रांची: झारखंड में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आने की वजह से लॉकडाउन लागू होने के बाद से ही सबसे अधिक अगर किन्ही की जिम्मेवारी बढ़ी तो उनमें डॉक्टर और पुलिस वाले शामिल हैं. पुलिस और डॉक्टरी पेशा से जुड़े लोगों ने लॉकडाउन को सफल बनाने के लिए अपनी जान लगा दी. पुलिस वाले लॉकडाउन से लेकर अनलॉक 1 तक लगातार ड्यूटी पर हैं. अधिकांश पुलिस वाले तो घर भी नहीं जा रहे हैं, ताकि परिवारवाले संक्रमण से बचे रहे.
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दो महीने से घर नहीं गए लालपुर और कोतवाली थानेदार
कोरोना के खिलाफ जंग में पुलिसकर्मी अपना घर परिवार छोड़कर लगातार काम कर रहे हैं. पुलिस अधिकारी और जवान दूसरी लहर में भी अपना फर्ज बखूबी निभा रहे हैं. ड्यूटी और परिवार के बीच संतुलन बनाकर पुलिस वाले लगातार ड्यूटी पर हैं. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पहली लहर से भी ज्यादा खतरनाक है, इसके बावजूद पुलिस वाले कानून व्यवस्था से लेकर आम लोगों की मदद की दोहरी जिम्मेदारी को निभा रहे हैं. रांची के कई थानेदार स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के शुरू होने के बाद से अनलॉक एक में भी अपने घर नहीं जा रहे हैं. पुलिसकर्मी थानों में ही बने गेस्ट हाउस में अपना डेरा जमाए हुए हैं. पुलिसकर्मियों को यह आशंका है कि अगर वे घर जाते हैं तो बीमारी उनके घर तक पहुंच सकती है. ऐसे में अगर इस कठिन समय को थाने में रहकर ही गुजार लिया जाए तो परिवार सुरक्षित रहेगा. रांची के लालपुर थानेदार अरविंद कुमार सिंह, कोतवाली थाना प्रभारी शैलेश कुमार स्वास्थ्य रक्षा सप्ताह के शुरुवात बाद से ही अपने घर नहीं गए हैं. वर्तमान में झारखंड में अनलॉक की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन यह सिर्फ दोपहर 2 बजे तक ही है. दोपहर 2 बजे के बाद पुलिस को लॉकडाउन के नियमों का पालन करवाने के लिए लगातार सड़कों पर उतरना पड़ रहा है.
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महिला पुलिसकर्मी भी हैं ड्यूटी पर
सच मानें तो महिला पुलिसकर्मी इन दिनों दोहरी जिम्मेदारी निभा रही हैं. ड्यूटी और परिवार के बीच संतुलन बैठाना हमेशा से महिला पुलिसकर्मियों के लिए एक चुनौती रही है. इस संक्रमण के दौरान यह चुनौती और बढ़ गई है. खासकर उन महिला पुलिसकर्मियों के लिए जिनके बच्चे रोज उनके आने की राह देखते हैं और मां को गले लगाना चाहते हैं, लेकिन अब वह चाहकर भी अपने बच्चे को गले लगाकर उन्हें प्यार नहीं कर सकती हैं. यहां तक कि उन्हें अपनी आंखों के तारे को आंखों से ही दूर करना पड़ा है, फिर भी वह बिना किसी शिकन के दिन रात ड्यूटी निभा रही हैं. महिला पुलिसकर्मियों को यह भी डर सता रहा है कि कहीं उनसे उनके बच्चों में यह बीमारी न फैल जाए.
कई पुलिस कर्मी हो चुके हैं संक्रमण का शिकार
कोरोना महामारी से फ्रंट वॉरियर के तौर पर लड़ रहे झारखंड पुलिस के अफसर और कर्मी भी बड़ी संख्या में ड्यूटी के दौरान संक्रमित हुए हैं. कई लोगों ने जान भी गंवाई है. अप्रैल 2020 से आठ अप्रैल 2021 तक 5660 पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमित हुए हैं. इनमें से 5611 स्वस्थ हुए. जबकि 15 पुलिसकर्मी कोरोना की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं.
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वैक्सीनेशन युद्ध स्तर पर जारी
हलांकि झारखंड पुलिस में कोरोना की पहली लहर के बजाय दूसरी लहर कम घातक रहा है. पुलिस में तेजी से हुए वैक्सीनेशन के कारण मौत की घटनाएं भी बीते साल से कम हुई है. वहीं संक्रमण की रफ्तार भी पुलिस बल में थमी है.
क्या कहते है आंकड़े
पुलिस मुख्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार राज्य में कुल 69045 पुलिसकर्मी हैं, जिनमें से 65734 पुलिसकर्मियों ने कोराना वैक्सीन की पहली डोज ले ली है. वहीं इनमें से 59100 पुलिसकर्मियों ने दूसरी डोज भी ले ली है. इस तरह राज्य पुलिस में अब तक 90 फीसदी से अधिक वैक्सीनेशन का लक्ष्य पूरा कर लिया है. राज्य के सभी जिलों के एसपी को निर्देशित किया गया है कि वह अपने अपने जिले में तैनात पुलिसकर्मियों को वैक्सीन लगवाएं.