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सरकार के पाले में अमरदीप की 'गेंद'! खेल विभाग की अनदेखी से सब्जी बेच रहा खिलाड़ी

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Published : Aug 3, 2020, 8:57 PM IST

झारखंड में ढुल मूल खेल नीति की वजह से राज्य के कई होनहार, प्रतिभावान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों का भविष्य अधर में है. गोल्ड जीतने के बावजूद यहां के खिलाड़ी बदहाली और आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं. कोई कूली का काम कर रहा है तो कोई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी प्राइवेट वाहन चलाकर, सब्जी बेचकर पेट पालने को विवश है. सरकारी वादों के बादजूद इन खिलाड़ियों की ओर युद्ध स्तर पर ध्यान नहीं दिया गया है. लगातार अर्जियों के बाद भी इन खिलाड़ियों की कोई सुनने वाला नहीं है. झारखंड सरकार की नयी नीति के तहत खिलाड़ियों के उत्थान का आश्वासन तो है. लेकिन वो कितना कारगार होगा ये देखना अभी बाकी है.

International player Amardeep in financial crisis in Ranchi
खेल विभाग की अनदेखी से सब्जी बेच रहा खिलाड़ी

रांचीः होनहार अंतरराष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी अमरदीप कुमार, जिसने थ्रो-बॉल में अपना जलवा बिखेरा. जिस धरती पर गया अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. राजधानी रांची के अरगोड़ा चौक के पास रहने वाले अमरदीप कुमार आज बदहाली और आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है. आलम ये है कि आज पूरा परिवार अरगोड़ा चौक पर सब्जी बेच रहा है. झारखंड सरकार के खेल विभाग का दरवाजा भी कई बार खटखटाया लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. अमरदीप और उसके माता-पिता की बस इतनी सी मांग है कि जो मदद दूसरे राज्य के खिलाड़ियों को वहां की सरकार मुहैया करवाती है, वैसी ही मदद झारखंड सरकार अपने खिलाड़ियों को कर दे.

देखें स्पेश स्टोरी

कर्ज चुकाने के लिए सब्जी बेचना मजबूरी

कर्ज चुकाने के लिए इस प्रतिभावन खिलाड़ी अमरदीप को भी सब्जियां बेचनी पड़ रही है तो कभी ड्राइवरी करना पड़ रहा है. इसके बावजूद अमरदीप ने हौसला नहीं तोड़ा है और कुछ पैसे बचा कर विभिन्न प्रतिस्पर्धा में हिस्सा भी लेते रहा है. 2020 में अमेरिका में होने वाले अंतरराष्ट्रीय थ्रो बॉल चैंपियनशिप में भी वह हिस्सा लेने वाला था. लेकिन कोरोना की वजह से वो टूर्नामेंट रद्द हो गया. अमरदीप घर में प्रैक्टिस करते हुए घर का खर्च उठाने के लिए अब सब्जियां बेच रहा है. अमरदीप के पास मेडल और सर्टिफिकेट इतने हैं कि सरकारी नौकरी के लिए खेल कोटे से दी जाने वाली नियुक्ति के नियम भी बौने पड़ जाएंगे. फिर भी इस प्रतिभावन खिलाड़ी की ओर खेल विभाग का ध्यान ही नहीं है.

माता पिता को थी उम्मीदें

माता पिता ने बड़ी ही उम्मीद लेकर अमरदीप को एक प्लेयर बनाया था. अमरदीप ने भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर झारखंड के साथ साथ पूरा देश का नाम भी रोशन किया है. हमेशा ही अपने माता-पिता के उम्मीदों पर अमरदीप खरा उतरा है. पहली बार जब अमरदीप ने गोल्ड जीता था. उस दौरान सरकार की ओर से उन्हें शुभकामनाएं देते हुए आश्वासन भी दिया गया था. लेकिन अब वह आश्वासन और वादे कोरे साबित हो रहे हैं. अमरदीप के पिता राम प्रसाद साहू अरगोड़ा चौक पर ही सब्जी भेजते हैं. मां कलावती देवी मोहल्ले-मोहल्ले घूमकर सब्जियां बेचने की काम करती हैं. इसके बावजूद अपने बेटे को कर्ज लेकर मलेशिया तक का सफर करवाया है. सरकारी सहायता नहीं मिलने के कारण अब यह परिवार कर्ज के तले डूब चुका है.

इसे भी पढ़ें- भगवान श्री राम का झारखंड कनेक्शन, सबसे बड़े भक्त हनुमान की है जन्मस्थली

प्रतिभावान खिलाड़ियों की तैयार हो रही सूची

बदहाली में जी रहे खिलाड़ियों के उत्थान के लिए झारखंड सरकार एक नीति स्पष्ट करते हुए, अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के तमाम खिलाड़ियों की सूची एक पोर्टल के जरिए व्यवस्थित करने का निर्णय लिया है. खेल निदेशालय के निदेशक अनिल कुमार सिंह की मानें तो ऐसे प्रतिभावन खिलाड़ियों को चिन्हित करने में अब परेशानियां ना के बराबर आएगी. एक दायरे के तहत सरकारी नीतियों को देखते हुए ही काम किया जा रहा है और ऐसे खिलाड़ियों के उत्थान और नियुक्ति को लेकर योजनाबद्ध काम किया जा रहा है.

रांचीः होनहार अंतरराष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी अमरदीप कुमार, जिसने थ्रो-बॉल में अपना जलवा बिखेरा. जिस धरती पर गया अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. राजधानी रांची के अरगोड़ा चौक के पास रहने वाले अमरदीप कुमार आज बदहाली और आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है. आलम ये है कि आज पूरा परिवार अरगोड़ा चौक पर सब्जी बेच रहा है. झारखंड सरकार के खेल विभाग का दरवाजा भी कई बार खटखटाया लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई. अमरदीप और उसके माता-पिता की बस इतनी सी मांग है कि जो मदद दूसरे राज्य के खिलाड़ियों को वहां की सरकार मुहैया करवाती है, वैसी ही मदद झारखंड सरकार अपने खिलाड़ियों को कर दे.

देखें स्पेश स्टोरी

कर्ज चुकाने के लिए सब्जी बेचना मजबूरी

कर्ज चुकाने के लिए इस प्रतिभावन खिलाड़ी अमरदीप को भी सब्जियां बेचनी पड़ रही है तो कभी ड्राइवरी करना पड़ रहा है. इसके बावजूद अमरदीप ने हौसला नहीं तोड़ा है और कुछ पैसे बचा कर विभिन्न प्रतिस्पर्धा में हिस्सा भी लेते रहा है. 2020 में अमेरिका में होने वाले अंतरराष्ट्रीय थ्रो बॉल चैंपियनशिप में भी वह हिस्सा लेने वाला था. लेकिन कोरोना की वजह से वो टूर्नामेंट रद्द हो गया. अमरदीप घर में प्रैक्टिस करते हुए घर का खर्च उठाने के लिए अब सब्जियां बेच रहा है. अमरदीप के पास मेडल और सर्टिफिकेट इतने हैं कि सरकारी नौकरी के लिए खेल कोटे से दी जाने वाली नियुक्ति के नियम भी बौने पड़ जाएंगे. फिर भी इस प्रतिभावन खिलाड़ी की ओर खेल विभाग का ध्यान ही नहीं है.

माता पिता को थी उम्मीदें

माता पिता ने बड़ी ही उम्मीद लेकर अमरदीप को एक प्लेयर बनाया था. अमरदीप ने भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर झारखंड के साथ साथ पूरा देश का नाम भी रोशन किया है. हमेशा ही अपने माता-पिता के उम्मीदों पर अमरदीप खरा उतरा है. पहली बार जब अमरदीप ने गोल्ड जीता था. उस दौरान सरकार की ओर से उन्हें शुभकामनाएं देते हुए आश्वासन भी दिया गया था. लेकिन अब वह आश्वासन और वादे कोरे साबित हो रहे हैं. अमरदीप के पिता राम प्रसाद साहू अरगोड़ा चौक पर ही सब्जी भेजते हैं. मां कलावती देवी मोहल्ले-मोहल्ले घूमकर सब्जियां बेचने की काम करती हैं. इसके बावजूद अपने बेटे को कर्ज लेकर मलेशिया तक का सफर करवाया है. सरकारी सहायता नहीं मिलने के कारण अब यह परिवार कर्ज के तले डूब चुका है.

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प्रतिभावान खिलाड़ियों की तैयार हो रही सूची

बदहाली में जी रहे खिलाड़ियों के उत्थान के लिए झारखंड सरकार एक नीति स्पष्ट करते हुए, अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के तमाम खिलाड़ियों की सूची एक पोर्टल के जरिए व्यवस्थित करने का निर्णय लिया है. खेल निदेशालय के निदेशक अनिल कुमार सिंह की मानें तो ऐसे प्रतिभावन खिलाड़ियों को चिन्हित करने में अब परेशानियां ना के बराबर आएगी. एक दायरे के तहत सरकारी नीतियों को देखते हुए ही काम किया जा रहा है और ऐसे खिलाड़ियों के उत्थान और नियुक्ति को लेकर योजनाबद्ध काम किया जा रहा है.

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