रांचीः गरीबी और बेरोजगारी का बोझ उठाता इंसान, आज धंसता ही जा रहा है. कुछ पाने की चाहत, बेहतर कल की तलाश और सपनों की नई उंचाइयों को छूने की हसरत लेकर गमन करते लोग, आज तक अपने घर को नहीं लौटे. सपनों और रिश्तों के इसी सौदे का नाम मानव तस्करी है. पन्नालाल महतो, बाबा बामदेव, सुनीता देवी, कीनू मुंडा ये कुछ ऐसे नाम हैं, जिन्होंने हजारों इंसानी जिंदगियों का सौदा कर दिया. ये इंसानी शक्ल में फरेबी और सपनों के ऐसे सौदागर हैं. जिन्होंने हजारों लोगों की पूरी जिंदगी की कीमत तय कर दी.
इसे भी पढ़ें- कौन है मानव तस्कर पन्नालाल? कैसे 5000 मासूमों का सौदा कर बन गया करोड़पति, जानिए इस रिपोर्ट में
मानव तस्करी का किंगपिन पन्नालाल महतोः झारखंड के नक्सल प्रभावित जिला खूंटी के मुरहू थाना क्षेत्र का रहने वाला पन्नालाल महतो के परिवार कई सदस्य मानव तस्करी के काले धंधे में लिप्त रहे है. पांच भाई-बहनों में सबसे छोटा पन्नालाल महतो ने खूंटी से मानव तस्करी के काले धंधे की शुरुआत की और देखते ही देखते अपनी पत्नी सुनीता और भाई शिव शंकर की मदद से मासूमों को बेचकर करोड़पति बन बैठा. पन्नालाल ने दो शादियां की हालांकि उसकी दूसरी पत्नी का मानव तस्करी के धंधे से कोई भी नाता नहीं है. लेकिन पहली पत्नी सुनीता ने मानव तस्करी के धंधे में उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया. राज्य में हो रहे मानव तस्करी के तह को खंगाला जाए, तो पता चलता है कि इस कड़ी में लोकल एजेंट्स बड़ी भूमिका निभाते हैं. पन्नालाल महतो ने मानव तस्करी के काले कारोबार को संगठित बनाने के लिए झारखंड के गांव-गांव में अपने एजेंट बनाए. पन्नालाल महतो के इशारे पर ये एजेंट गांवों के बेहद गरीब परिवारों की कम उम्र की बच्चियों पर नजर रखकर उन्हें या उनके परिवार को शहरों में अच्छी नौकरी के नाम पर झांसा देकर अपना शिकार बना लेते हैं.
प्लेसमेंट एजेंसी के नाम पर जिंदगियों का सौदाः झारखंड और दिल्ली में एनजीओ और प्लेसमेंट एजेंसी चलानेवाला एक अदना सा पन्नालाल देखते ही देखते ह्यूमन ट्रैफिकिंग का किंगपिन बन गया. पन्नालाल महतो ने मानव तस्करी के लिए अपनी पत्नी सुनीता देवी के नाम से दिल्ली में प्लेसमेंट एजेंसी खोल रखा था. झारखंड के कुख्यात मानव तस्कर दंपती पन्नालाल महतो और उसकी पत्नी सुनीता कुमारी, दोनों शकूरपुर एम ब्लॉक में रह रहे थे. पति-पत्नी अलग-अलग नामों से दिल्ली में कई प्लेसमेंट एजेंसियां चला रहे थे. पन्नालाल ने अब तक उसने 5 हजार से अधिक बालिग और नाबालिग लड़कियों को दिल्ली में अपनी तीन प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए विभिन्न इलाकों में भेज चुका है. उसने साल 2002 से ही मानव तस्करी शुरू कर दी थी.
साल 2002 से ही शुरू कर दी थी मानव तस्करीः पन्नालाल महतो साल 2002 में झारखंड से दिल्ली आया था. यहां आने के बाद उसने अलग-अलग नाम से कई प्लेसमेंट एजेंसियां खोल ली. साल 2006 में उसने सुनीता कुमारी के साथ शादी की. इसके बाद दोनों पति-पत्नी झारखंड के दूरदराज के इलाकों में रहने वाले गरीब तबके के परिवारों से नाबालिग लड़कियों और लड़कों को अवैध रूप से दिल्ली लेकर आते थे. यहां लाने के बाद उन्हें दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों को मेड उपलब्ध कराने की आड़ में उनसे मोटी रकम ऐंठते थे. इन्होंने कई लड़कियों को देह व्यापार के धंधे में भी उतारा. मुंबई, पंजाब, हरियाणा, गुड़गांव, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद, चंडीगढ़, जयपुर, लखनऊ, कानपुर, पटना, बेंगलुरू, दिल्ली, हैदराबाद, गोवा के अलावा कई बच्चे-बच्चियों का सौदा विदेशों में भी किया है. पन्नालाल के खिलाफ झारखंड में नाबालिग बच्चों के दास के रूप में खरीद-फरोख्त, माइनर लड़कियों को देह व्यापार में धकेलने और आदतन खरीद-फरोख्त से जुड़े आपराधिक मामले दर्ज हैं.