उन्होंने सरकार की इथेनॉल पॉलिसी को लेकर लिए गये निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि इसे पॉलिसी के तहत जमीन पर उतारा जाना चाहिए. इधर सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे उद्योग के साथ स्थानीय लोगों को मिलनेवाला रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा.

क्या कहते हैं व्यवसायी और नेता
इथेनॉल प्रोडक्शन पॉलिसी से निवेशकों को लुभाने की कोशिश: कैबिनेट से इथेनॉल प्रोडक्शन पॉलिसी की मंजूरी भी मिल चुकी है. जिसके तहत निवेशकों को 25% तक कैपिटल सब्सिडी देने का प्रावधान रखा गया है. एमएसएमई उद्योगों के लिए यह राशि अधिकतम 10 करोड़ और बड़े उद्योगों के लिए 30 करोड़ की सब्सिडी देने का सरकार ने फैसला किया है. एससी, एसटी, महिला, दिव्यांग उद्यमियों को 5% का अतिरिक्त अनुदान राज्य सरकार देगी. इसी तरह उद्योगों को इंटरेस्ट सब्सिडी के रूप में 15 लाख से लेकर 3 करोड़ तक की सहायता देने की बात कही गई है. राज्य सरकार इथेनॉल उत्पादन उद्योगों के लिए जमीन खरीदने पर स्टांप ड्यूटी और निबंधन में पूरी तरह से छूट देने का निर्णय लिया है. यानी इथेनॉल प्लांट लगाने के लिए स्टांप ड्यूटी और निबंधन में 100% तक की छूट उद्यमियों को मिलेगा. राज्य सरकार से भूमि आवंटित होने की स्थिति में लीज प्रीमियम में भी 50% की छूट दी गई है. दुनियां में सर्वाधिक ब्राजील में होता है एथेनॉल उत्पादन: दुनिया में सर्वाधिक ब्राजील में इथेनॉल का उपयोग होता है. यहां पेट्रोल डीजल में एथेनॉल का उपयोग कर 90 फीसदी गाड़ियां चलती हैं. अपने देश में महाराष्ट्र, गोवा आदि राज्यों में पेट्रोल में इथेनॉल युक्त 8 फीसदी और डीजल में करीब 10 फीसदी उपयोग में आता है. पेट्रोल में यदि इसे यूज किया जाए तो देश को 30 हजार करोड़ वार्षिक बचत होगी. पेट्रोल, डीजल, कॉस्मेटिक, फार्मास्यूटिकल ऑटोमोबाइल आदि क्षेत्र में इथेनॉल का उपयोग होता है. झारखंड में महज 5 फीसदी इथेनॉल का उत्पादन होता है और 95% आयात पर ही निर्भरता है. अगले 3 वर्षों में उद्योग विभाग का मानना है कि 5 से 6 प्लांट की जरूरत है जिसके लिए सरकार की यह नई नीति कारगर साबित होगी. झारखंड में इथेनॉल प्रोडक्शन के लिए पर्याप्त संसाधन होने का दावा करते हुए कहा गया है कि 2019-20 में ईख उत्पादन जहां 5 लाख 20 हजार टन था वहीं मक्का उत्पादन 5 लाख 92 हजार टन था. बात यदि धान उत्पादन की करें तो 2020-21 में 40 लाख टन के करीब था.

रांची: राज्य में उद्योग के साथ रोजगार को बढावा देने के उद्देश्य से हेमंत सरकार ने इथेनॉल प्रोडक्शन प्रमोशन नीति 2022 (Ethanol Production Promotion Policy 2022) लाई है. इसके तहत झारखंड में इथेनॉल उत्पादन (Ethanol Production in Jharkhand) प्लांट लगाने पर सरकार 30 करोड़ तक की सब्सिडी देगी. पेट्रोल डीजल पर से निर्भरता समाप्त करने के लिए इसे एक वैकल्पिक ईंधन के रुप में माना जाता है. जिसको लेकर 2025 तक अपने देश में 1000 करोड़ लीटर एथेनॉल उत्पादित करने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं बिहार, झारखंड, बंगाल और ओडिशा मिलाकर 100 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. वर्तमान समय में झारखंड में महज 5 फीसदी इथेनॉल का उत्पादन होता है.

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पॉलिसी के अनुसार राज्य में मकई, गन्ना, धान का भूसा और सड़े हुए चावल से इथेनॉल तैयार किया जाएगा. वर्तमान में 5 राज्य में 18 करोड़ लीटर सालाना इथेनॉल तैयार करने का लक्ष्य तय किया गया है. ऐसे में सरकार ने भारी भरकम सब्सिडी देकर इथेनॉल पॉलिसी को लाया है. हालांकि पॉलिसी को लेकर चैम्बर ऑफ कॉमर्स के पूर्व उपाध्यक्ष बताते हैं कि पॉलिसी अच्छी हो सकती है मगर इसे जमीन पर उतारना बेहद कठिन होता है. उन्होंने सरकार की इथेनॉल पॉलिसी को लेकर लिए गये निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि इसे पॉलिसी के तहत जमीन पर उतारा जाना चाहिए. इधर सत्तारूढ़ दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे उद्योग के साथ स्थानीय लोगों को मिलनेवाला रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा.

क्या कहते हैं व्यवसायी और नेता
इथेनॉल प्रोडक्शन पॉलिसी से निवेशकों को लुभाने की कोशिश: कैबिनेट से इथेनॉल प्रोडक्शन पॉलिसी की मंजूरी भी मिल चुकी है. जिसके तहत निवेशकों को 25% तक कैपिटल सब्सिडी देने का प्रावधान रखा गया है. एमएसएमई उद्योगों के लिए यह राशि अधिकतम 10 करोड़ और बड़े उद्योगों के लिए 30 करोड़ की सब्सिडी देने का सरकार ने फैसला किया है. एससी, एसटी, महिला, दिव्यांग उद्यमियों को 5% का अतिरिक्त अनुदान राज्य सरकार देगी. इसी तरह उद्योगों को इंटरेस्ट सब्सिडी के रूप में 15 लाख से लेकर 3 करोड़ तक की सहायता देने की बात कही गई है. राज्य सरकार इथेनॉल उत्पादन उद्योगों के लिए जमीन खरीदने पर स्टांप ड्यूटी और निबंधन में पूरी तरह से छूट देने का निर्णय लिया है. यानी इथेनॉल प्लांट लगाने के लिए स्टांप ड्यूटी और निबंधन में 100% तक की छूट उद्यमियों को मिलेगा. राज्य सरकार से भूमि आवंटित होने की स्थिति में लीज प्रीमियम में भी 50% की छूट दी गई है. दुनियां में सर्वाधिक ब्राजील में होता है एथेनॉल उत्पादन: दुनिया में सर्वाधिक ब्राजील में इथेनॉल का उपयोग होता है. यहां पेट्रोल डीजल में एथेनॉल का उपयोग कर 90 फीसदी गाड़ियां चलती हैं. अपने देश में महाराष्ट्र, गोवा आदि राज्यों में पेट्रोल में इथेनॉल युक्त 8 फीसदी और डीजल में करीब 10 फीसदी उपयोग में आता है. पेट्रोल में यदि इसे यूज किया जाए तो देश को 30 हजार करोड़ वार्षिक बचत होगी. पेट्रोल, डीजल, कॉस्मेटिक, फार्मास्यूटिकल ऑटोमोबाइल आदि क्षेत्र में इथेनॉल का उपयोग होता है. झारखंड में महज 5 फीसदी इथेनॉल का उत्पादन होता है और 95% आयात पर ही निर्भरता है. अगले 3 वर्षों में उद्योग विभाग का मानना है कि 5 से 6 प्लांट की जरूरत है जिसके लिए सरकार की यह नई नीति कारगर साबित होगी. झारखंड में इथेनॉल प्रोडक्शन के लिए पर्याप्त संसाधन होने का दावा करते हुए कहा गया है कि 2019-20 में ईख उत्पादन जहां 5 लाख 20 हजार टन था वहीं मक्का उत्पादन 5 लाख 92 हजार टन था. बात यदि धान उत्पादन की करें तो 2020-21 में 40 लाख टन के करीब था.
Last Updated : Oct 25, 2022, 6:12 PM IST
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