रांची: देश में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच कई राज्यों में डेल्टा प्लस वेरिएंट के मरीज मिलने के बाद झारखंड में एहतियात बरती जा रही है. तीसरी लहर की बात करें तो इसमें यह माना जा रहा है कि इस बार के वेरिएंट से सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को है. क्योंकि 18 साल से ऊपर के सभी वर्ग के लोगों के लिए टीका उपलब्ध है लेकिन अब तक बच्चों के लिए कोई टीका बाजार में उपलब्ध नहीं है. इसी वजह से बच्चों के संक्रमित होने का खतरा सबसे ज्यादा है.
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इन्फ्लुएंजा के टीका से खतरा होगा कम
बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए इन्फ्लुएंजा के टीका को रामबाण बताया जा रहा है. राज्य के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राजेश कुमार के मुताबिक बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए इन्फ्लुएंजा का टीका लगाना आवश्यक है. डॉक्टर बताते हैं कि तीसरी लहर में कोरोना बच्चों के लिए घातक हो सकता है इसलिए जरूरी है कि बच्चों की इम्यून सिस्टम में मजबूती बनी रहे. उन्होंने बताया कि मानसून और बारिश के मौसम में ज्यादातर बच्चे सर्दी खांसी बुखार और रेस्पिरेटरी सिस्टम (Respiratory System) की बीमारियों से ग्रसित होते हैं ऐसे में इन्फ्लुएंजा (Influenza) या न्यूमोकोकल (Pneumococcal) की दवाई बच्चों को काफी राहत पहुंचाती है. उन्होंने बताया कि अगर प्रत्येक बच्चो को इन्फ्लुएंजा (Influenza) का टीका लगवा दिया जाता है तो बच्चे अनावश्यक जांच और हॉस्पिटल में भर्ती होने की परेशानी से बच सकेंगे.
बच्चों में हो नियमित टीकाकरण
डॉक्टर राजेश ने कहा कि फ्लू (FLU) भी सांस की बीमारी है, नियमित रूप से 5 साल से कम उम्र के बच्चे को वैक्सीन दी जाती है जो कि सांस की बीमारी से निजात दिलाता है. उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि जो बच्चे कोरोना महामारी की वजह से नियमित टीकाकरण की खुराक से चूक गए हैं उन्हें अपना टीकाकरण पूरा करना चाहिए. छोटे बच्चों के डॉक्टर कफील बताते हैं कि कोरोना और फ्लू के लक्षण एक जैसे हैं. ऐसे में यह माना जा रहा है कि इन्फ्लुएंजा का टीका लगने से बच्चे कोरोना के शुरुआती दौर से बच सकते हैं.