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Ranchi News: रामगढ़ उपचुनाव में हार के बाद झारखंड कांग्रेस में बढ़ा अंतर्कलह, प्रदेश अध्यक्ष को पद से हटाने और समीक्षा बैठक बुलाने की उठ रही मांग

रामगढ़ उपचुनाव में महागठबंधन प्रत्याशी को मिली हार के बाद कांग्रेस में अंतर्कलह तेज हो गया है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व क्षमता और रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं. वहीं मामले में पार्टी के कई बड़े नेता उन्हें अध्यक्ष पद से हटाने की मांग कर रहे हैं.

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Infighting In Jharkhand Congress
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Published : Mar 10, 2023, 2:19 PM IST

रांचीः राज्य में सत्ता में रहते हुए रामगढ़ विधानसभा सीट गंवा देने के बाद कांग्रेस पार्टी के अंदर असंतोष की आवाज तेज हो गई है. पहले से ही वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के खिलाफ मोर्चा खोले नेताओं को जहां एक बार फिर अपनी आवाज बुलंद करने का मौका मिल गया है तो कई अन्य नेताओं के तेवर भी तल्ख हुए हैं. झारखंड कांग्रेस अनुशासन समिति के सदस्य और वरिष्ठ नेता शमशेर आलम ने भी रामगढ़ की हार की वजह चुनावी मिसमैनेजमेंट को करार दिया है.

ये भी पढे़ं-Ramgarh Bypoll: शांतिपूर्ण वोटिंग के बाद राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने ली राहत की सांस, कहा- मतगणना भी होगी निष्पक्ष

पार्टी के पूर्व प्रदेश सचिव जगदीश साहू ने भी रामगढ़ उपचुनाव में कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त को लेकर तत्काल समीक्षा बैठक बुलाने की मांग की है. जगदीश साहू ने कहा कि रामगढ़ में हार की वजह कांग्रेस की कुव्यवस्था थी. उन्होंने कहा कि हम यह आकलन करने में ही चूक गए कि इस बार भाजपा और आजसू के एक साथ हो जाने से एनडीए मजबूत हो गई है और उसी के अनुरूप रणनीति बनाने की जरूरत थी.

निलंबित प्रदेश महासचिव पहले ही लगा चुके हैं कई आरोपः रामगढ़ उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बजरंग महतो की हार को लेकर निलंबित प्रदेश महासचिव आलोक दुबे, वरिष्ठ नेता लाल किशोरनाथ शाहदेव, साधुशरण यादव, राजेश गुप्ता जैसे कई नेता पहले से ही प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व क्षमता को लेकर हमलावर रहे हैं. आलोक दुबे तो अप्रत्यक्ष रूप से प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय को भी निशाने पर लेते हुए कहते हैं कि चुनाव के समय जब हमें जनता और वोटर के बीच जाना था, तब हमारे नेता जिमखाना क्लब में बैठकर कार्यकर्ता सम्मेलन कर रहे थे.

तत्काल प्रदेश अध्यक्ष को हटाने की मांगः आलोक दुबे ने कहा कि आजसू-भाजपा जैसे मजबूत गठबंधन को हराने के लिए अपनी ताकत लगाने की जगह प्रदेश अध्यक्ष अपनी ताकत पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं को दल से निकालने में लगा रहे थे. उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अंतिम चार दिनों में धुंआधार प्रचार नहीं करते तो कांग्रेस उम्मीदवार की जमानत जब्त हो जाती. इसलिए कोई किंतु-परंतु नहीं होना चाहिए. तत्काल प्रदेश अध्यक्ष को हटाना चाहिए, क्योंकि उनमें इतनी नैतिकता नहीं कि खुद इस्तीफा दे दें.

जीत और हार की जिम्मेदारी सामूहिक होती हैः वहीं इस संबंध में झारखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता और महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि जब कोई दल चुनाव मैदान में होता है तो जीत और हार की सामूहिक जिम्मेदारी बनती है, तब जाकर कोई टीम जीतती या हारती है. रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने अपनी सीट खोयी है, यह एक सच्चाई है. उन्होंने कहा कि रामगढ़ उपचुनाव में हार को लेकर जल्द समीक्षा बैठक होगी.

लगभग 22 हजार मतों से कांग्रेस प्रत्याशी की हुई है हारः रामगढ़ विधानसभा सीट से 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी की जीत हुई थी. वर्ष 2022 में गोला गोलीकांड में ममता देवी को निचली अदालत में दोषी करार दिया था. इस वजह से उनकी सदस्यता चली गई थी. इस पृष्टभूमि में हुए उपचुनाव में महागठबंधन की ओर से ममता देवी के पति बजरंग महतो और एनडीए की ओर से आजसू ने सुनीता चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया था. 27 फरवरी को वोटिंग और दो मार्च को मतगणना हुई थी. जिसमें आजसू प्रत्याशी सुनीता चौधरी ने 1,15,595 वोट प्राप्त कर कांग्रेस उम्मीदवार बजरंग महतो को 21,942 मतों से मात दे दी थी. बजरंग महतो को 93,653 मत ही मिले थे.

रांचीः राज्य में सत्ता में रहते हुए रामगढ़ विधानसभा सीट गंवा देने के बाद कांग्रेस पार्टी के अंदर असंतोष की आवाज तेज हो गई है. पहले से ही वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के खिलाफ मोर्चा खोले नेताओं को जहां एक बार फिर अपनी आवाज बुलंद करने का मौका मिल गया है तो कई अन्य नेताओं के तेवर भी तल्ख हुए हैं. झारखंड कांग्रेस अनुशासन समिति के सदस्य और वरिष्ठ नेता शमशेर आलम ने भी रामगढ़ की हार की वजह चुनावी मिसमैनेजमेंट को करार दिया है.

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पार्टी के पूर्व प्रदेश सचिव जगदीश साहू ने भी रामगढ़ उपचुनाव में कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त को लेकर तत्काल समीक्षा बैठक बुलाने की मांग की है. जगदीश साहू ने कहा कि रामगढ़ में हार की वजह कांग्रेस की कुव्यवस्था थी. उन्होंने कहा कि हम यह आकलन करने में ही चूक गए कि इस बार भाजपा और आजसू के एक साथ हो जाने से एनडीए मजबूत हो गई है और उसी के अनुरूप रणनीति बनाने की जरूरत थी.

निलंबित प्रदेश महासचिव पहले ही लगा चुके हैं कई आरोपः रामगढ़ उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बजरंग महतो की हार को लेकर निलंबित प्रदेश महासचिव आलोक दुबे, वरिष्ठ नेता लाल किशोरनाथ शाहदेव, साधुशरण यादव, राजेश गुप्ता जैसे कई नेता पहले से ही प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व क्षमता को लेकर हमलावर रहे हैं. आलोक दुबे तो अप्रत्यक्ष रूप से प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय को भी निशाने पर लेते हुए कहते हैं कि चुनाव के समय जब हमें जनता और वोटर के बीच जाना था, तब हमारे नेता जिमखाना क्लब में बैठकर कार्यकर्ता सम्मेलन कर रहे थे.

तत्काल प्रदेश अध्यक्ष को हटाने की मांगः आलोक दुबे ने कहा कि आजसू-भाजपा जैसे मजबूत गठबंधन को हराने के लिए अपनी ताकत लगाने की जगह प्रदेश अध्यक्ष अपनी ताकत पुराने और समर्पित कार्यकर्ताओं को दल से निकालने में लगा रहे थे. उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अंतिम चार दिनों में धुंआधार प्रचार नहीं करते तो कांग्रेस उम्मीदवार की जमानत जब्त हो जाती. इसलिए कोई किंतु-परंतु नहीं होना चाहिए. तत्काल प्रदेश अध्यक्ष को हटाना चाहिए, क्योंकि उनमें इतनी नैतिकता नहीं कि खुद इस्तीफा दे दें.

जीत और हार की जिम्मेदारी सामूहिक होती हैः वहीं इस संबंध में झारखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता और महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि जब कोई दल चुनाव मैदान में होता है तो जीत और हार की सामूहिक जिम्मेदारी बनती है, तब जाकर कोई टीम जीतती या हारती है. रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने अपनी सीट खोयी है, यह एक सच्चाई है. उन्होंने कहा कि रामगढ़ उपचुनाव में हार को लेकर जल्द समीक्षा बैठक होगी.

लगभग 22 हजार मतों से कांग्रेस प्रत्याशी की हुई है हारः रामगढ़ विधानसभा सीट से 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी की जीत हुई थी. वर्ष 2022 में गोला गोलीकांड में ममता देवी को निचली अदालत में दोषी करार दिया था. इस वजह से उनकी सदस्यता चली गई थी. इस पृष्टभूमि में हुए उपचुनाव में महागठबंधन की ओर से ममता देवी के पति बजरंग महतो और एनडीए की ओर से आजसू ने सुनीता चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया था. 27 फरवरी को वोटिंग और दो मार्च को मतगणना हुई थी. जिसमें आजसू प्रत्याशी सुनीता चौधरी ने 1,15,595 वोट प्राप्त कर कांग्रेस उम्मीदवार बजरंग महतो को 21,942 मतों से मात दे दी थी. बजरंग महतो को 93,653 मत ही मिले थे.

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