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Initiative of Jharkhand Police: एंबुलेंस का नहीं करना होगा इंतजार, घायलों को पुलिस पहुंचाएगी अस्पताल

झारखंड में अब सड़क हादसे में घायल लोगों को जल्द इलाज मिल सकेगा. इसके लिए पुलिस की तरफ से पहल की जा रही है. अब पुलिस की गाड़ी ही वक्त पर एंबुलेंस का काम करेगी.

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Published : Feb 10, 2023, 6:46 PM IST

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रांचीः सड़क हादसे में घायल होने वाले लोगों को अब एंबुलेंस का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. मौके पर मौजूद पुलिस के वाहनों के जरिए ही उन्हें गोल्डेन आवर में ही अस्पताल पहुंचाया जाएगा. इस कार्य के लिए पुलिस के वाहनों को पोर्टेबल स्ट्रेचर सहित प्राथमिक इलाज के तमाम सुविधाओं से लैस किया जा रहा है.

ये भी पढ़ेंः G20 India Presidency: स्मार्ट पुलिसमैन करेंगे विदेशी अतिथियों का स्वागत और सुरक्षा, मार्च में लगेगा मेहमानों का राजधानी में जमावड़ा

बेहद महत्वपूर्ण होता है गोल्डेन आवरः सड़क हादसों में घायल होने वाले लोगों के लिए गोल्डेन आवर बेहद महत्वपूर्ण होता है. किसी भी घायल व्यक्ति को अगर गोल्डेन आवर के दौरान अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बचने की संभावना 90% तक बढ़ जाती है. किसी भी दुर्घटना के दौरान सबसे पहले पहुंचने वाली पुलिस होती है. ऐसे में अब पुलिस के सभी वाहनों को मेडिकल किट से लैस किया जा रहा है. राजधानी रांची में इसकी शुरुआत हो चुकी है.

शुरुआती दौर में पुलिस के द्वारा सीएसआर फंड के जरिए 20 पोर्टेबल स्ट्रेचर की खरीदारी हो चुकी है. पोर्टेबल स्ट्रेचर के अलावा पुलिस कर्मियों को पहनने के लिए गाउन और दूसरी चिकित्सा सामग्री भी पुलिस के वाहनों में उपलब्ध रहेगा. अगर सड़क दुर्घटना में कोई घायल होता है या फिर किसी अन्य घटना में भी कोई गंभीर रूप से घायल होता है तो उसे नजदीकी अस्पताल पहुंचाने के लिए पुलिस की टीम पोर्टेबल स्ट्रेचर की मदद से उसे अपने वाहन के जरिये अस्पताल तक पहुंचाएगी.

पोर्टेबल स्ट्रेचर आसानी से रखा जा सकेगा वाहनों मेंः रांची के प्रभारी ट्रैफिक एसपी नौशाद आलम ने बताया कि हादसों में घायलों को जल्द अस्पताल पहुंचाने के लिए फोल्डिंग स्ट्रेचर की खरीदारी की गई है. ट्रैफिक एसपी के अनुसार आमतौर पर यह देखा जाता है कि किसी भी घायल व्यक्ति के पास एंबुलेंस नहीं पहुंचने की हालत में पैर हाथ पकड़कर पुलिस वाहन या फिर किसी दूसरे वाहन में अस्पताल ले जाया जाता है, जो कहीं से भी मानवीय नहीं होता है. यही वजह है कि राजधानी रांची में सीएसआर फंड के जरिए 20 टेबल स्ट्रेचर की खरीदारी कर ली गई है. इसके जरिए घायलों को बेहतर तरीके से पुलिस के वाहन में रखकर अस्पताल पहुंचाया जा सकता है.

हाइवे थानों में पदस्थापित पुलिसकर्मियों को किया जाएगा ट्रेंडः बीते बुधवार को एडीजी अभियान संजय आनंद लाठकर और सड़क सुरक्षा कोषांग के डीआईजी सुनील भास्कर की अध्यक्षता में राज्य के सभी जिलों के एसपी व डीआईजी और ट्रैफिक अधिकारियों के साथ सड़क हादसों पर ब्रेक लगाने और घायलों के गोल्डेन आवर में इलाज के लिए महत्वपूर्ण बैठक हुई थी. बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि थाना स्तर से प्रत्येक थाने में पदास्थापित तीन पुलिसकर्मियों को प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि समय पर जरूरी हेल्थ केयर मिलने से जान माल के नुकसान को कम किया जा सके. इसकी शुरुआत हाइवे स्थित थानों से होगी.

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रांचीः सड़क हादसे में घायल होने वाले लोगों को अब एंबुलेंस का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. मौके पर मौजूद पुलिस के वाहनों के जरिए ही उन्हें गोल्डेन आवर में ही अस्पताल पहुंचाया जाएगा. इस कार्य के लिए पुलिस के वाहनों को पोर्टेबल स्ट्रेचर सहित प्राथमिक इलाज के तमाम सुविधाओं से लैस किया जा रहा है.

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बेहद महत्वपूर्ण होता है गोल्डेन आवरः सड़क हादसों में घायल होने वाले लोगों के लिए गोल्डेन आवर बेहद महत्वपूर्ण होता है. किसी भी घायल व्यक्ति को अगर गोल्डेन आवर के दौरान अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बचने की संभावना 90% तक बढ़ जाती है. किसी भी दुर्घटना के दौरान सबसे पहले पहुंचने वाली पुलिस होती है. ऐसे में अब पुलिस के सभी वाहनों को मेडिकल किट से लैस किया जा रहा है. राजधानी रांची में इसकी शुरुआत हो चुकी है.

शुरुआती दौर में पुलिस के द्वारा सीएसआर फंड के जरिए 20 पोर्टेबल स्ट्रेचर की खरीदारी हो चुकी है. पोर्टेबल स्ट्रेचर के अलावा पुलिस कर्मियों को पहनने के लिए गाउन और दूसरी चिकित्सा सामग्री भी पुलिस के वाहनों में उपलब्ध रहेगा. अगर सड़क दुर्घटना में कोई घायल होता है या फिर किसी अन्य घटना में भी कोई गंभीर रूप से घायल होता है तो उसे नजदीकी अस्पताल पहुंचाने के लिए पुलिस की टीम पोर्टेबल स्ट्रेचर की मदद से उसे अपने वाहन के जरिये अस्पताल तक पहुंचाएगी.

पोर्टेबल स्ट्रेचर आसानी से रखा जा सकेगा वाहनों मेंः रांची के प्रभारी ट्रैफिक एसपी नौशाद आलम ने बताया कि हादसों में घायलों को जल्द अस्पताल पहुंचाने के लिए फोल्डिंग स्ट्रेचर की खरीदारी की गई है. ट्रैफिक एसपी के अनुसार आमतौर पर यह देखा जाता है कि किसी भी घायल व्यक्ति के पास एंबुलेंस नहीं पहुंचने की हालत में पैर हाथ पकड़कर पुलिस वाहन या फिर किसी दूसरे वाहन में अस्पताल ले जाया जाता है, जो कहीं से भी मानवीय नहीं होता है. यही वजह है कि राजधानी रांची में सीएसआर फंड के जरिए 20 टेबल स्ट्रेचर की खरीदारी कर ली गई है. इसके जरिए घायलों को बेहतर तरीके से पुलिस के वाहन में रखकर अस्पताल पहुंचाया जा सकता है.

हाइवे थानों में पदस्थापित पुलिसकर्मियों को किया जाएगा ट्रेंडः बीते बुधवार को एडीजी अभियान संजय आनंद लाठकर और सड़क सुरक्षा कोषांग के डीआईजी सुनील भास्कर की अध्यक्षता में राज्य के सभी जिलों के एसपी व डीआईजी और ट्रैफिक अधिकारियों के साथ सड़क हादसों पर ब्रेक लगाने और घायलों के गोल्डेन आवर में इलाज के लिए महत्वपूर्ण बैठक हुई थी. बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि थाना स्तर से प्रत्येक थाने में पदास्थापित तीन पुलिसकर्मियों को प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि समय पर जरूरी हेल्थ केयर मिलने से जान माल के नुकसान को कम किया जा सके. इसकी शुरुआत हाइवे स्थित थानों से होगी.

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